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कंगाली और कलह के बीच आसिफ मुनीर बन रहे पाक के सेना प्रमुख, बार्डर से ज्यादा सुलझाने होंगे आंतरिक मामले

पाकिस्तान के बीते 75 सालों के इतिहास में आधे से ज्यादा समय तक देश में सेना का शासन रहा है. लेकिन बाजवा के बाद मुनीर की नियुक्ति के साथ ही देश में तख्तापलट की आशंका को फिलहाल विराम लग गया है. दरअसल पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है.

खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख एवं वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर की पाकिस्तानी सेना के अगले सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति हो गई है. मुनीर पाकिस्तान के 17वें सेना प्रमुख नियुक्त होंगे. वो जनरल बाजवा के बाद सेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे. बता दें, लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर लंबे समय से जनरल बाजवा के करीबी रहे हैं. उन्हें बाजवा का पसंदीदा सहयोगी भी माना जाता है.

तख्ता पलट की उम्मीद पर विराम: पाकिस्तान के बीते 75 सालों के इतिहास में आधे से ज्यादा समय तक देश में सेना का शासन रहा है. लेकिन बाजवा के बाद मुनीर की नियुक्ति के साथ ही देश में तख्तापलट की आशंका को फिलहाल विराम लग गया है. दरअसल पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है. और शासन के खिलाफ सेना का समय-समय पर विद्रोह और तख्त पर कब्जा भी होता रहा है.

खस्ताहाल में है पाकिस्तान: मुनीर सेना प्रमुख का पदभार ऐसे समय में संभाल रहे हैं जब देश की हालत ठीक नहीं. बीते समय आये बाढ़ के कारण पाकिस्तान की माली हालत चरमरा गई है. विदेशी फंड पर देश की अर्थव्यवस्था चलती है. ऐसे में मुनीर के के लिए आंतरिक और बाह्य चुनौती से भी रूबरू हो सकते हैं. इसी कड़ी में समाचार पत्र डॉन ने लेख में कहा है कि सशस्त्र बलों के लिए पाकिस्तान को आंतरिक और बाहरी रूप से सुरक्षित रखने पर ध्यान केंद्रित करना बुद्धिमानी होगी और इसे न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और सबसे बढ़कर लोगों पर छोड़ देना चाहिए कि वे पाकिस्तान का भविष्य तय करें.

गैर-राजनीतिक रहेगी सेना: हालांकि, तख्तापलट और सेना के शासन से अक्सर दो चार होने वाले पाकिस्तान के निवर्तमान जनरल बाजवा ने वादा किया है कि सेना गैर-राजनीतिक रहेगी. उन्होंने बुधवार को अपने अंतिम संबोधन में इसे एक बार फिर दोहराया था. लेकिन जनरल मुनीर की नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान घोर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश के आंतरिक हालत भी अच्छे नहीं हैं.

इमरान से रहा है मुनीर का विवाद: लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर का पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से रिश्ते अच्छे नहीं हैं.  जिस समय इमरान खान पाकिस्तान के पीएम थे इस समय मुनीर पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख के पद पर ते. लेकिन खुफिया विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के रूप में वो ज्यादा दिन नहीं रह सके. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के दबाव पर मुनीर को महज आठ महीने के भीतर ही पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को नियुक्ति दी गई थी. अब पाकिस्तान की सरकार इमरान के बड़े ‘दुश्मन’ मुनीर को सेना प्रमुख बना रही है.

पाकिस्तान में महत्वपूर्ण होता है आर्मी चीफ का पद: पाकिस्तान में आर्मी प्रमुख का पद काफी अहम होता है. हालांकि पाकिस्तान में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी सशस्त्र बलों में सबसे बड़ा पद है. लेकिन सेना में सैनिकों की तैनाती उनकी नियुक्तियों और स्थानांतरण समेत सभी प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं. इस कारण पाकिस्तानी फौज में सेना प्रमुख को सबसे ताकतवर माना जाता है. इसके अलावा विदेश नीति मामलों में भी सेना का काफी दखल होता है. 75 साल में आधे से ज्यादा समय पाकिस्तान में सेना का राज रहा है. ऐसे में नये पाक सेना प्रमुख के लिए सीमाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा देश की आंतरिक शांति.

भाषा इनपुट के साथ

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