नयी दिल्लीः इजराइल लगातार फिलिस्तीनियों को गाजा छोडने की बात कहते हुए लगातार हमले कर रहा है. इस हमले में अभीतक 208 लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले मिस्र की संघर्ष विराम की बात को स्वीकार करते हुए इजरायल ने हमला बंद कर दिया था, लेकिन गाजा प्रशासन की ओर से फिर से रॉकेट से हमला शुरू कर दिया गया.
ऐसा होते ही इजराइल ने भी संघर्ष विराम को मानने से इनकार कर दिया और जमीनी कार्रवाई शुरू कर दी. इस लडाई को भडकानें में हमास आतंककारियों का सबसे बडा हाथ है.
क्या है पूरा मामला
कुइ दिनों पूर्व गाजा क्षेत्र में एक इजरायली बच्चे का शव पाया गया था. इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर इजरायल ने 8 जुलाई को गाजा पर गोलीबारी शुरू कर दी. बाद में मिस्र की ओर से संघर्ष विराम का प्रस्ताव आया जिसे इजरायल ने एकतरफा मान लिया. इसके बाद हमास आतंकवादियों ने इजरायल पर रॉकेट से हमले शुरू कर दिये.
संघष विराम की वैश्विक मांग को नजरअंदाज करते हुए इजरायली सैनिक आज तड़के थोड़े समय के लिए गाजा क्षेत्र में घुस गए और राकेट छोड़ने वाले एक स्थल पर धावा बोला. यह पहली बार है जब इस्राइली बलों ने स्वीकार किया है कि वे गाजा में घुसे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस हमले में इस्राइली नौसैनिक कमांडो शामिल हैं.
इस्राइल उत्तरी गाजा के साथ अपनी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है जिससे इस अटकल को बल मिला है कि वह संभावित तौर पर जमीनी हमला कर सकता है. इसरायल ने गाज़ा के सुरक्षा मुख्यालय और पुलिस स्टेशनों पर रात भर हवाई हमले किए. 8 जुलाई को शुरू हुए अभियान के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी बमबारी है.
इसरायल ने ये भी कहा कि उसके सैनिकों ने तटीय क्षेत्र में मौजूद एक रॉकेट लॉन्च साइट पर हमला भी किया. इसरायल ने कहा कि फिलिस्तीनी चरमपंथियों ने शनिवार को गाज़ा पट्टी क्षेत्र से लगभग 90 रॉकेट दागे. वहीं गाज़ा के अधिकारियों का कहना है कि हवाई हमले में कम से कम 168 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए, इनमें एक ही परिवार के 17 सदस्य भी बताए जा रहे हैं. इसरायल का कहना है कि वह हमास के चरमपंथियों और उनके ठिकानों को निशाना बना रहा है जिसमें वरिष्ठ चरमपंथियों के घर भी शामिल हैं.
भारत की मजबुरी
भारत के साथ सबसे बडी मजबुरी है कि दोनों देशों के साथ भारत के मैत्री संबंध हैं. ऐसे में इस मामले में हस्तक्षेप करने से संबंध में खराबी आ सकती है. आज दिनभर लोकसभा में इस बात को लेकर हंगामा होता रहा. विपक्ष सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करता रहा. इसपर देश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्होंने पत्र में सभापति को लिखा है कि दोनों देश हमारे मित्र देश हैं और उनके साथ हमारे राजनयिक संबंध हैं. विदेश मंत्री के इस बयान का कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया.
जदयू के शरद यादव और माकपा के सीताराम येचुरी सहित कई सदस्यों ने इस मुद्दे पर समुचित चर्चा कराए जाने की मांग की. उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि विदेश मंत्री का पत्र सभापति को मिल गया है और सभापति उस पर विचार कर रहे हैं. कुरियन अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाए थे कि विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कुछ कहने का प्रयास किया. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आजाद का विरोध करते हुए कहा कि उपसभापति को अपनी बात पूरी करने का मौका दिया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते रहे.
वहीं भाजपा के वीपी सिंह और सत्यनारायण जटिया ने सदन में रेल बजट पर चर्चा कराए जाने की मांग की। द्रमुक के टी शिवा ने शून्यकाल के तहत लोक महत्व के मुद्दे उठाने की अनुमति की मांग की. इस मुद्दे पर कोई सहमति बनते नहीं देख उपसभापति ने कहा कि वह इस मुद्दे पर अपनी व्यवस्था सुरक्षित रख रहे हैं. दुबारा बैठक शुरु होने पर भी विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य इस मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा कराए जाने करने की मांग पर अडे रहे. कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि सदन की राय के बाद ही कार्यावली में बदलाव हो सकता है.