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सरकारी वेबसाइट पर व्लादिमीर पुतिन का दावा, ‘हमेशा से रूस का हिस्सा था यूक्रेन’, जानें पूरा इतिहास

फेथ हिलीस ने आगे बताया कि 14वीं सदी में जब मंगोलों का पतन हो रहा था, उस वक्त कीव पर एक और खतरा मंडरा रहा था. पोलैंड अपनी सीमाओं के विस्तार की तैयारी कर रहा था और इसका नेतृत्व रोमन कैथलिकों के हाथ में था. पोलैंड और लिथुआनिया ने आपस में हाथ मिला लिया और 16वीं सदी में ये दक्षिण की तरफ पैर फैलाने लगे.

नई दिल्ली : रूस यूक्रेन युद्ध का आज 22वां दिन है. इस दौरान दोनों देशों के रिश्तों को लेकर रोजाना कोई न कोई नए दावे किए जा रहे हैं. अमेरिका यूक्रेन को रूस से हटाकर यूरोप और नाटो में शामिल कराना चाहता है, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार यह दावा कर रहे हैं कि यूक्रेन रूस का अभिन्न अंग है. बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 12 जुलाई 2021 को ही वहां की सरकारी वेबसाइट पर करीब 6000 शब्दों में एक लेख लिखकर यह दावा किया है कि यूक्रेन हमेशा से रूस का हिस्सा रहा है. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने लेख में यह भी कहा है कि अकेले यूक्रेन ही नहीं बेलारूस भी रूस का ही हिस्सा है.

रूस को सबसे बड़ा दुश्मन क्यों मानता है यूक्रेन?

सरकारी वेबसाइट पर लिखे लेख में व्लादिमीर पुतिन ने यह दावा भी किया है कि रूस, यूक्रेन और बेलारूस प्राचीन रूस का हिस्सा थे. इतना ही नहीं, विशाल स्लाविक देश रूस कभी यूरोप का सबसे बड़ा देश हुआ करता था. लेख में यह दावा भी किया गया है कि रूस और यूक्रेन के पूर्वज कीवन रूस नाम के एक स्लाविक देश का हिस्सा थे. वाइकिंग ओलेग ने नौवीं सदी में इसकी स्थापना की थी. पुतिन के अनुसार, 20वीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन ने अपनी एक अलग ‘काल्पनिक’ पहचान बनानी शुरू की और फिर रूस विरोधी पश्चिमी देशों के प्रभाव आने के बाद वह रूस को अपना दुश्मन समझने लगा.

1000 साल पहले अस्तित्व में आया था कीवन रूस

शिकागो विश्वविद्यालय में रूसी इतिहास की प्रोफेसर फेथ हिलीस के हवाले से बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘करीब 1000 साल पहले बाल्टिक और काला सागर के बीच आज के यूक्रेन में छोटे-छोटे समुदाय में लोग रहा करते थे.’ उन्होंने कहा कि ये सभी स्लाविक समुदाय के थे और अलग-अलग कबीलों में बंटकर असंगठित थे. प्रचलित कहानियों के अनुसार, इन समुदायों ने निप्रो नदी के रास्ते स्कैंडिनेविया से बाइजेंटीयम आने-जाने वाले स्कैंडिनेवियन व्यापारियों के नेतृत्व में एकजुट होकर नया देश बनाने का फैसला किया. दुनिया के मानचित्र पर नया देश कीवन रूस बना और इसकी राजधानी कीव थी. ये स्लाविक लोग न तो यूक्रेनी और न ही रूसी थे, बल्कि इसमें आदिवासी, खानाबदोश, मुसलमान और यहूदी जैसे गैर-स्लाविक समुदाय के लोग भी शामिल थे.

14वीं सदी में रूस, यूक्रेन और बेलारूस का हुआ उदय

बीबीसी को प्रोफेसर फेथ हिलीस ने बताया कि कीवन रूस के अलग-अलग समुदायों को एक ऑर्थोडॉक्स धार्मिक आस्था ने आपस में जोड़कर रखा था, जिसके तार रोमन साम्राज्य के पूर्व से जुड़े थे. यहां कई कबीलों ने ऑर्थोडॉक्स ईसाई धर्म अपनाया. हालांकि यहां अलग-अलग नस्लीय समुदाय भी रहे. 13वीं सदी में मंगोलों ने कीवन रूस पर आक्रमण किया. यहां की स्लाविक आबादी तीन बड़े हिस्सों में बंट गई. आने वाले वक्त में ये इलाके आधुनिक दुनिया के रूस, यूक्रेन और बेलारूस बने.

16वीं सदी में पोलैंड और लिथुआनिया ने कीव पर किया कब्जा

फेथ हिलीस ने आगे बताया कि 14वीं सदी में जब मंगोलों का पतन हो रहा था, उस वक्त कीव पर एक और खतरा मंडरा रहा था. पोलैंड अपनी सीमाओं के विस्तार की तैयारी कर रहा था और इसका नेतृत्व रोमन कैथलिकों के हाथ में था. पोलैंड और लिथुआनिया ने आपस में हाथ मिला लिया और 16वीं सदी में ये दक्षिण की तरफ पैर फैलाने लगे. कीव पर पोलैंड-लिथुआनिया का शासन हो गया. यहां एक ऑर्थोडॉक्स समूह ने सिर उठाना शुरू किया. ये वही लोग थे, जो पोलैंड-लिथुआनिया के तौर-तरीकों को नापसंद करते थे. ये कोसाक थे, जो खुद को पोलैंड और कैथलिकों द्वारा सताए ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों की आवाज मानते थे.

18वीं सदी में रूस के पूर्वी हिस्से में शामिल था यूक्रेन

फेथ हिलीस बताती हैं 18वीं सदी में औपचारिक तौर पर रूसी साम्राज्य के गठन के समय यूक्रेन रूस का पूर्वी हिस्सा में शामिल था. यहां की अपनी संस्कृति, अपना स्वायत्त शासन और अपने नेता थे. 1762 में रूस की साम्राज्ञी बनी कैथरीन द ग्रेट का मानना था कि इस हिस्से का स्वतंत्र रहना उनसे शासन के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है. उन्होंने बताया कि कैथरीन द ग्रेट ने इसका दमन किया. उस वक्त यूक्रेन का एक औपचारिक इलाका हुआ करता था, जिसे उन्होंने खत्म कर दिया. उन्होंने कोसाक द्वारा बनाई स्वायत्त शासन व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया.

1917 की रूसी क्रांति के बाद महाशक्ति सोवियत संघ का हुआ उदय

यूरोपीय देशों की आपसी साम्राज्यवादी तनातनी के बाद 1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ तो उसके तीन साल बाद रूस में 1917 में महान बोल्शेविक क्रांति हुई. इस क्रांति के बाद यूरेशिया (यूरोप और एशिया) में एक नई महाशक्ति सोवियत संघ का उदय हुआ. सोवियत संघ को ही सोवियत रूस कहा जाता था. वर्ष 1991 में यहां के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव की तानाशाही नीतियों की वजह से सोवियत संघ टूट गया और इसमें शामिल यूक्रेन-बेलारूस सोवियत रूस से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन गए.

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यूक्रेन की आजादी

इतिहासकार बताते हैं कि 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन ने खुद को रूस से अलग एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. दिसंबर 1991 में बेलारूस में रूस, बेलारूस और यूक्रेन के नेताओं की बैठक हुई. तीनों में सोवियत संघ से बाहर जाने को लेकर सहमति बनी. सोवियत युग का अंत हो गया. यूक्रेन अब एक स्वतंत्र राष्ट्र बन चुका था. इसके बाद से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष लगातार जारी है.

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