12.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

SC के आदेश पर सरकारी योजनाओं के लिए आधार को आधार बनाना अनिवार्य नहीं

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड ऐच्छिक होगा. साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि ऐसे कार्ड धारकों की कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी प्राधिकारी के साथ साझा नहीं की जायेगी. न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड ऐच्छिक होगा. साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि ऐसे कार्ड धारकों की कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी प्राधिकारी के साथ साझा नहीं की जायेगी. न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आज पूर्वाह्न आधार योजना की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपते हुये अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह वक्तव्य दर्ज किया कि ‘आधार कार्ड की कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी प्राधिकारी के साथ साझा नहीं की जायेगी.’

न्यायालय ने इस मामले में कई निर्देश दिये जिनका केंद्र सरकार को इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करना होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिये आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा. न्यायालय ने कहा, ‘आधार कार्ड का इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिट्टी के तेल और रसोई गैस के वितरण की प्रणाली के अलावा किसी अन्य मकसद के लिये नहीं किया जायेगा.’ शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा हासिल की गयी सूचना अदालत की अनुमति से अपराधिक मामलों की जांच के अलावा किसी अन्य मकसद के लिये इस्तेमाल नहीं की जायेगी.

न्यायालय ने आधार योजना के तहत आधार कार्ड के लिये पंजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार करते हुये इसे चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का यह अंतरिम अनुरोध अस्वीकार कर लिया. इससे पहले, दिन में शीर्ष अदालत ने केंद्र की आधार कार्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को यह फैसला करने के लिये संविधान पीठ को सौंप दिया कि क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. केंद्र का अनुरोध स्वीकार करते हुये न्यायालय ने संविधान पीठ के फैसले के लिये कुछ सवाल तैयार किये हैं जिनमें यह भी शामिल है कि क्या निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. न्यायालय ने कहा, ‘यदि हां, तो निजता के अधिकार की रुपरेखा क्या होगी.’

अब प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू इससे संबंधित विभिन्न सवालों पर विचार और फैसले के लिये वृहद पीठ का गठन करेंगे. केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इससे पहले कहा था कि निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानने के विषय पर परस्पर विरोधी निर्णय हैं और ऐसी स्थिति में इस मामले में विस्तृत बहस और सुविचारित फैसले की आवश्यकता है. उन्होंने छह और आठ न्यायाधीशों की पीठ के दो फैसलों का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है.

उन्होंने कहा कि बाद में इससे छोटी पीठों ने इसके विपरीत राय दी और इसलिए इस मसले पर वृहद पीठ द्वारा निर्णय की आवश्यकता है. रोहतगी ने आधार का मसला वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हुये कहा था कि दो न्यायाधीशों या तीन न्यायाधीश की पीठ इसका फैसला नहीं कर सकती हैं. अटार्नी जनरल ने ए के गोपालन, मेनका गांधी और बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसे ऐतिहासिक मामलों में सुनाये गये फैसलों का जिक्र करते हुये कहा कि चुनिंदा मौलिक अधिकारों के संबंध में असंगत व्याख्या का समाधान सिर्फ वृहद पीठ ही कर सकती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel