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Bihar News: बिहार चुनाव में ढहा यादवों का किला, सबसे अधिक सीटें जीत लाये राजपूत

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. इन नतीजों में पांच दलों के गठबंधन एनडीए ने छप्पर फाड़ सफलता हासिल की है. इस गठबंधन ने 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 202 सीटों पर कब्जा जमाया है. वहीं विपक्षी महागठबंधन को केवल 35 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.एनडीए की इस जीत में सामाजिक समीकरणों का भी योगदान सबसे अधिक है. इस बार की विधानसभा में सबसे अधिक संख्या राजपूत विधायकों की होगी.

Bihar News: पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में भूमिहार और यादव अपनी संख्या के आधार पर हिस्सेदारी को लेकर सबसे अधिक मुखर रहे हैं. दोनों जातियों में राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर खींचतान होती रहती है. इस बार हमेशा की तरह पिछड़ों में यादव उम्मीदवारों से की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही. सवर्णों की बात करें तो एनडीए और महागठबंधन ने सवर्ण जातियों में सबसे अधिक टिकट राजपूत जाति को दिए थे. दोनों गठबंधनों ने राजपूत समुदाय के 49 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. इनमें से 37 को एनडीए और 12 को महागठबंधन ने टिकट दिया था. इनमें से 35 ने चुनाव में जीत दर्ज की है. इनमें से 33 एनडीए और दो महागठबंधन से जीते हैं. इस बार की विधानसभा में सबसे अधिक संख्या राजपूत विधायकों की होगी.

बिहार में कितनी है राजपूतों की आबादी

हाल ही में हुए जातिगत गणना के अनुसार बिहार की आबादी में राजपूत जाति की हिस्सेदारी केवल 3.45 फीसदी है. बिहार की आबादी में 3.65 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली ब्राह्मण जाति के केवल 14 विधायक चुने गए हैं. इस बार राजपूत, यादव और ब्राह्मण जाति के अलावा 25 कुर्मी, 23 कुशवाहा,26 बनिया, 23 भूमिहार, तीन कायस्थ, अन्य पिछड़ी जातियों के 13 विधायक चुने गए हैं. वहीं इस बार 10 मुसलमान विधायक चुने गए हैं. इनमें एआईएमआईएम के पांच, राजद के तीन, कांग्रेस के दो और जेडीयू का एक विधायक शामिल है.

सदन में लगातार कम हुई यादव की हिस्सेदारी

इस बार की विधानसभा में यादवों की संख्या में कमी आई है. उनकी संख्या पिछली बार की तुलना में करीब आधी रह गई है. पिछली विधानसभा में यादव जाति के विधायकों की संख्या 55 थी. यह इस बार घटकर 28 रह गई है. इनमें से 15 एनडीए से जीते हैं. बाकी राजद और दूसरे दलों के हैं. बसपा से जीता एकमात्र विधायक भी यादव जाति का ही है. यादव जाति की बिहार की जनसंख्या में हिस्सेदारी सबसे अधिक है, जाति सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में यादव आबादी करीब 14 फीसदी है. पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने अपनी पार्टी के 44 सीटों पर यादवों को उम्मीदवार बनाया था. इस में से सिर्फ 26 से अपनी जीत दर्ज कर पाए.

बीजेपी-कांग्रेस ने ऊंची जाति पर जताया भरोसा

एक तरफ बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पार्टी की टिकिट ऊंची जाति के लोगों को टिकट दिया. वहीं दूसरी तरफ बिहार की दो मुख्य पार्टी आरजेडी और जेडीयू ने यादव और कुर्मी प्रत्याशियों को चुनाव में टिकिट देकर उतारा. 2020 में बीजेपी के 47.3 फीसदी उम्मीदवार ऊंची जाति के थे, जिसमें अधितर राजपूत और बनिया थे. बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया. कांग्रेस ने 40 फीसदी टिकट ऊंची जाति के लोगों को दी और 17 फीसदी टिकट मुस्लिम उम्मीदवार को दी गईं. 2020 में चुनी गई विधानसभा की बात करें तो उसमें 55 यादव, 10 कुर्मी, 16 कुशवाहा, 22 वैश्य, 18 राजपूत, 17 भूमिहार, 12 ब्राह्मण, तीन कायस्थ, ओबीसी की अन्य जातियों के 21 विधायक थे. वहीं 14 मुस्लिम विधानसभा के लिए चुने गए थे.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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