Sheikh Hasina sentenced to death by ICT: बांग्लादेश में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सर्वोच्च दंड देने का फरमान सुना दिया है. जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के मामले में शेख हसीना को सोमवार को मौत की सजा सुनाई. उन्हें मानवता के खिलाफ अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है. हसीना और दो अन्य पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के खिलाफ अपराधों का मुकदमा चला. सोमवार को जस्टिस मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता वाली ICT ने यह फैसला सुनाया, जिसे लाइव प्रसारित किया गया. जजों ने 453 पन्नों के फैसले के छह भागों में से कई हिस्सों को पढ़कर सुनाया, जिसमें शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराया गया. ट्रिब्यूनल ने पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को मौत की सजा से राहत दी, क्योंकि वे सरकारी गवाह बन गए थे. उन्हें 5 साल जेल की सजा दी गई है.
शेख हसीना को तीन आरोपों में दोषी पाया गया
पहला- न्याय में बाधा डालना
दूसरा- हत्याओं का आदेश देना
तीसरा- दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम न उठाना.
कई रिपोर्टों का हवाला देते हुए, ट्रिब्यूनल के जजों ने कहा कि इसके प्रमाण हैं कि हसीना ने स्वयं ढाका में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था. यह भी बताया गया कि उनकी सरकार ने घायलों को चिकित्सा उपचार से वंचित किया, पीड़ितों को झूठे नामों से अस्पताल में भर्ती कराया और उनके गोली लगने के निशान छिपाए. एक डॉक्टर को अबू सैयद की पोस्ट-मोर्टम रिपोर्ट बदलने की धमकी भी दी गई.
शेख हसीना के खिलाफ निहत्थे लोगों के खिलाफ गोली चलवाने का आरोप है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान हसीना के एक ऑडियो को जारी किया था, जिसमें वे फायरिंग का आदेश दे रही हैं. कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें जुलाई-अगस्त 2025 के दौरान संघर्ष में 1400 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है. शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाते समय पीड़ित परिवार के लोग रो रहे थे. वहीं पूरा फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों ने तालियां बजाईं.
2024 चुनावों के बाद से बिगड़ने लगा था मामला
78 वर्षीय शेख हसीना के खिलाफ जनवरी 2024 में ही चुनाव के बाद मामला बनने लगा था. इस चुनाव में किसी भी विपक्षी पार्टी ने भाग लिया था, उनकी जीत को तानाशाही का रूप दिया जाने लगा था. इसके बाद अगस्त में छात्र विद्रोह के बाद बांग्लादेश हिंसा की आग में झुलसने लगा. आखिरकार शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा. वे फिलहाल भारत में हैं. उनकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस सरकार ने आवामी लीग को बैन कर दिया है. वहीं शेख हसीना ने हिंसा के पूरे घटनाक्रम के लिए मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया था.
कैसे-कैसे चला शेख हसीना का मामला
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 ने पिछले साल जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मामले में 453 पन्नों के फैसले का पाठ पढ़ा. मामून राज्य गवाह भी बने हैं, 2010 में ट्रिब्यूनल स्थापित होने के बाद ऐसा करने वाले पहले आरोपी. अभियोजन पक्ष ने पांच आरोप दायर करते हुए मृत्युदंड की मांग की थी और दोष सिद्ध होने पर तीनों की संपत्ति ज़ब्त करने का भी फैसला आया है.
मामला जुलाई विद्रोह के दौरान कथित सामूहिक हत्याओं, यातना और प्रदर्शनकारियों पर घातक कार्रवाई से जुड़ा है. हसीना और कमाल पहले से ICT में कई मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें जबरन गुमशुदगी और 2013 के शापला चत्तार कांड से जुड़े आरोप शामिल हैं. इस मामले की जांच पिछले साल दर्ज शिकायत के बाद शुरू हुई थी, जिसके आधार पर अभियोजन ने 8,747 पन्नों के दस्तावेजों के साथ 135 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की. 1 जून को औपचारिक आरोप स्वीकार होने के बाद 10 जुलाई को चार्ज फ्रेम हुए और 4 अगस्त को सुनवाई शुरू हुई. सूचीबद्ध 81 गवाहों में से 54 ने गवाही दी, जिनमें पूर्व IGP मामून और जांच अधिकारी भी शामिल थे.
23 अक्टूबर को बहस पूरी कर ट्रिब्यूनल ने 17 नवंबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की. यह विद्रोह के दौरान हुए अत्याचारों पर ट्रिब्यूनल का पहला फैसला होगा, जिसे अनुमति मिलने के बाद बांग्लादेश टेलीविजन और निजी चैनलों पर लाइव प्रसारित किया गया. इससे पहले 2 जुलाई को ICT-1 ने हसीना को एक फोन वार्ता में ट्रिब्यूनल पर टिप्पणी करने के लिए अदालत की अवमानना में छह महीने की सजा भी सुनाई थी. महीनों चली गवाही के दौरान उन पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक कार्रवाई का आदेश देने के आरोप दोहराए गए. फैसला अब बांग्लादेश के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक मामलों में से एक माना जा रहा है.
क्या थे शेख हसीना के ऊपर आरोप
काउंट-1: हत्या, हत्या का प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्य. आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अवामी लीग तथा उसकी सहयोगी इकाइयों के सशस्त्र कैडरों द्वारा नागरिकों पर किए गए अपराधों में उकसाने, सहायता करने, सहयोग करने और रोकने में विफल रहने का अपराध किया.
काउंट-2: छात्र प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए घातक हथियारों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन के इस्तेमाल का आदेश देना. इसमें कथित रूप से कमांड जिम्मेदारी, साजिश, सहायता और सहयोग शामिल है.
काउंट-3: 16 जुलाई को बेगम रौकैया विश्वविद्यालय के छात्र अबु सैयद की हत्या. आरोप है कि उन्होंने हत्या के आदेश दिए, उकसाया, साजिश की, सहायता की और अपराध में सहयोगी रहे.
काउंट-4: 5 अगस्त को राजधानी के चांकहरपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या की साजिश और आदेश देना- प्रत्यक्ष आदेश, उकसावे, साजिश, सहायता और सुविधा प्रदान करने के आरोप के साथ.
काउंट-5: पांच प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या और एक को घायल करना. आरोप है कि आरोपियों ने पांचों शवों को जलाया और एक अन्य प्रदर्शनकारी को जिंदा जलाया, कथित रूप से सहायता, साजिश और उकसावे के माध्यम से.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ फैसले को भले ही सुना दिया गया है. लेकिन वे भारत में हैं, ऐसे में उनको कोई भी दंड देना संभव नहीं होगा. जब अभियोजकों से इस बाबत पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इस मामले को सुलझाने के लिए सभी कानूनी पक्षों को देखेगा.
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