जमशेदपुर: बोनस समझौता को लेकर कमेटी मेंबरों में काफी नाराजगी देखी गयी. माइकल जॉन ऑडिटोरियम में यूनियन के सारे 11 पदाधिकारियों ने मंच से जब इसकी घोषणा की तो किसी तरह की कोई ताली नहीं बजी. सारे लोगों में दबी जुबान ही सही, लेकिन नाराजगी झलक रही थी. हालांकि, कमेटी मीटिंग व प्रेस कांफ्रेंस के बाद बड़ी संख्या में कमेटी मेंबरों ने यूनियन के पदाधिकारियों को घेर लिया और उनका विरोध करने लगे और बताया कि वे लोग क्या मुंह लेकर विभाग में जायेंगे कि कैसा बोनस हुआ है.
इस पर यूनियन के टॉप थ्री पदाधिकारियों ने कहा कि यह मजबूरी थी और हालात को देखते हुए यह कदम उठाया गया. कमेटी मीटिंग के दौरान अक्सर बोनस समझौता के बाद पदाधिकारियों का अभिवादन होता है, लेकिन किसी तरह का कोई अभिवादन भी नहीं हुआ और सारे लोग मायूस होकर ही वहां से निकल गये.
सर्विस पूल को बोनस दिलाकर वाह-वाही लेने की कोशिश
सर्विस पूल को बोनस दिलाकर टाटा वर्कर्स यूनियन ने वाहवाही लेने की कोशिश की. मैनजेमेंट उनको बोनस देने के मूड में नहीं था. करीब 212 ऐसे कर्मचारी थे, जो सर्विस पूल में हैं. पूल-सी के कर्मचारी इसके दायरे में आते थे क्योंकि पूल-सी के कर्मचारी किसी तरह का कोई काम नहीं करते हैं और वे बैठकर चले जाते हैं. मैनेजमेंट का कहना था कि वे लोग प्रोडक्टिविटी को घटा रहे हैं. वे लोग इएसएस का भी ऑफर नहीं ले रहे हैं, जिस कारण वे लोग बिना लाभ के हैं. ऐसे में काम करने वाले को ही पूरा लाभ दिया जा सकता है.
एरियर पर अलग से बोनस नहीं ले सकी यूनियन
बोनस समझौता हो गया, लेकिन एरियर पर कर्मचारियों को किसी तरह की कोई राशि नहीं मिल पायी. इस समझौता को लेकर नजरें टिकी हुई थी कि एरियर पर बोनस मिलेगा या नहीं, लेकिन रवि टीम इसमें फेल नजर आयी. वर्ष 2014-15 के वेतन पर बोनस मिला. पिछले साल ही कर्मचारियों को एरियर के मद में करीब 550 करोड़ रुपये मिले थे. कंपनी प्रबंधन ने पिछली बार वेज रिवीजन समझौता के वक्त रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में एरियर पर 8.33 फीसदी बोनस दिया था. इस हिसाब से भी एरियर पर अगर 8.33 फीसदी बोनस मिलता तो यह राशि करीब 45 करोड़ रुपये हो जाती. अगर 134 करोड़ रुपये के मैनेजमेंट के प्रस्ताव के साथ 45 करोड़ रुपये जुड़ जाते तो यह आंकड़ा 179 करोड़ रुपये तक चला जाता, लेकिन सिर्फ नये फार्मूला को ही यूनियन ने मान लिया.