नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नीरा राडिया की रिकार्ड की गयी टेलीफोन बातचीत के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करने पर आज सरकारी एजेंसियों को आड़े हाथ लिया. न्यायालय ने कहा कि राडिया की प्रमुख नेताओं, उद्योगपतियों और दूसरे व्यक्तियों से बातचीत से सीमा पार के लेन देन सहित अनेक गंभीर मामलों का पता चलता है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बातचीत अनेक मामलों से संबंधित है जिन्हें सरकारी एजेन्सियों ने एक तरफ करके सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण से संबंधित बातचीत के अंशों पर ही अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किया. न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस बातचीत के विवरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे सरकार के प्रत्येक महकमे में बिचौलिये की मौजूदगी का पता चलता है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘लगभग सभी सरकारी महकमे में निजी व्यक्ति जिसे आपके संपर्क अधिकारी या बिचौलिया कहते हैं, मौजूद हैं.
टैप की गयी बातचीत का जिक्र करते हुये न्यायाधीशों ने कहा कि यह 2जी से भी कहीं अधिक है और सिर्फ दूरसंचार क्षेत्र तक सीमित नहीं है और इससे सीमा पार के कारोबार, किसी बाहरी व्यक्ति के मीडिया का अधिग्रहण करने तथा दूसरे गंभीर मसलों के बारे में जानकारी मिलती है. न्यायालय इस बातचीत को सार्वजनिक करने हेतु सरकार को निर्देश देने के लिये गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशंस की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 को मिली एक शिकायत के आधार पर राडिया का टेलीफोन निगरानी पर रखा गया था और उसकी बातचीत रिकार्ड की गयी थी. इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नौ साल के भीतर राडिया ने तीन सौ करोड रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है.