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अमेरिका ने चीन सेमीकंडक्टर पर टैरिफ टाला, 2027 तक नया टैक्स नहीं, चिप्स को लेकर बढ़ी वैश्विक टेंशन

China Semiconductor Tariff: सेमीकंडक्टर, या चिप्स को लेकर अमेरिका और चीन के बीच नए टकराव की संभावना बढ़ गई है. अमेरिका ने जांच के बाद चीन की चिप इंडस्ट्री पर नए टैरिफ को कुछ समय के लिए टाल दिया है, लेकिन 2027 की डेडलाइन अभी भी बनी हुई है. जानिए क्यों चिप्स ग्लोबल पॉलिटिक्स में सबसे बड़ा युद्ध का मैदान बन गए हैं.

China Semiconductor Tariff: मोबाइल, लैपटॉप, कार, मिसाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज की दुनिया चिप्स पर चल रही है. और जब चिप्स की बात आती है, तो अमेरिका और चीन आमने-सामने खड़े दिखते हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों देशों के बीच एक नई ‘चिप वॉर’ शुरू होने वाली है? ताजा घटनाक्रम कुछ ऐसा ही इशारा कर रहा है, लेकिन फिलहाल अमेरिका ने कदम थोड़ा संभलकर रखा है. अमेरिका ने फिलहाल चीन से आने वाली सेमीकंडक्टर चिप्स पर नए टैरिफ लगाने का फैसला टाल दिया है. यानी अभी चीन की चिप्स पर कोई नया टैक्स नहीं लगेगा. 

यह राहत कम से कम मिड-2027 तक बनी रहेगी. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. इसी साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक अनौपचारिक व्यापार समझौता हुआ था, जिसके बाद बातचीत का रास्ता खुला.

China Semiconductor Tariff in Hindi: चीन की चिप इंडस्ट्री पर अमेरिका की लंबी जांच

अमेरिका के यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) ने इस हफ्ते एक अहम रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट करीब एक साल तक चली जांच का नतीजा है. इस जांच की शुरुआत जो बाइडेन प्रशासन के आखिरी दिनों में हुई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जिस तरह से अपनी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को आगे बढ़ा रहा है, वह अमेरिकी कंपनियों के लिए नुकसानदेह है और यह अनुचित व्यापार व्यवहार के दायरे में आता है. इसके बावजूद अमेरिका ने तुरंत टैरिफ बढ़ाने का फैसला नहीं लिया.

China Semiconductor Tariff US Pauses New Tax in Hindi: 2027 तक क्या रहेगा नियम?

अमेरिकी योजना के मुताबिक, जिन पुरानी तकनीक वाली चिप्स (Legacy Chips) पर नए टैरिफ लगाने की बात चल रही थी, उन पर फिलहाल राहत दी गई है. अगले 18 महीनों तक अतिरिक्त टैरिफ 0% रहेगा. अगर टैरिफ बढ़ता है तो वह 23 जून 2027 से लागू होगा. टैरिफ की दरें लागू होने से कम से कम 30 दिन पहले घोषित की जाएंगी. अमेरिका ने साफ संकेत दिया है कि कार्रवाई अभी नहीं, लेकिन विकल्प खुला है.

देरी के पीछे अमेरिका की रणनीति क्या है?

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला पूरी तरह सोच-समझकर लिया गया है. अमेरिका एक तरफ चीन पर दबाव बनाए रखना चाहता है, तो दूसरी तरफ बातचीत का रास्ता भी बंद नहीं करना चाहता. इसी रणनीति के तहत अमेरिका ने टैरिफ का हथियार फिलहाल जेब में रखा है. हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच रेयर अर्थ मिनरल्स और दूसरे व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत हुई है, ताकि 2025 की शुरुआत में बाजारों में पैदा हुई घबराहट को कम किया जा सके.

पुराने टैरिफ वैसे ही रहेंगे

हालांकि अमेरिका ने पूरी छूट नहीं दी है. पहले से लगे भारी टैरिफ, जिनमें कई चीनी सेमीकंडक्टर पर 50% तक टैक्स शामिल है, वे जैसे थे वैसे ही लागू रहेंगे. USTR ने अपने बयान में साफ कहा है कि चीन का सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर कब्जा जमाने का तरीका अमेरिकी व्यापार को नुकसान पहुंचाता है और यह कार्रवाई के दायरे में आता है.

चिप्स क्यों बनी हैं अमेरिका-चीन टकराव की जड़?

सेमीकंडक्टर सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक सामान तक सीमित नहीं हैं. ये चिप्स डिफेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, गाड़ियां, मेडिकल उपकरण और स्पेस टेक्नोलॉजी की नींव हैं. इसी वजह से अमेरिका और चीन दोनों इसे सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि रणनीतिक ताकत के रूप में देखते हैं. यही कारण है कि इस सेक्टर पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. चीन ने अमेरिकी रुख पर नाराजगी जताई है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका बिना भेदभाव के टैरिफ का इस्तेमाल कर रहा है. प्रवक्ता ने यह भी साफ किया कि अगर अमेरिका इसी रास्ते पर आगे बढ़ता है, तो चीन अपने वैध हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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