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COVID IMPACT: नहीं बिकीं सरस्वती प्रतिमाएं तो खुले में छोड़ निराश बंगाल लौट गये मूर्तिकार

कोरोनाकाल में सरस्वती पूजा कोविड गाइडलाइन्स के तहत ही मनायी गयी. इसका असर मूर्ति कलाकारों पर पड़ा. मूर्ति की बिक्री बेहद कम हुई जिससे मूर्तिकारों अपने लगाये गये खर्च भी नहीं निकल सके.

भागलपुर: दो वर्ष बाद भी कोरोना मूर्तिकारों का पीछा नहीं छोड़ रही. इसका साइड इफैक्ट सरस्वती पूजा के दिन शनिवार को देखने को मिला. आदमपुर चौक पर पश्चिम बंगाल से आये चंद्र तांती ने किराये पर जगह लेकर माता सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण किया था.

अपनी टीम के साथ आये चंद्र तांती को आशा थी कि प्रतिमाएं उचित कीमत पर बिकेंगी और उनको लाभ होगा, पर कोविड प्रोटोकॉल के कारण अधिकतर जगह सामान्य तरीके से पूजा अर्चना हुई. इस कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिमाएं नहीं बिक पायीं.

हालत यह हो गया कि रंग और अन्य चीजों के लिए लगाया गया खर्च भी नहीं निकल सका. ऊपर से स्थान का किराया भी देना था. शनिवार को पूजा के दिन जब सभी प्रतिमाएं नहीं बिक पायीं तो चंद्र तांती सुबह से निराश अपनी चार सदस्यीय टीम के साथ चला गया. कुछ यही स्थिति शहर के लगभग सभी मूर्तिकारों की है. सबमें निराशा है.

एक सप्ताह पहले मूर्तिकारों ने आशंका जतायी थी कि उनकी 50 फीसदी प्रतिमा नहीं बिकेगी. बातचीत में चंद्र तांती ने बताया था कि किराया भी बहुत लग रहा है. ऐसे में बिना कमाये कैसे घर लौटेंगे. स्थानीय लोगों ने बताया कि वह आधा किराया भी नहीं चुका पाया. अपने सहयोगियों को जैसे-तैसे कुछ पैसा देकर विदा किया.

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वहीं रंजीत पंडित ने बताया कि पहले 100 से 150 प्रतिमा प्रत्येक साल बनाते थे. इस बार सात ही प्रतिमा डिमांड के अनुसार बनाया. रंजीत पूछते हैं कि कैसे परिवार का पेट पालेंगे यह सवाल है.

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