Russia Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली बैठक से पहले कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन सीजफायर समझौते के तहत डोनेत्स्क क्षेत्र के उस बचे हुए 30 प्रतिशत हिस्से से भी पीछे हट जाए, जिस पर अभी यूक्रेन का नियंत्रण है. जेलेंस्की ने दोहराया कि यूक्रेन अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि यह असंवैधानिक है और इससे भविष्य में रूस को फिर से हमला करने में मदद मिल सकती है.
क्यों खास है डोनबास?
डोनेत्स्क बेसिन को ही डोनबास के नाम से जाना जाता है. यह यूक्रेन का पूर्वी क्षेत्र है. यहां फिलहाल कीव का कब्जा है. डोनेत्स्क का शेष 9,000 वर्ग किलोमीटर (3,500 वर्ग मील) क्षेत्र पर रूस की नजर है. दोनों देशों के बीच खासकर इस क्षेत्र पर कब्जे को लेकर कड़ी लड़ाई जारी है. डोनबास यूक्रेन का दिल है. यह इंडस्ट्रियल हब है. यहां कोयले का विशाल भंडार है. जिसे डोनेत्स्क कोयला बेसिन कहा जाता है. कोयले की खदानें यूक्रेन की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. इसके अलावा यहां स्टील, धातु, रसायन और मशीनरी उद्योग विकसित हैं. कोयला के अलावा यहां प्राकृतिक गैस और खन्य खनिज संसाधन भी मौजूद हैं.
डोनबास पर क्यों है पुतिन की नजर?
यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र के लिए बहुत अहम माना जाता है. पुतिन लंबे समय से इस पर कब्जा करना चाहते हैं. यह क्षेत्र यूक्रेन और रूस के सीमा पर है. इसलिए यहां यूक्रेन और रूसी दोनों संस्कृति पाई जाती है. डोनबास में एक बड़ी आबादी रूसी भाषा बोलती है. रूसी संस्कृति को भी मानते हैं. डोनबास में रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेन सेना के बीच संघर्ष का प्रमुख केंद्र भी रहा है. पीपुल्स रिपब्लिक संगठन रूस के समर्थन में है. डोनबास को रूस अगर अपने कब्जे में करने में कामयाब होता है, तो ऊर्जा के क्षेत्र में उसकी ताकत और बढ़ जाएगी. इसके अलावा इससे यूक्रेन और कमजोर हो जाएगा.
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