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रमजान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का रखे ख्याल, ट्रंप ने की अपील

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने कहा कि देश के मुस्लिमों को रमजान (Ramadan) के दौरान सामाजिक दूरी (Social Distancing) के नियमों का पालन वैसे ही करना होगा जैसे कि ईसाइयों को ईस्टर पर करना पड़ा था. ईस्टर में कई श्रद्धालु कोरोना वायरस से संबंधित पाबंदियों के विरुद्ध जाकर बड़ी सभाओं में एकत्रित हो गए थे और उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा था.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि देश के मुस्लिमों को रमजान के दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का पालन वैसे ही करना होगा जैसे कि ईसाइयों को ईस्टर पर करना पड़ा था. ईस्टर में कई श्रद्धालु कोरोना वायरस से संबंधित पाबंदियों के विरुद्ध जाकर बड़ी सभाओं में एकत्रित हो गए थे और उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक रूढ़िवादी कमेंटेटर के रिट्वीट का बचाव करते हुए यह बायन जारी किया है जिसमें, यह सवाल किया था कि क्या, मुसलमानों से भी उतनी ही कठोरता से पेश आया जाएगा, जितना कि ईसाइयों से पेश आया गया था. जिन्होंने सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन किया था.

ट्रम्प ने कहा कि मैं कहूंगा कि इसमें फर्क हो सकता है और हमें देखना होगा कि क्या होता है क्योंकि मैंने इस देश में काफी असमानता देखी है. वे इसाई गिरजाघरों के खिलाफ तो कदम उठाते हैं लेकिन मस्जिदों के खिलाफ नहीं. दरअसल ईस्टर के मौके पर कुछ ईसाई गैरकानूनी रूप से धार्मिक सभाओं में भाग लेने के लिए जन स्वास्थ्य संबंधी नियम तोड़ते पाये गये थे. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि इमाम सामाजिक दूरी के आदेशों का पालन करने से इनकार करेंगे, इस पर ट्रम्प ने कहा की नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता.

मैं भी धर्म में विश्वास रखता हूं और यह मायने नहीं रखता कि आपका धर्म क्या है. लेकिन हमारे नेता अलग धर्मों के साथ अलग-अलग व्यवहार करते दिखाई देते हैं. ट्रंप पर मुस्लिम विरोधी बयानबाजी के आरोप लगते रहे हैं. पद संभालने के बाद उन्होंने जो पहला कदम उठाया था वह था कई मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले यात्रियों पर पाबंदी लगाना.

अब तक अमेरिका में संक्रमण के अब तक 7,06,779 मामले सामने आये हैं, जबकि 37,079 लोगों की मौत हो चुकी है। कम-से-कम 59,672 लोग ठीक हो चुके हैं. अमेरिका और कनाडा को मिला कर 7,38,706 मामले सामने आये हैं और 38,445 मौतें हुई हैं. राष्ट्रीय प्राधिकरणों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से प्राप्त जानकारी के आधार पर एएफपी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों में बताये गये संक्रमण के मामलों की संख्या की तुलना में वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है। कई देश केवल गंभीर मामले की ही जांच कर रहे हैं.

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