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रमजान इबादत का महीना: हाफीज मसनून

रमजान के बारे में दी विस्तृत जानकारी टेढ़ागाछ : कहते हैं कि रमजान का महीना अल्लाह की इबादत का महीना है. रोजा शरीर के सभी अंगों का होता है. ऐसे में सावधानी जरूरी है. इस माह में रोजा रखने के साथ-साथ माल का जकात निकालना अनिवार्य है. निकाली गई राशि को गरीबों व यतीमों में […]

रमजान के बारे में दी विस्तृत जानकारी

टेढ़ागाछ : कहते हैं कि रमजान का महीना अल्लाह की इबादत का महीना है. रोजा शरीर के सभी अंगों का होता है. ऐसे में सावधानी जरूरी है. इस माह में रोजा रखने के साथ-साथ माल का जकात निकालना अनिवार्य है. निकाली गई राशि को गरीबों व यतीमों में बांटा जाता है. रमजान के इस पाक महीने के बारे में हाफीज हाजी मसनून टंगतांगी बेगना बताते है कि रमजान शरीफ पाक महीने में कुरान शरीफ नाजील हुआ था. कुरान में रमजान शरीफ के बारे में विस्तार से बताया गया है.
उन्होंने कहा कि रमजान माह में सिर्फ भूखे रहने से ही रमजान नहीं होता है रोजा रहने के लिए पाक साफ रहकर सहरी खाने के बाद रोजा रखने की नियत करनी पड़ती है. रोजा पूरे शरीर का होता है. ऐसे में रोजेदारों को हाथ, पैर व आंख गलत राह में डालने से बचाना चाहिए. इस माह में रोजा के साथ-साथ नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत कर दुआ मांगने वाले की मुरादें अवश्य पूरी होती हैं.
गरीबों पर दें विशेष ध्यान
रमजान में अगर आपके गांव या मोहल्ले में कोई गरीब हो तो अपने साथ-साथ उसका भी इफ्तार व सहरी की व्यवस्था कराएं. अपनी ईद की तरह उसकी भी तैयारी कराएं. यह मालदार लोगों का फर्ज है. ऐसा करने से ईद के दिन एकरूपता दिखेगी. जिसमें अमन चैन कायम रहने के साथ माल में इजाफा होगा.
काबू में रखें नब्ज
रमजान सरीफ में रोजदार को अपने नब्ज को काबू में रखना चाहिए. जिससे जीवन में होने वाली गलतियों पर ब्रेक लग सके. रोजा बुराईयों को रोकने के लिए आध्यात्मिक हथियार है. पूरे एक माह में नियमित होने के बाद 11 महीनों में भी बुराइयों से बचने की कोशिश करनी चाहिए.

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