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अमेरिका और श्रीलंका के प्रेसीडेंशियल रूल में कितना है अंतर, दोनों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है 4 तारीख?

लोकतंत्र में शासन की दो व्यवस्थाएं हैं. इसमें संसदीय या मंत्रिमंडलीय शासन और अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था शामिल है. श्रीलंका और अमेरिका में लोकतंत्र की संघीय प्रणाली लागू है. दोनों ही देशों में शासन की बागडोर राष्ट्रपति के हाथ में रहती है, लेकिन दोनों की व्यवस्थाओं में फर्क है.

नई दिल्ली : भारत का निकटतम पड़ोसी श्रीलंका पिछले कई महीनों से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. इस आर्थिक संकट के पीछे वहां की सरकार की नीतियों और शासन व्यवस्था को अधिक जिम्मेदार माना जा रहा है. एकात्मक या संघीय व्यवस्था के तहत श्रीलंका में स्थापित अध्यक्षात्मक या राष्ट्रपति शासन प्रणाली या फिर प्रेसिडेंशियल रूल में बदलाव के लिए संविधान में संशोधन को लेकर 2015 से ही चर्चा चल रही है. हालांकि, दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में भी अध्यक्षात्मक या राष्ट्रपति शासन व्यवस्था है, लेकिन दोनों की शासन व्यवस्था में फर्क है. दोनों देशों में समानता सिर्फ यह है कि श्रीलंका और अमेरिका 4 तारीख को ही अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए थे. आइए, हम इन दोनों देशों की शासन व्यवस्था के फर्क को समझने का प्रयास करते हैं.

अमेरिका और श्रीलंका ने भी झेली है अंग्रेजों की गुलामी

ऐसा बहुत कम लोग ही जानते हैं कि दुनिया का सबसे शक्ति देश अमेरिका और आर्थिक संकट की मार झेल रहा श्रीलंका अंग्रेजों की गुलामी झेल चुके हैं. 16वीं सदी के दौरान यूरोप में हुई औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों में उपनिवेश स्थापित करने की होड़ सी लग गई. इसमें ग्रेट ब्रिटेन (जिसे यूनाइटेड किंगडम या इंग्लैंड भी कहा जाता है), फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, जर्मनी आदि शामिल थे. अमेरिका में स्पेनिश और पुर्तगालियों के साथ अंग्रेजों ने भी अपने आधिपत्य की स्थापना की और उन्होंने करीब 13 औपनिवेशिक कॉलोनियां बसाईं. इसी प्रकार, पुर्तगालियों के बाद अंग्रेजों ने श्रीलंका में भी अपने उपनिवेश की स्थापना की. वर्ष 1775 से 1783 के दौरान हुए सप्तवर्षीय युद्ध या स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान अमेरिका को 4 जुलाई 1776 को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली. इस युद्ध में फ्रांस ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को सैन्य मदद पहुंचाई थी. वहीं, 1930 के दशक में शुरू हुए स्वाधीनता आंदोलन के कारण द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को श्रीलंका को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली.

अमेरिका का संविधान

4 जुलाई 1776 को ब्रिटिश साम्राज्‍य से आजाद के साथ ही संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका या यूनाइटेड स्‍टेट्स ऑफ अमेरिका (यूएसए) की स्‍थापना की गई थी. यूएसए का संविधान ही अमेरिका का सर्वोच्च कानून है. नई दुनिया की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद जिस संविधान का निर्माण हुआ, उससे न सिर्फ अमेरिकी जनता और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा गया, बल्कि इससे दुनिया के सामने एक आदर्श भी स्थापित हुआ. अमेरिकी संविधान दुनिया का पहला लिखित संविधान है, जिसमें राज्य के स्वरूप, नागरिकों के अधिकार शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त तथा न्यायिक पुनरावलोकन जैसे पहलू शामिल हैं.

कब अंगीकृत किया गया अमेरिकी संविधान

17 सितंबर 1787 में संवैधानिक कन्वेंशन फिलाडेल्फिया (पेनसिलवेनिया) और 11 राज्यों में सम्मेलनों की पुष्टि के द्वारा संविधान को अंगीकृत किया गया था. इसके बाद 4 मार्च 1789 को प्रभावी हुआ. संविधान को अंगीकृत करने के बाद उसमें करीब 27 बार संशोधन किए गए. पहले 10 संशोधनों (बाकी दो के साथ जो कि उस समय मंजूर नहीं हुए) 25 सितंबर 1789 को कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित किए गए थे और 15 दिसंबर, 1791 पर अमेरिका की आवश्यक तीन चौथाई द्वारा पुष्टि की गई. ये पहले 10 संशोधन ‘बिल ऑफ राइट्स’ के नाम से जाने जाते हैं.

अमेरिका संघीय शासन व्यवस्था

अमेरिकी संविधान में एक संघीय राज्य की परिकल्पना की गई है, जिसमें राष्ट्रीय अर्थात संघीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है. स्थानीय सरकार राज्य का विषय है. प्रत्येक राज्य ने इतिहास, अनुभव और परिस्थितियों के आधार पर स्थानीय सरकारों के संचालन के लिए अपनी प्रणाली स्थापित की है. यही वजह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानीय सरकार की इकाइयों के नाम, संगठन और कार्य एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो स्थानीय सरकार की अमरीकी प्रणाली की विशिष्टता समानता नहीं, बल्कि भिन्नता है. इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि इन इकाइयों को उच्च स्तर की स्वायत्तता प्राप्त है. वास्तव में ये स्थानीय सरकार की ब्रिटिश इकाइयों से अधिक स्वायत्त हैं.

क्या है अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था

लोकतंत्र में शासन के दो भेद हैं. इसमें संसदीय या मंत्रिमंडलीय शासन और अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था शामिल है. अमेरिकी संविधान के निर्माता लॉक और मांटेस्क्यू के दर्शन से प्रभावित थे. वे शक्ति विभाजन के सिद्धांत को नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा का साधन मानते थे. इसलिए उनके द्वारा ब्रिटेन जैसी संसदीय व्यवस्था के स्थान पर अध्यक्षात्मक व्यवस्था को अपनाया गया है. इसके तहत कार्यपालिका और विधायिका को अलग किया गया है. कार्यपालिका के प्रधान का कार्यकाल निश्चित होता है. वह अपनी नीति और कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता.

श्रीलंका का संक्षिप्त इतिहास

श्रीलंका (श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिंद महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है. भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से केवल 31 किलोमीटर है. 1972 तक इसका नाम सीलोन था, जिसे 1972 में बदलकर लंका और 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द श्री जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया. श्रीलंका का सबसे बड़ा शहर कोलंबो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है. श्रीलंका में वेदास जनजाति पाई जाती है.

श्रीलंका में यूरोपीय देशों ने 16वीं सदी में रखा कदम

16वीं शताब्दी में यूरोपीय देशों ने श्रीलंका में कदम रखा. इसके बाद श्रीलंका व्यापार का केंद्र बनता गया. सबसे पहले पुर्तगालियों ने कोलंबो के पास अपना दुर्ग बनाया. इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने कोलंबों के आसपास के इलाकों में प्रभुत्व स्थापित कर लिया. श्रीलंकाइयों में पुर्तगालियों के प्रति घृणा पैदा हो गई. उन्होंने डच लोगों से मदद की अपील की. वर्ष 1630 में डचों ने पुर्तगालियों पर हमला बोला और उन्हें मार गिराया.

अंग्रेजों के हाथों कब गुलाम हुआ श्रीलंका

1660 में एक अंग्रेज नाविक का जहाज गलती से इस द्वीप पर आ गया. उसे कैंडी के राजा ने कैद कर लिया. करीब 19 साल तक जेल में रहने के बाद वह वहां से भाग निकला और उसने अपने अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक लिखी. इसके बाद अंग्रेजों का ध्यान भी श्रीलंका पर गया. नीदरलैंड पर फ्रांस के अधिकार होने के बाद अंग्रेजों को डर हुआ कि श्रीलंका के डच इलाकों पर फ्रांसीसियों का अधिकार हो जाएगा. इसलिए उन्होने डच इलाकों पर आधिपत्य स्थापित करना शुरू कर दिया. वर्ष 1800 के आते-आते श्रीलंका के तटीय इलाकों पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया. 1818 तक अंतिम राज्य कैंडी के राजा ने भी अंग्रेजों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया और इस तरह पूरे श्रीलंका पर अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हो गया. 1930 के दशक में स्वाधीनता आंदोलन तेज हुआ और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता मिली.

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श्रीलंका की अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था

श्रीलंका में भी अमेरिका की तरह अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था है. श्रीलंका की अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था वह शासन प्रणाली है, जिसमें संपूर्ण संघीय शक्तियां केवल एक ही सरकार में निहित होती हैं. वह संघीय सरकार केंद्र सरकार कहलाती है. इस तरह की शासन व्यवस्था में क्षेत्रीय स्तर पर शासन का संचालन तो किया जाता है, लेकिन इनकी स्थिति प्रांतों की तरह होती है. यह प्रांत केंद्र सरकार के अधीन होते हैं. इनके पास अपनी कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं होती. श्रीलंका एक छोटा सा राष्ट्र है. जहां की शासन व्यवस्था केवल केंद्र सरकार के हाथ में है. इसलिए के राष्ट्रपति के पास सरकार की सारी शक्तियां निहित होती हैं और यही कारण है कि राष्ट्रपति किसी प्रकार की नीतियां बनाने और फैसले लेने के लिए स्वच्छंद है. राष्ट्रपति की इन्हीं शक्तियों को कम कर प्रांतीय शासन व्यवस्था लागू करने के लिए श्रीलंका में लंबे समय से संविधान में संशोधन करने की मांग की जा रही है.

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