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ICC महिला विश्वकप के फाइनल में मिली हार में छुपे हैं जीत के कई निशान

लंदन : आईसीसी महिला विश्वकप के फाइनल में कल भारतीय टीम नौ रन से हार गयी. इस हार के कारण मिताली राज का विश्वकप जीतने का सपना टूट गया. इस हार के बाद मिताली की टीम निराश है, बावजूद इसके पूरे देश में खुशी का माहौल है. हर कोई भारतीय क्रिकेट टीम की महिला खिलाड़ियों […]

लंदन : आईसीसी महिला विश्वकप के फाइनल में कल भारतीय टीम नौ रन से हार गयी. इस हार के कारण मिताली राज का विश्वकप जीतने का सपना टूट गया. इस हार के बाद मिताली की टीम निराश है, बावजूद इसके पूरे देश में खुशी का माहौल है. हर कोई भारतीय क्रिकेट टीम की महिला खिलाड़ियों को बधाई दे रहा है. टीम की हार के बाद कप्तान मिताली राज ने कहा, मुझे अपनी टीम पर गर्व है, हमने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कुछ विकेट गिरने से लड़कियां घबरा गयीं और आउट होतीं चलीं गयीं. लेकिन हमने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया. जिस देश में बेटियों के जन्म पर खुशी ना मनायी जाती हो और लगातार तीन बेटियों के जन्म पर दादी इस कदर नाराज होती हो कि चार साल की बच्ची के गुप्तांग को चिमटे से जला दे, उस देश में यह जीत बहुत मायने रखती है.

भारतीय महिला टीम मैच हारी, दिल जीती
भारतीय क्रिकेट की महिला टीम कल लाड्‌र्स के मैदान पर फाइनल मुकाबला हार गयी, लेकिन टीम ने देशवासियों का दिल जीत लिया है. जब से महिला टीम विश्वकप में पहुंचीं, ऐसा पहली बार दिखा कि पूरा देश उनके साथ है. मीडिया में अच्छा कवरेज मिला, वहीं सोशल मीडिया में भी महिलाओं का खूब उत्साहवर्द्धन हुआ. पूर्व क्रिकेटर सचिन,सहवाग ने भी महिलाओं का उत्साह बढ़ाया, परिणाम सामने है, टीम फाइनल तक पहुंची.

बेटी बचाओ अभियान से ज्यादा कारगर है खेल
हमारी सरकार बेटी बचाओ अभियान पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन इस अभियान का वैसा असर दिखता नहीं जैसा कि दिखना चाहिए. लेकिन एक खेल आयोजन में सफलता से बेटियों का महत्व समाज में बहुत बढ़ गया है, लोग उन्हें बढ़ावा देने के लिए प्रेरित हुए हैं. विश्व के सेमीफाइनल मुकाबले में हरमनप्रीत की शानदार बल्लेबाजी के बाद उसे डीएसपी की नौकरी अॅाफर की गयी है. कहने का आशय यह है कि खेल के बाद हर कोई महिला खिलाड़ियों को लेकर गंभीर हुआ है और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है, इसका असर सामाजिक व्यवस्था पर दिखेगा, इसमें कोई दोराय नहीं है. सोशल मीडिया ने भी महिला खिलाड़ियों का खूब साथ दिया और महिला क्रिकेट के प्रति उदासीन लोग भी मैच देखने के लिए मजबूर हुए.
फाइनल खेलने का प्रभाव
कल के मैच में भारतीय टीम मैच जीत सकती थी, लेकिन अनुभव की कमी साफ दिखी. अंतिम ओवर्स में सिर्फ 28 रन बनाने में टीम की सात खिलाड़ी आउट हो गयी. अगर लड़कियां संयमित होकर खेलती, तो शायद वर्ल्ड कप भारत के पास होता. लेकिन टीम के फाइनल खेलने का साफ असर यह दिखता कि लोग लड़कियों को खेलने के लिए प्रेरित करते नजर आ रहे हैं. हरमनप्रीत की शानदार बल्लेबाजी के बाद उनके पिता ने कहा था विश्वकप लेकर लौटो.

बीसीसीआई की भूमिका प्रशंसनीय
देश में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए बीसीसीआई जिस तरह से प्रयास कर रहा है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए. बोर्ड ने महिला खिलाड़ियों के मैच फीस में भी सुधार किया और खिलाड़ियों के लिए अच्छी कोचिंग की भी व्यवस्था की है.

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