Donald Trump mocked by Armenia and Azerbaijan leaders: डोनाल्ड ट्रंप और उनके दावे अब मजाक का विषय बनते जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर हो रही ट्रॉलिंग अब वैश्विक नेताओं के बीच की बातचीत में भी अपनी जगह बनाती जा रही है. ट्रंप ने दुनिया भर में 7 युद्ध रुकवाने का खूब डंका बजाया, उन्होंने इसके लिए नोबेल पुरस्कार तक की मांग कर दी. हाल ही में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अल्बानिया और अजरबैजान के बीच भी युद्ध रुकवाया है. इसी टिप्पणी पर दोनों संबंधित देशों के शीर्ष नेता ट्रंप की भौगोलिक जानकारी पर चुटकी लेते देखे गए, इस दौरान उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी थे.
गुरुवार को कोपेनहेगन में आयोजित यूरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी की बैठक में अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव बातचीत करते नजर आए. इसी दौरान अल्बानियाई पीएम ने अजरबैजान के राष्ट्रपति को मजाक में कहा, “आपको हमसे माफी माँगनी चाहिए क्योंकि आपने हमें बधाई नहीं दी उस शांति समझौते पर जो राष्ट्रपति ट्रंप ने अल्बानिया और अजरबैजान के बीच कराया था.” इस पर अलीयेव जोर से हँस पड़े. मैक्रों ने भी हंसी में जवाब दिया, “इसके लिए मैं माफी चाहता हूँ.”
ट्रंप अक्सर अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों का बखान करते समय अल्बानिया और आर्मेनिया के बीच में भ्रमित हो जाते हैं. पिछले महीने फॉक्स न्यूज पर ट्रंप ने दावा किया था, “मैंने वो युद्ध सुलझा दिया जो असुलझा था- अजरबैजान और अल्बानिया, ये कई सालों से चल रहा था. मैंने वहाँ के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को अपने दफ्तर में बुलाया.” यहाँ तक कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी ट्रंप चूक गए थे. उन्होंने इस दौरान भी कहा था, “हमने एबर-बैजान और अल्बानिया को सुलझा दिया,” जिसमें उन्होंने एक देश का नाम गलत उच्चारित किया और दूसरे को गलत पहचाना.
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुई थी बात
असलियत में, ट्रंप की कूटनीतिक उपलब्धि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुई थी, जिनके नेताओं ने अगस्त में वॉशिंगटन डीसी के व्हाइट हाउस में अमेरिकी मध्यस्थता में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते ने दशकों से चले आ रहे संघर्ष को खत्म किया. रिपब्लिकन नेता ट्रंप इसे अपनी कूटनीतिक क्षमता का सबूत बताते रहे हैं और इसे उन युद्धों की सूची में शामिल करते हैं जिन्हें वे अपने लिए नोबेल शांति पुरस्कार का दावा करने हेतु गिनाते हैं.
उन्होंने यह भी दावा किया है कि व्हाइट हाउस लौटने के बाद से उन्होंने 7 युद्ध खत्म किए हैं. उनकी तथाकथित उपलब्धियों में सर्बिया और कोसोवो, यहाँ तक कि मिस्र और इथियोपिया भी शामिल हैं, जबकि इन देशों के बीच कोई युद्ध चल ही नहीं रहा था. उनके युद्ध सुलझाने की उपलब्धियों में भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं. हालांकि भारत ने इससे पूरी तरह इनकार किया था. उन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार भारत-पाक युद्ध विराम करवाने का दावा किया है.
अजरबैजान-आर्मेनिया और अल्बानिया कहां हैं?
अजरबैजान दक्षिण काकेशस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश है, जिसकी राजधानी बाकू है. यह कैस्पियन सागर के पश्चिमी तट पर स्थित है और इसकी सीमाएँ रूस, जॉर्जिया, आर्मेनिया, ईरान और तुर्की (एक छोटे कॉरिडोर से) से लगती हैं. अजरबैजान ऊर्जा संसाधनों, विशेषकर तेल और गैस, के कारण रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है. इस देश का आर्मेनिया के साथ नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा है, जो कई बार युद्ध का रूप ले चुका है.
वहीं आर्मेनिया एक भूमि-रुद्ध (लैंडलॉक्ड) देश है, जो दक्षिण काकेशस क्षेत्र में स्थित है और इसकी राजधानी येरेवन है. इसके पड़ोसी देश जॉर्जिया, अजरबैजान, तुर्की और ईरान हैं. आर्मेनिया का इतिहास प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ा है और यहाँ ईसाई धर्म को सबसे पहले अपनाने वाले राष्ट्रों में से एक होने का गौरव है. जबकि अजरबैजान मुस्लिम बाहुल्य देश है. अजरबैजान का आर्मेनिया के साथ नागोर्नो-कराबाख विवाद की वजह से संबंध बेहद तनावपूर्ण रहा है. इस संघर्ष ने आर्मेनिया की सुरक्षा और विदेश नीति को गहराई से प्रभावित किया है.
वहीं अल्बानिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप के बाल्कन प्रायद्वीप पर स्थित एक छोटा लेकिन रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है. इसकी राजधानी तिराना है और यह मोंटेनेग्रो, कोसोवो, उत्तरी मैसेडोनिया और ग्रीस से घिरा हुआ है. इसके पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में एड्रियाटिक और आयोनियन सागर स्थित हैं. अल्बानिया यूरोप का हिस्सा है और इसकी कोई राजनीतिक या सैन्य प्रतिद्वंद्विता अजरबैजान या आर्मेनिया से नहीं रही है, दोनों देशों के बीच लगभग 2000 किलोमीटर की दूरी है. हालांकि नाम की वजह से डोनाल्ड ट्रंप नाम की वजह से दोनों देशों के बीच भ्रम में पड़ जाते हैं.
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