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Friday, March 29, 2024

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पंकज चतुर्वेदी

बेहतर बने विश्व पुस्तक मेला का स्तर

पुस्तक भी इंसानी प्यार की तरह होती हैं, जिससे जब तक बात न करो, रूबरू न हो, हाथ से स्पर्श न करो, अपनत्व का अहसास देती नहीं है. फिर तुलनात्मकता के लिए एक ही स्थान पर एक साथ इतने सजीव उत्पाद मिलना एक बेहतर विपणन विकल्प व मनोवृत्ति भी है.

बगैर बछड़े के नहीं बचेगा देहात

ऊर्जा विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारे देश में गोबर के जरिये 2000 मेगावाट ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है. भारत में मवेशियों की संख्या कोई तीस करोड़ है. इनसे लगभग 30 लाख टन गोबर हर रोज मिलता है. इसमें से तीस प्रतिशत को कंडा/उपला बना कर जला दिया जाता है. यह ग्रामीण ऊर्जा की कुल जरूरत का 10 फीसदी भी नहीं है.

सीखने के आनंद पर भारी परीक्षा का दवाब

परीक्षा का वर्तमान तंत्र आनंददायक शिक्षा के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है. बीते दो दशक में गला काट प्रतिस्पर्धा में न जाने कितने बच्चे कुंठा का शिकार हो मौत को गले लगा चुके हैं. परीक्षा व उसके परिणामों ने एक भयावह सपने, अनिश्चितता की जननी व बच्चों के नैसर्गिक विकास में बाधा का रूप ले लिया है.

तालाबों को संवारने से बढ़ेगा भूजल का स्तर

गत 50 सालों के दौरान भूजल के इस्तेमाल में 115 गुना इजाफा हुआ है. भारत के 360 यानी 63 प्रतिशत जिलों में भूजल स्तर की गिरावट गंभीर श्रेणी में पहुंच गयी है. कई जगह भूजल दूषित हो रहा है. चिंताजनक बात यह है कि जिन जिलों में भूजल स्तर आठ मीटर से नीचे चला गया है, वहां गरीबी दर 9-10 प्रतिशत अधिक है.

आत्म-नियंत्रण से बेहतर होगी वायु की गुणवत्ता

शहरों में भीड़ कम हो, निजी वाहन कम हों, जाम न लगे, हरियाली बनी रहे- इसी से जहरीला धुंआ कम होगा. मशीनें मानवीय भूल का निदान नहीं होती हैं. हमें जरूरत है आत्म नियंत्रित करने वाली ऐसी प्रक्रिया अपनाने की जिससे वायु को विषैला बनाने वाले कारक ही जन्म न लें. तभी वायु स्वच्छ हो पायेगी.

पटाखों से विषैला होता वायुमंडल

केवल एक रात में पूरे देश में हवा इतनी जहरीली हो गयी कि 68 करोड़ लोगों की जिंदगी तीन साल कम हो गयी.