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नोबेल शांति पुरस्कार पर बोला यूएन असली विजेता बच्चे हैं

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तानी बालिका अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बिना थके काम करने वाले इन दोनों को एक सम्मान प्रदान करता है. सत्यार्थी और यूसुफजई को बधाई देते हुए कहा कि […]

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तानी बालिका अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बिना थके काम करने वाले इन दोनों को एक सम्मान प्रदान करता है.

सत्यार्थी और यूसुफजई को बधाई देते हुए कहा कि दोनों लोग बच्चों के लिए दुनिया के बड़े चैंपियन बन गए हैं और आज के असली विजेता बच्चे हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जीद राड अल हुसैन ने कहा इस पुरस्कार से दुनिया भर में बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगं को एक महत्वपूर्ण संदेश जाता है.
उन्होंने कहा कि यूसुफजई और सत्यार्थी दोनों ने भारी मुश्किलों का सामना करने में अदभुत साहस का परिचय दिया है.
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति ने उम्मीद जताई कि सत्यार्थी और यूसुफजई को मिलने वाले सम्मान से बाल अधिकारों को बढावा मिलेगा और सभी बच्चों के लिए बाल अधिकारों को एक वास्तविकता बनाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को प्रोत्साहन मिलेगा.
यूनिसेफ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मनाई जा रही बाल अधिकार अधिवेशन की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर बच्चों के दो बहादुर और संकल्पबद्ध विजेताओं के लिए सुयोग्य सम्मान.
यूनेस्को के महानिदेशक इरीना बोकोवा ने 1980 के दशक से बाल दासता एवं शोषक बाल मजदूरी के खिलाफ वैश्विक आंदोलन की अगुवाई करते रहे सत्यार्थी को संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का एक करीबी मित्र बताया.
बोकोवा ने कहा कि ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर के संस्थापक अध्यक्ष और ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन के एक नेता के तौर पर उन्होंने प्रत्येक बच्चे के शिक्षा के अधिकार को दिलाने के लिए पूरे जुनून और साहस के साथ काम किया है. सार्वभौमिक शिक्षा खासकर लड़कियों के लिए किए गए संघर्ष में यूसुफजई एजेंसी के साथ खडी है.
उन्होंने कहा कि इनका यह संदेश अब और भी ज्यादा जोर से गूंजेगा कि शांति एवं विकास के लिए शिक्षा जरूरी है. दिसंबर 2012 में यूनेस्को और पाकिस्तान ने बालिका शिक्षा के लिए मलाला कोष शुरू किया था. पाकिस्तान की इस युवा लड़की को समर्पित एक उच्च स्तरीय समारोह के दौरान पाकिस्तान ने इस कोष में एक करोड़ डॉलर का योगदान दिया था.
बोकोवा ने कहा कि नोबेल पुरस्कार इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि शांति गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, खासकर लडकियों की शिक्षा पर निर्भर करती है.
महानिदेशक ने कहा कि आजकल मूल अधिकार पर खतरा मंडरा रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में स्कूलों को निशाना बनाया जा रहा है और छात्रों को स्कूल जाने से रोका जा रहा है. हम सबको मिलकर लडना होगा. हमें स्कूलों की सुरक्षा करनी है और इन्हें विकास एवं सहिष्णुता के लिए सुरक्षित स्थान बनाना है.
महासचिव के विशेष प्रतिनिधि सेंटोस पाइस ने कहा कि यह पुरस्कार दोनों की ओर से बाल अधिकारों के लिए , खासकर बच्चों के खिलाफ भेदभाव एवं हिंसा को खत्म करने के लिए किए गए निर्णायक योगदान का सम्मान है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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