Digital India, Cashless Transactions, Mobile Payment App: बीते साल यानी 2019 में देश में मोबाइल ऐप आधारित भुगतान 163 प्रतिशत बढ़कर 287 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इन ऐप द्वारा किया जाने वाले मोबाइल भुगतान शामिल है, जिसमें खाते-से-खाते में स्थानांतरण और खातों में स्टोर वैल्यू अकाउंट यानी ऐप में खाते में रखी राशि शामिल है. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की हालिया मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
‘भारतीय मोबाइल भुगतान बाजार रिपोर्ट’ में कहा गया है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिये पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) लेनदेन 24 प्रतिशत बढ़कर 204 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इनमें ऑनलाइन और ऐप के जरिये भुगतान शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भुगतान ऐप्स के जरिये अब बड़ी संख्या में लेनदेन होता है. मोबाइल फोन खाते का रिचार्ज, बिलों का भुगतान आदि से मोबाइल के जरिये भुगतान लगातार लोकप्रिय हो रहा है. दिलचस्प तथ्य यह है कि 2019 में एटीएम से निकासी पहली बार मूल्य के हिसाब से कार्ड और मोबाइल भुगतान से कम रहा है.
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प्रत्येक एटीएम निकासी पर भारतीयों ने कार्ड या मोबाइल फोन के जरिये दो लेनदेन किये हैं. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के फिनेटक विश्लेषक संपत शर्मा नारियानूरी ने कहा कि हाल के बरसों में नकदीरहित भुगतान में जो तेजी आयी है, वह कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई सुस्ती के मद्देनजर जारी नहीं रह पाएगी.
उन्होंने कहा कि मौजूदा सामाजिक दूरी उपायों और नकदी तथा कार्ड के इस्तेमाल को लेकर चिंता के बीच हमारा अनुमान है कि मोबाइल भुगतान कार्ड के जरिये भुगतान से बड़ी बढ़त ले लेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नकदीरहित भुगतान ने 2019 में रफ्तार पकड़ी है. 31 दिसंबर, 2019 को समाप्त तिमाही में कार्ड और मोबाइल भुगतान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 20 प्रतिशत के बराबर रहा. इससे पिछले साल की समान तिमाही में यह 13 प्रतिशत था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में दुकानों के जरिये खुदरा खरीद 781 अरब डॉलर रही. कार्ड और मोबाइल भुगतान का इसमें हिस्सा सिर्फ 21 प्रतिशत रहा. रिपोर्ट कहती है कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियों में जो गिरावट आयी है, उसका सीधा असर नकदीरहित भुगतान पर पड़ेगा. हालांकि, इसके बीच मोबाइल भुगतान लोकप्रिय बना रहेगा, क्योंकि नकदी और कार्ड के इस्तेमाल को लेकर लोग आशंकित हैं.
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Posted By – Rajeev Kumar