37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

32.1 करोड़ किमी दूर क्षुद्र ग्रह पर पहुंचा नासा का अंतरिक्ष यान, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का खुलेगा रहस्य

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' के ओसीरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने करीब चार साल की लंबी यात्रा के बाद मंगलवार को क्षुद्र ग्रह बेन्नू की उबड़-खाबड़ सतह को स्पर्श किया और रोबोटिक हाथ से क्षुद्र ग्रह के चट्टानों के नमूनों को एकत्र किया, जिनका निर्माण हमारे सौर मंडल के जन्म के वक्त हुआ था.

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के ओसीरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने करीब चार साल की लंबी यात्रा के बाद मंगलवार को क्षुद्र ग्रह बेन्नू की उबड़-खाबड़ सतह को स्पर्श किया और रोबोटिक हाथ से क्षुद्र ग्रह के चट्टानों के नमूनों को एकत्र किया, जिनका निर्माण हमारे सौर मंडल के जन्म के वक्त हुआ था. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि ”ऑरिजिन, स्पेक्ट्रल इंटरप्रटेशन, रिसॉर्स आइडेनटिफिकेशन, सिक्युरिटी, रेगोलिथ एक्सप्लोर्र (ओसीरिस-रेक्स) अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी के करीब क्षुद्र ग्रह को हाल में स्पर्श किया और उसकी सतह से धूल कण और पत्थरों को एकत्र किया और वह वर्ष 2023 में धरती पर लौटेगा. क्षुद्र ग्रह इस समय पृथ्वी से 32.1 करोड़ किलोमीटर से अधिक की दूरी पर अवस्थित है.

नासा ने कहा कि यह वैज्ञानिकों को सौर मंडल की शुरुआती अवस्था को समझने में मदद करेगा, क्योंकि इसका निर्माण अरबों साल पहले हुआ था और साथ ही उन तत्वों की पहचान करने में मदद करेगा, जिससे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई. नासा ने कहा कि मंगलवार को नमूना एकत्र करने के अभियान ,जिसे ‘टच ऐंड गो’ (टैग) के नाम से जाना जाता है, में पर्याप्त मात्रा में नमूना एकत्र होता है, तो मिशन टीम यान को नमूने के साथ मार्च 2021 में धरती पर वापसी की यात्रा शुरू करने का निर्देश देगी. अन्यथा अगले साल जनवरी में एक और कोशिश की जायेगी.

नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेनस्टाइन ने कहा, ”यह आश्चर्यजनक रूप से पहली बार है, जब नासा ने प्रदर्शित किया कि कैसे अभूतपूर्व टीम ज्ञान की सीमा को विस्तार देने के लिए अभूतपूर्व चुनौती के बीच काम करती है.” ब्रिडेनस्टाइन ने कहा, ”हमारे उद्योग, शिक्षाविदों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने सौर मंडल की सबसे प्राचीन वस्तु को हमारे हाथ में लाना संभव कर दिया.” ओरीसिस रेक्स ने स्वयं को बेन्नू की कक्षा के पास लाने के लिए प्रक्षेपक का इस्तेमाल किया. इसके बाद 3.35 मीटर लंबे रोबोटिक हाथ को क्रमवार खोला, ताकि क्षुद्र ग्रह के नमूने को एकत्र किया जा सके.

इसके बाद यान ने क्षुद्र ग्रह की सतह से करीब 805 मीटर दूरी तक पहुंचने के लिए चक्कर लगाया और करीब साढ़े चार घंटे के बाद सतह से 125 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा. इसके बाद यान ने सतह पर पहुंचने की पहली ‘चेकप्वाइंट’ बर्न नामक प्रक्रिया की, ताकि लक्षित नमूनों को एकत्रित किया जा सके, जिसे ‘नाइटिंगल’ नाम दिया गया था. इसके करीब 10 मिनट बाद यान ने प्रक्षेपक को दूसरी प्रक्रिया के तहत सतह से ऊंचाई कम करने एवं क्षुद्र ग्रह के संपर्क में आने के वक्त उसके घृणन से ताल मिलाने के लिए दूसरा ‘मैच प्वाइंट’ बर्न शुरू किया.

इसके बाद यान, बेन्नू क्षुद्र ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में बने क्रेटर पर उतरने से पहले 11 मिनट तक दो मंजिला इमारत के बराबर चट्टान ‘माउट डूम’ के पास से गुजरा. नासा के विज्ञान मिशन में एसोसिएट प्रशासक थॉमस जुरबुचेन ने कहा, ”यह अभूतपूर्व उपलब्धि है. आज हमने विज्ञान और इंजीनियरिंग दोनों में उन्नति की है और सौर मंडल के इन प्राचीन रहस्यमयी कथाकारों के अध्ययन के लिए भविष्य के मिशन की संभावना बढ़ी है.” गौरतलब है कि ओसीरिस रेक्स को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप केनवेरेल वायुसेना केंद्र से आठ सितंबर, 2016 को रवाना किया गया था. यह यान तीन दिसंबर को बेन्नू पहुंचा और उसी महीने से उसकी कक्षा में चक्कर लगा रहा है. सैंपल रिटर्न कैप्सूल के 24 सितंबर, 2023 को धरती पर लौटने का कार्यक्रम निर्धारित है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें