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”स्मार्ट सिटी परियोजना” में मदद करेगा सिंगापुर

सिंगापुर: भारत 100 ‘स्मार्ट सिटी’ विकसित करने में सिंगापुर के अनुभव और उसकी विशेषज्ञता का फायदा उठायेगा. दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग तथा आर्थिक संबंधों को और मजबूती देने का फैसला किया है. भारत सरकार ने इस साल के बजट में 100 स्मार्ट शहर विकसित करने की परियोजना पर काम बढाने […]

सिंगापुर: भारत 100 ‘स्मार्ट सिटी’ विकसित करने में सिंगापुर के अनुभव और उसकी विशेषज्ञता का फायदा उठायेगा. दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग तथा आर्थिक संबंधों को और मजबूती देने का फैसला किया है. भारत सरकार ने इस साल के बजट में 100 स्मार्ट शहर विकसित करने की परियोजना पर काम बढाने के लिये 7,000 करोड रुपये से अधिक राशि आवंटित की गई है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस शहर वाले देश की अपनी 24 घंटे की यात्रा इस समझ के साथ समाप्त की है कि भारत में कौशल विकास और भारतीय शहरों के पुनरद्धार, जिसमें स्मार्ट शहर भी शामिल होंगे, में सिंगापुर कुछ ठोस परियोजनाओं की पहचान करेगा. केंद्र की नई राष्ट्रीय प्रजातांतिक गठबंधन (राजग) की सरकार ने देश में बडे शहरों के उपनगरीय इलाकों में बसाई जाने वाली ‘स्मार्ट शहरों’ की अवधारणा बनाई है. राजग सरकार के पिछले महीने पेश किये गये आम बजट में इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिये 7,060 करोड रुपये आवंटित किये गये हैं.

नये स्‍मार्ट शहर बसाने और कायाकल्‍प पर होंगे काम

सुषमा ने नई दिल्ली के लिये प्रस्थान करने से पहले कहा, ‘स्मार्ट शहरों, शहरी योजनाओं और जल प्रबंधन के मामले में सिंगापुर की विशेषज्ञता से भारत को काफी कुछ सीखने को मिलेगा. हमें नये स्मार्ट शहर बसाने और शहरों के कायाकल्प के लिये काम करना चाहिये. हमारे विशेषज्ञ इसकी प्राथमिकताओं की पहचान करेंगे और इसे समय पर पूरा करने के लिये हमें समन्वय बिठाना होगा.’

सुषमा स्वराज ने पिछले कुछ हफ्तों में पडोसी देशों बांग्लादेश, म्यांमा, भूटान और नेपाल की यात्रा है. उन्होंने आज का दिन यहां सिंगापुर के नेताओं के साथ मुलाकात में बिताया. वह प्रधानमंत्री ली सीइन लूंग और सिंगापुर के विदेश मंत्री के. षणमुगम से मिली.

सुषमा ने यहां विदेश मंत्री षणमुगम के साथ साल भर तक चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया. यह समारोह भारत-सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 50वें वर्ष के अवसर पर आयोजित किया गया.

षणमुगम ने इस मौके पर कहा कि सिंगापुर को राजनयिक तौर पर मान्यता देने वाले शुरआती देशों में भारत शामिल है. सुषमा ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि सिंगापुर की कंपनियां भारत में ढांचागत और संपर्क स्थापित करने वाली परियोजनाओं में बढ चढकर भाग लेंगी. ऐसी परियोजनायें विशेष तौर पर दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे और चेन्नई-बैंगलूर औद्योगिक गलियारे से लगे इलाकों में तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थापित की जा सकतीं हैं. सिंगापुर इन गलियारों के साथ किसी स्थान पर एक ‘छोटा सिंगापुर’ बसा सकती हैं.’

10 साल में द्विपक्षीय व्‍यापार में 15.2 अरब डालर का इजाफा

सुषमा ने कहा कि सिंगापुर आसियान में न सिर्फ भारत का सबसे बडा व्यापार भागीदार है बल्कि भारत में विदेशी निवेश का सबसे बडा स्रोत भी है. उन्होंने यह भी प्रस्ताव किया कि दोनों देशों को तीसरे देश में संयुक्त परियोजनाओं के लिए संभावनाएं तलाशनी चाहिए. रणनीतिक गठजोड की 50वीं सालगिरह समारोह के हिस्से के तौर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और सिंगापुर के राष्ट्रपति टोनी टैन अगले साल एक दूसरे के देश की यात्रा पर जाएंगे. सालाना द्विपक्षीय व्यापार पिछले दशक में खूब फला-फूला विशेष तौर पर 2005 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीका) पर हस्ताक्षर करने के बाद वित्त वर्ष 2003-04 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 4.2 अरब डालर था जो 2013-14 में बढकर करीब 19.4 अरब डालर हो गया.

कारोबारी समुदाय को सकारात्‍मक संकेत की उम्‍मीद

सुषमा और षणमुगम के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया ‘दोनों मंत्रियों ने उम्मीद जाहिर की कि सीका की दूसरी समीक्षा तेजी से पूरी की जाएगी जिससे कारोबारी समुदाय को सकारात्म्क संकेत जाएगा.’ मंत्रियों ने क्षेत्रीय ढांचे में आसियान की केंद्रीय भमिका और आसियान एवं भारत के बीच बढते सहयोग के महत्व की भी पुष्टि की. उन्हें उम्मीद है कि आसियान और भारत के बीच सेवा एवं निवेश के मामले में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर 2014 के अंत तक हो जाएगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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