36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पाकिस्तान में विपक्ष को मिलेगा सरकार बनाने का मौका या होगा आम चुनाव? सुप्रीम कोर्ट आज करेगा फैसला

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान के खिलाफ नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली भंग करने को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद सभी सरकारी संस्थाओं को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने से बचने का आदेश दिया है.

इस्लामाबाद/नई दिल्ली : इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने और नेशनल असेंबली भंग होने के बाद पाकिस्तान में आम चुनाव होगा या फिर विपक्ष को सरकार बनाने का मौका मिलेगा? पाकिस्तान का राजनीतिक भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका है. पाकिस्तान में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली भंग और सदन के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के मामले में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कदम अदालत के आदेश के अधीन होंगे.

रविवार को अदालत में अवकाश होने के बावजूद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान के खिलाफ नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली भंग करने को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद सभी सरकारी संस्थाओं को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने से बचने का आदेश दिया है. इसके साथ ही जस्टिस बंदियाल ने इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई एक दिन के लिए स्थगित कर दी.

नेशनल असेंबली में इमरान खान ने खोया बहुमत

इससे पहले रविवार को ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली (एनए) को भंग कर दिया. इससे कुछ ही देर पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. खान ने संसद के निचले सदन 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में प्रभावी तौर पर बहुमत खो दिया था.

उपाध्यक्ष को सुप्रीम का नोटिस

प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने इस पूरी स्थिति का संज्ञान लिया और तीन सदस्यीय पीठ ने वीकेंड के बावजूद प्रारंभिक सुनवाई की तथा राष्ट्रपति अल्वी और नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष सूरी सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए. अदालत ने सभी पक्षों को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने से बचने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी.

राष्ट्रपति और पीएम के आदेश अदालत के अधीन

प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कदम अदालत के आदेश के अधीन होंगे. इससे पहले, विपक्ष ने सर्वोच्च अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और सदन में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली को भंग किए जाने को चुनौती देने की अपनी पार्टी के फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि हम उपाध्यक्ष के फैसले और प्रधानमंत्री की सलाह को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं.

उपाध्यक्ष पर चलाया जाए देशद्रोह का केस : बार एसोसिएशन

सुप्रीम कोर्ट बार के अध्यक्ष अहसान भून ने कहा कि प्रधानमंत्री और उपाध्यक्ष की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी एक याचिका दायर कर अदालत से नेशनल असेंबली भंग करने के साथ-साथ उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) के फैसले को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है.

उपाध्यक्ष की कार्रवाई से राजनीतिक संकट

नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद यह संकट उत्पन्न हुआ. इससे प्रधानमंत्री खान को संसद को भंग करने के लिए देश के राष्ट्रपति को एक सिफारिश करने का मौका मिल गया, जो वह अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का कोई परिणाम आने तक नहीं कर सकते थे.

आठ मार्च को पेश किया गया था अविश्वास प्रस्ताव

संयुक्त विपक्ष आठ मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. देश की राजनीतिक स्थिति तब तक विपक्ष के पक्ष में थी, जब तक कि खान यूक्रेन पर एक स्वतंत्र विदेश नीति का अनुपालन करने को लेकर अमेरिका द्वारा उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश की बात लेकर नहीं आए थे. जाने-माने संवैधानिक अधिवक्ता सलमान अकरम राजा ने कहा कि उपाध्यक्ष द्वारा अपनाई गई पूरी प्रक्रिया और नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए प्रधानमंत्री की सलाह असंवैधानिक है.

पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

अकरम राजा ने कहा कि पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा. उन्होंने कहा कि मूल मुद्दा उपाध्यक्ष द्वारा फैसले की वैधता का निर्धारण करना है. अगर सर्वोच्च अदालत कहती है कि फैसला कानूनों के अनुसार है, तो प्रधानमंत्री की सलाह भी कानून के अनुसार होगी.

Also Read: इमरान खान की सरकार जाते ही पत्नी बुशरा बीबी की सहेली ने पाकिस्तान छोड़ा, जानें क्‍यों है इसकी चर्चा
उपाध्यक्ष की कार्रवाई संवैधानिक रूप से गलत : सिंघवी

वहीं, भारत के जाने-माने वकील और पूर्व मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान का कदम संवैधानिक रूप से गलत है. उन्होंने मुद्दे पर कुछ बिंदुओं को उल्लेखित करते हुए ट्वीट किया कि किसी भी कॉमन लॉ सिस्टम में किसी भी उपाध्यक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव को राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर खारिज करने की शक्ति नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें