भागलपुर: भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल के पास से गिरफ्तार नेपाल निवासी रानी पिछले तीन वर्ष से शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा (सेंट्रल जेल) में बंद है. उसके संबंध में परिजनों को कोई सूचना नहीं थी. परिजन उसे नेपाल व आसपास के सीमावर्ती इलाके में तलाश रहे थे, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल पा रहा था. पिछले दिनों प्रभात खबर में सेंट्रल जेल में बंद महिला कैदियों के हुनर सीखने संबंधी एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी. इस खबर में नेपाल निवासी रानी का भी तसवीर के साथ जिक्र था.
संयोग की बात है कि सीमावर्ती इलाकों में अखबार में छपी खबर देख कर किसी ने इसकी सूचना रानी के परिजनों को दी और परिजन अखबार लेकर रानी से मिलने के लिए सेंट्रल जेल पहुंच गये. विदित हो कि पिछले दिनों सेंट्रल जेल में फतेह हेल्प सोसाइटी द्वारा आयोजित 15 दिन 15 हुनर कार्यक्रम के समापन की खबर प्रभात खबर में प्रमुखता से छपी थी. खबर में जेल के अंदर कैद महिलाओं में सीखने की ललक और उनकी कारीगरी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गयी थी. मूल रूप से नेपाल के वीरगंज की रहने वाली रानी के संबंध में अखबार में जानकारी दी गयी थी. अखबार में छपी खबर व तसवीर देख कर सीमावर्ती इलाके में रह रहे उसके परिजन को रानी के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने सोमवार को रानी से मुलाकात की.
री-ओपन होगा कमली का केस
सेंट्रल जेल के महिला वार्ड में कैद कमली का केस उसके पुत्र री-ओपन करायेंगे. हत्या के आरोप में झाझा थाने के नागीडेम काबर गांव निवासी 72 वर्षीय कमली पिछले 10 वर्ष से यहां कैद है. जेल आने के बाद किसी ने उसकी सुध नहीं ली थी. उसके पुत्र डब्लू यादव व राजेंद्र यादव को तो अपनी मां के बारे में पता भी नहीं था. प्रभात खबर में प्रकाशित समाचार से उन्हें अपनी मां के बारे में जानकारी मिली और 10 वर्ष बाद दोनों बेटे अपनी मां से मिले. मां से पूरी कहानी जान कर अब उसके बेटे केस को दोबारा खुलवाना चाह रहे हैं और उन्होंने इसके लिए कार्रवाई शुरू कर दी है. मां के बारे में जानकारी देने पर दोनों ने प्रभात खबर का शुक्रिया अदा किया है.