Myanmar Under Military Rule: म्यांमार में हिरासत में लिये गये लोगों को वहां की सेना बुरी तरह से प्रताड़ित कर रही है. एक दिल दहला देने वाली कहानी सामने आयी है, जिसमें कहा गया है कि ग्रामीण म्यांमार में सैन्यकर्मियों ने एक युवक की खाल को चिमटे से खींचा और उसके सीने पर तब तक लात मारते रहे , जब तक उसके लिए सांस लेना मुश्किल नहीं हो गया.
इसके बाद उन्होंने उसके परिवार को लेकर भी उसे तब तक ताने दिये, जब तक वह शिथिल नहीं पड़ गया. सैनिकों ने युवक का उपहास उड़ाते हुए कहा, ‘तेरी मां अब तुझे नहीं बचा सकती.’ इस युवक और उसके मित्र को उस समय अचानक गिरफ्तार कर लिया गया था, जब वे अपनी मोटरसाइकिल से अपने घर जा रहे थे. सेना द्वारा उत्पीड़न केंद्र में तब्दील किये गये एक टाउन हाल में उन्हें घंटों प्रताड़ित किया गया.
युवक ने कहा, ‘वे लोग रुक ही नहीं रहे थे. वे लगातार यातनाएं दे रहे थे.’ उसने कहा, ‘मैं केवल अपनी मां के बारे में सोच रहा था.’ सैनिकों ने टाउन हॉल के अंदर युवक को तेज चट्टानों पर घुटने टेकने के लिए मजबूर किया. उसके मुंह में बंदूक तान दी और उसके पैरों पर लाठियां बरसायीं. उन्होंने अपनी चप्पलों से उसके चेहरे पर हमला किया.
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उन्होंने युवक से चिल्लाकर कहा, ‘मुझे बताओ, मुझे बताओ.’ असहाय युवक ने उत्तर दिया, ‘मैं आपको क्या बताऊं?’ जब उसे लगा कि पूछताछ करने वाले सैनिक शांत हो गये हैं, तो उसने स्वयं से कहा, ‘मैं मरने वाला हूं. मां, मैं आपसे प्यार करता हूं.’ म्यांमा में इस साल फरवरी में तख्तापलट के बाद से देशभर में हिरासत में लिये गये लोगों को सेना बड़े ही सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित कर रही है.
हिरासत में लेने के बाद हाल में रिहा किये गये 28 लोगों के साक्षात्कार के बाद इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को यह जानकारी मिली. तस्वीरों संबंधी साक्ष्य, रेखाचित्रों और पत्रों के साथ-साथ हाल में दोषद्रोही करार दिये गये सैन्य अधिकारियों की गवाही के आधार पर की गयी एपी की रिपोर्ट तख्तापलट के बाद से अत्यंत गोपनीय हिरासत प्रणाली के बारे में समग्र जानकारी देती है.
सेना और पुलिस ने फरवरी से 1,200 से अधिक लोगों की कथित रूप से हत्या कर दी है. कैदियों ने कहा कि अधिकतर लोगों को सैन्य परिसर में यातनाएं दी गयीं, लेकिन सेना ने सामुदायिक सभागारों और शाही महल जैसी सार्वजनिक सुविधाओं को पूछताछ केंद्रों में बदल दिया है. एपी ने इंटरव्यू एवं सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर जेलों और पुलिस लॉकअप के अलावा म्यांमार में दर्जनों पूछताछ केंद्रों की पहचान की है.
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कैदी देश के विभिन्न हिस्सों से और विभिन्न जातीय समूहों से संबंध रखते हैं. इनमें 16 वर्षीय लड़की से लेकर बौद्ध भिक्षु तक शामिल हैं. कुछ लोगों को सेना के खिलाफ विरोध करने के लिए हिरासत में लिया गया था, जबकि कुछ लोगों को बिना किसी स्पष्ट कारण के हिरासत में लिया गया.
इन कैदियों से कई सैन्य इकाइयों और पुलिस ने पूछताछ की, लेकिन पूरे म्यांमार में उनके प्रताड़ित करने के तरीके समान थे. एपी ने कैदियों के नाम उजागर नहीं किये हैं, ताकि सेना की कार्रवाई से उनकी रक्षा की जा सके.
Posted By: Mithilesh Jha