Us Trade Adviser: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसे जल्द ही 50 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने की संभावना है. इस फैसले के बीच उनके वरिष्ठ व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर तीखा हमला बोला है. नवारो ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और महंगे दामों पर विदेशों में बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है. उनके अनुसार, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत की रूसी तेल पर निर्भरता केवल 1% थी, जो अब बढ़कर 35% तक पहुंच गई है.
नवारो का दावा है कि इस व्यापार से रूस को अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक मदद मिल रही है, जिससे वह हथियार खरीदकर युद्ध जारी रख पा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत की यह नीति अमेरिका के टैक्सपेयर्स पर बोझ डाल रही है, क्योंकि उन्हें यूक्रेन की मदद के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने पड़ रहे हैं. भारत ने हालांकि स्पष्ट किया है कि तेल खरीदना उसका राष्ट्रीय हित है, लेकिन इस विवाद ने दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता को प्रभावित कर दिया है.
Us Trade Adviser in Hindi: ‘साझेदारी चाहो तो वैसा व्यवहार भी करो’
नवरो ने भारत की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि भारत अब रूस और चीन दोनों से नजदीकी बढ़ा रहा है, जिससे वॉशिंगटन और नई दिल्ली के रिश्तों पर दबाव पड़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी, “अगर भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार बनना चाहता है तो उसे वैसा व्यवहार भी करना होगा.”
ट्रंप की नई टैरिफ नीति (Us Trade Adviser Peter Navarro Accuses India)
नवरो की यह टिप्पणी उस समय आई है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले आयात पर 25% अतिरिक्त ड्यूटी लगाकर कुल टैरिफ को 50% कर दिया है. यह हाल के वर्षों में किसी भी व्यापारिक साझेदार पर सबसे ज्यादा टैरिफ माना जा रहा है. नवरो ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि भारत अब वैश्विक स्तर पर रूसी तेल का क्लियरिंग हाउस बन गया है. इससे रूस को डॉलर मिल रहे हैं और अमेरिकी उद्योग व कामगारों को नुकसान हो रहा है.
भारत का पक्ष, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
भारत ने बार-बार कहा है कि तेल खरीद पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की वास्तविकता पर आधारित है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने याद दिलाया कि युद्ध शुरू होने के बाद खुद अमेरिका ने भारत से कहा था कि वह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति स्थिर रखने के लिए रूसी तेल खरीद जारी रखे. 2019-20 में भारत के कुल आयात में रूस का हिस्सा सिर्फ 1.7% था, जो 2024-25 में बढ़कर 35.1% हो गया है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के वित्त प्रमुख अनुज जैन ने बताया कि कंपनी ने जून तिमाही में 24% रूसी तेल प्रोसेस किया, जबकि पिछले साल औसत 22% था. सितंबर तिमाही में भी यही प्रवृत्ति जारी है.
व्यापार वार्ता पर असर
भारत और अमेरिका के बीच 25 से 29 अगस्त को होने वाली व्यापार वार्ता अचानक रद्द कर दी गई है. माना जा रहा है कि ट्रंप की सख्त नीति और नवरो के तीखे बयान इसका कारण हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की संभावना तथा चीनी विदेश मंत्री वांग यी का दिल्ली दौरा भी वॉशिंगटन की बेचैनी बढ़ा रहा है.
कौन हैं पीटर नवरो?
पीटर केंट नवरो का जन्म 15 जुलाई 1949 को मैसाचुसेट्स में हुआ. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के बाद उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में दो दशक तक अध्यापन किया. 2006 के बाद उनकी चीन-विरोधी किताबें और डॉक्यूमेंट्री चर्चा में रहीं. ‘डेथ बाय चाइना’ नामक किताब ने ट्रंप कैंपेन में उनकी जगह बनाई. 2016 में वे ट्रंप के आर्थिक सलाहकार बने और स्टील, एल्युमिनियम व चीनी सामान पर भारी टैरिफ नीति के सूत्रधार रहे. कोविड-19 काल में वे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर डॉ. एंथनी फौची से भिड़ गए थे. 2024 में कांग्रेस की अवमानना मामले में उन्हें चार माह जेल की सजा हुई, लेकिन ट्रंप की सत्ता वापसी के साथ वे फिर ह्वाइट हाउस लौट आए और अब भी अमेरिका की व्यापार नीति में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

