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औरतों के डर से घर को बनाया जेल, 55 साल से खुद को रखा है कैद, जानें क्या है Gynophobia, जिससे पीड़ित है शख्स?

Man with Gynophobia lived 55 years in isolation: रवांडा के कैलिट्से नजामविता पिछले 50 साल से ज्यादा समय से अकेले रह रहे हैं. उनके अकेले रहने का कारण महिलाओं के प्रति उनका डर है. गाइनोफोबिया से पीड़ित नजामविता पर एक डॉक्यूमेंट्री सामने आई थी, जिसमें उनके इस डर के बारे में बात की गई. हालांकि ताज्जुब की बात है कि उनकी मदद भी महिलाएं ही करती हैं.

Man with Gynophobia lived 55 years in isolation: एक 71 वर्षीय अफ्रीकी व्यक्ति पिछले 55 वर्षों से महिलाओं से किसी भी तरह का संपर्क टालने के लिए पूरी तरह से अलग-थलग रह रहा है. रवांडा के कैलिट्से नजामविता केवल 16 वर्ष के थे जब उन्होंने स्वयं को एक घर में बंद कर लिया. उन्होंने घर के चारों ओर 15 फुट ऊँची दीवार बनाई है. यह कदम उन्होंने गाइनोफोबिया (Gynophobia), महिलाओं के प्रति गहरे और तीव्र डर की आशंका के चलते उठाया. रवांडा की मीडिया संस्था अफ्रीमैक्स इंग्लिश की एक डॉक्यूमेंट्री लगभग दो साल पहले आई थी. इसमें बताया गया कि नजामविता ने महिलाओं से सामना न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया है, लेकिन सीमित जगह होने के कारण उन्हें अपना पूरा जीवन एक ही कमरे में समेटना पड़ा है.

उनकी यह असाधारण कहानी अगस्त में तब सामने आई जब कुछ लोग यह समझना चाहते थे कि वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतें कैसे पूरी करते हैं. मसलन खाना, सोना और शौच वे एक ही कमरे में कैसे कर लेते हैं. नजामविता सूखे पत्तों और कंबलों से बना एक अस्थायी तकिया इस्तेमाल करते हैं और एक उठी हुई लकड़ी की संरचना पर सोते हैं, जो उन्हें आग के बहुत करीब लुढ़कने से बचाती है. वीडियो में उनका मिट्टी का बना हुआ घर और उसके चारों ओर लगी मजबूत बाड़ दिखाई देती है. बाड़ पर कपड़ों के टुकड़े लटकाए गए हैं ताकि अंदर और बाहर एक-दूसरे को आसानी से देखा न जा सके. घर के भीतर रहने के लिए थोड़ा-बहुत खुला स्थान भी है.

उनके बिस्तर के ठीक सामने एक उथला गड्ढा है, जिसका उपयोग वह पेशाब करने के लिए करते हैं, और थोड़ी दूरी पर दूसरा बिस्तर है जो रसोई के रूप में काम करता है. वहीं से वे अपना सामान भी रखते हैं, जो दिलचस्प रूप से महिलाएँ ही उन्हें देती हैं. 16 साल की उम्र में उन्होंने ऐसा बड़ा फैसला लिया, जिसने उनकी आधी सदी से भी ज्यादा की जिंदगी बदल दी. उन्होंने तय कर लिया कि अगर घर से बाहर निकलने पर किसी महिला से सामना होने की संभावना है, तो वे बाहर नहीं जाएंगे.

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कैलिक्सटे नजामविता. फोटो- स्क्रीनग्रैब.

क्यों लगता है महिलाओं से डर?

उन्होंने कहा- मैंने खुद को घर में बंद कर लिया और चारों तरफ बाड़ लगाई क्योंकि मैं चाहता हूं कि महिलाएँ मेरे करीब भी न आएं. लेकिन आखिर नजामविता महिलाओं से किसी भी तरह का संपर्क क्यों नहीं रखना चाहते? इस पर उन्होंने कहा- मैं महिलाओं को अपने आसपास नहीं चाहता क्योंकि वे मुझे बहुत डराती हैं. जिस तरह मैं रहता हूं, वही मेरे लिए पर्याप्त है. मेरे मन में कभी किसी महिला के साथ रहने या शादी करने का विचार नहीं आया और मैं इससे खुश हूं. अफ्रीमैक्स इंग्लिश के इसी वीडियो में वे कहते हैं कि उन्हें महिलाओं से ‘गरीबी’ के कारण डर लगता है.

क्या होता है गाइनोफोबिया?

महिलाओं का यह गहरा डर गाइनोफोबिया (Gynophobia) कहलाता है. गाइनोफोबिया महिलाओं का गहरा और अव्यवहारिक डर है. यह मिसोजिनी से अलग है, जिसमें महिलाओं के प्रति नफरत और पूर्वाग्रह शामिल होता है, जो लोग सामाजिक माहौल से सीखते हैं. यह एक तरह का विशिष्ट फोबिया है. विशिष्ट फोबिया किसी खास स्थिति, वस्तु, गतिविधि या जीव से जुड़ा डर होता है. व्यक्ति इसे बचपन में किसी भयावह घटना को देखकर या उसे स्वयं झेलकर विकसित कर सकता है. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से गाइनोफोबिया से पीड़ित लोगों को सिखाया जा सकता है कि वे अपने विचारों और व्यवहार में बदलाव लाकर अपनी जिंदगी की गुणवत्ता कैसे बेहतर कर सकते हैं.

महिलाएं ही करती हैं मदद

हालांकि नजामविता को महिलाओं से डर लगता है, इसके बावजूद वर्षों तक उन्हीं के घर के आसपास रहने वाली महिलाएं ही उनकी मदद करती रहीं. एक महिला ने बताया कि नजामविता उन्हें पास आने या बात करने नहीं देते, इसलिए वे चीजें उनके घर की ओर फेंक देती हैं. उन्होंने कहा कि वह आकर उठाकर ले जाते हैं. वह दूरी बनाए रखते हुए हमारी दी हुई चीजें ले लेते हैं. पड़ोसी अब भी दूर से ही खाना-पानी देकर उनकी मदद करते हैं.

अफ्रीमैक्स इंग्लिश का यह वीडियो आप यहां क्लिक करते देख सकते हैं, जो दो साल पहले प्रकाशित हुआ था. ऐसे में अगर वे जिंदा होंगे तो निश्चित तौर पर उनका महिलाओं से यह डर 57 वर्ष का हो गया होगा और वे 73वां वसंत पार कर चुके होंगे. हालांकि 2023 में नजामविता ने अपने डर का सामना करने की दिशा में थोड़ी प्रगति की. उन्होंने पहली बार एक महिला को अपने घर के अंदर आने दिया. हालांकि, उस महिला ने बताया कि ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि उस समय यूट्यूब चैनल की टीम भी मौजूद थी. उनकी स्थिति ने दुनिया भर का ध्यान इस बात के उदाहरण के रूप में आकर्षित किया है कि कैसे गहरा भय और अनुपचारित मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ किसी व्यक्ति को पूर्ण अलगाव में धकेल सकती हैं.

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प्रभात खबर पॉडकास्ट में रवि शास्त्री 7 दिसंबर को.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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