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Corona मरीजों को बांट रहा मौत, सेहतमंद को बना रहा मानसिक बीमार, पढ़िए WHO की रिपोर्ट

World Economic Forum report on mental health Awareness कोरोना महासंकट से पूरी दुनिया परेशान है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जो रिर्पोट पेश की है वो चिंतनीय है. रिर्पोट की मानें तो इस महामारी की वजह से लोग एक और गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे है. कोरोना के कारण जहां दुनिया भर में लाखों की मौत हो चुकी है, कई लोगों का बिजनेस ठप हो गया है, जॉब छूट गए हैं और तो और कई लोग लॉकडाउन के वजह से जहां-तहां फंसे हुए हैं. वहीं कुछ को क्वारंटाइन करके परिवार से अलग किया जा रहा है. ऐसे में गरीबी और चिंता पनप रही है जिसका सीधा असर मानसिक तौर पर पड़ रहा है. लोग मानसिक रोगी बन रहे हैं.

World Economic Forum report on mental health Awareness कोरोना महासंकट से पूरी दुनिया परेशान है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जो रिर्पोट पेश की है वो चिंतनीय है. रिर्पोट की मानें तो इस महामारी की वजह से लोग एक और गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे है. कोरोना के कारण जहां दुनिया भर में लाखों की मौत हो चुकी है, कई लोगों का बिजनेस ठप हो गया है, जॉब छूट गए हैं और तो और कई लोग लॉकडाउन के वजह से जहां-तहां फंसे हुए हैं. वहीं कुछ को क्वारंटाइन करके परिवार से अलग किया जा रहा है. ऐसे में गरीबी और चिंता पनप रही है जिसका सीधा असर मानसिक तौर पर पड़ रहा है. लोग मानसिक रोगी बन रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के निदेशक देवोरा केस्टेल ने कहा कि इस वायरस के वजह से उत्पन्न हुए अलगाव, भय, अनिश्चितता व आर्थिक उथल-पुथल ही मानसिक तनाव और बीमारी का मुख्य कारण है.

केस्टेल ने कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य पर रिपोर्ट और नीति पेश किया है. इस रिर्पोट में उन्होंने कहा है कि मानसिक बीमारियों की गंभीरता को समझते हुए सारे देश के सरकारों को इस मुद्दे को केंद्र के सामने रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूरे समाज की मानसिक सेहत इस कोरोना संकट से बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में इसपर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

कई अध्ययन और सर्वेक्षण में यह साफ-साफ देखा जा रहा है कि इस महामारी का मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ चुका है. ऐसे में मनोवैज्ञानिकों का भी कहना है कि हमें अपने बच्चों को लेकर भी चिंतित रहने की जरूरत है क्योंकि इससे अवसाद के मामलों में काफी वृद्धि हुई है.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई लोग स्वास्थ्य व्यवस्था और परिवार से अलगाव को लेकर काफी चिंतित है. जबकि कुछ लोग संक्रमण, इससे होने वाली मौत और परिवार के सदस्यों को खोने के डर से भी काफी व्यथीत रह रहे हैं.

वहीं, कुछ लोगों को आर्थिक उथल-पुथल के कारण आय में कमी और आजीविका खोने का डर भी सता रहा है. जबकि कुछ परिजन अपने भावी पीढ़ी जैसे बेटियों की शादी और बच्चों के पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी चिंतीत है. इन सब की वजह से मानसिक तनाव झेल रहे लोग मानसिक रोगी बनने के कगार पर आ गए है. जिसके कारण घरेलू हिंसा में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.

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