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अमेरिका आओ; हमें सिखाओ और घर जाओ, US ट्रेजरी सेक्रेटरी ने समझाई ट्रंप की H-1B वीजा पॉलिसी

Scott Bessent on Donald Trump H-1B Visa Comment: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों ऐसा बयान दिया, जिससे लगा कि उनका रुख एच-1बी वीजा पर नरम पड़ रहा है. लेकिन कुछ घंटे ही बीते हैं कि उनके ट्रेजरी सेक्रेटरी ने ट्रंप की बात को एक तरह से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि विदेशी साझेदार आएं, अमेरिकी कर्मचारियों को सिखाएं और फिर लौट जाएं.

Scott Bessent on Donald Trump H-1B Visa Comment: एच-1बी वीजा अमेरिका के गले की ऐसी फांस बन गया है, जिसे न तो वह उगल पा रहा है और न ही निगल पा रहा है. दो दिन भी नहीं बीते जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुशल प्रवासी कर्मचारियों का बचाव किया. उन्होंने कहा था कि अमेरिका को दुनिया भर से और अधिक कुशल लोगों को लाने की जरूरत है. ट्रंप के हालिया बयान को कई लोगों ने H-1B वीजा नीति पर नरम रुख के संकेत के रूप में देखा था. लेकिन अब ट्रंप के ट्रेजरी सेक्रेटरी ने स्कॉट बेसेंट ने उसका अलग ही मतलब पेश कर दिया है.  उनके मुताबिक इस नीति का मकसद कुशल विदेशी विशेषज्ञों को अमेरिका बुलाकर वहां के कर्मचारियों को प्रशिक्षित कराना है, न कि उनकी जगह लेना.

डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा था कि अमेरिका को दुनिया भर से ज्यादा कुशल लोगों की जरूरत है. उसी इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकियों के पास कुछ खास प्रतिभाएं नहीं हैं और यह भी कहा कि हमें लोगों को प्रशिक्षित करना होगा. ट्रंप की टिप्पणियों को अमेरिका की इमिग्रेशन नीति में नरमी के संकेत के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन इस बयान पर अमेरिका में ही बवाल मचना शुरू हो गया.  हालांकि, अब स्कॉट बेसेंट ने इस पर अमेरिका की स्थिति स्पष्ट की है.

स्कॉट बेसेंट ने क्या कहा?

फॉक्स न्यूज के एंकर ब्रायन किल्मीड से बातचीत में बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति की नई H-1B वीजा नीति का फोकस नॉलेज ट्रांसफर पर है. उन्होंने कहा कि यह नीति इसलिए बनाई गई है ताकि कुशल विदेशी कर्मचारी अमेरिका आएं, अमेरिकी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें, और फिर अपने देश लौट जाएं, न कि वे स्थायी रूप से अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां ले लें.

बेसेंट ने कहा, “मेरा मानना है कि राष्ट्रपति का विजन यह है कि विदेशी कर्मचारी तीन, पांच या सात साल के लिए आएं, अमेरिकी कर्मचारियों को ट्रेन करें, फिर अपने देश लौट जाएं. उसके बाद अमेरिकी कर्मचारी पूरी तरह से जिम्मेदारी संभाल लेंगे.” जब उनसे पूछा गया कि जब अमेरिकी खुद यह काम कर सकते हैं, तो विदेशी कर्मचारियों की जरूरत क्यों है, तो उन्होंने कहा, “अभी कोई अमेरिकी वह नौकरी नहीं कर सकता, कम से कम अभी नहीं. क्योंकि हमने अमेरिका में वर्षों से जहाज नहीं बनाए, न ही सेमीकंडक्टर बनाए हैं. इसलिए यह विचार कि विदेशी साझेदार आएं, अमेरिकी कर्मचारियों को सिखाएं और फिर लौट जाएं. यह एक शानदार कदम है.”

ट्रंप ने क्या कहा था?

इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि जिन लोगों ने लंबे समय से नौकरी नहीं की है, उन्हें मैन्युफैक्चरिंग और रक्षा जैसे तकनीकी क्षेत्रों में बिना उचित प्रशिक्षण के नहीं लगाया जा सकता. जब उनसे पूछा गया कि क्या H-1B वीजा प्रतिबंध उनकी सरकार की प्राथमिकता नहीं होंगे, तो ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को दूसरे देशों से कुशल कर्मचारियों की जरूरत है.

उन्होंने कहा, “हमें देश में प्रतिभाशाली लोगों को लाना होगा.” जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका के पास पहले से पर्याप्त प्रतिभा है, तो ट्रंप ने जवाब दिया, “नहीं, आपके पास नहीं है… नहीं है… आपके पास कुछ खास प्रतिभाएं नहीं हैं और लोगों को सीखना होगा.” हम बेरोजगारों को सीधे मिसाइल या आधुनिक मशीनों को बनाने वाली फैक्ट्रियों में नहीं लगा सकते, क्योंकि ऐसा टैलेंट खुद नहीं आता, इसे सिखाना पड़ता है. 

एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती

एच-1बी वीजा पर ट्रंप सरकार ने सख्ती अपनाई हुई है. इस वीजा के तहत नए आवेदनों पर अमेरिकी प्रशासन ने एक लाख डॉलर का शुल्क लगा दिया है. यह ट्रंप के सपोर्ट बेस मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का सबसे बड़ा मुद्दा है. हालांकि ट्रंप की इस नीति से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय लोगों को ही होगा.  

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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