वाशिंगटन:भूवैज्ञानिकों ने हाल ही में एक बेहद महत्वपूर्ण खोज में साबित कर दिया है कि मंगल ग्रह पर स्थित एक विशाल ज्वालामुखी में जीवन था. भूवैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल ग्रह पर स्थित यह ज्वालामुखी माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा है और कभी यह पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ था. मंगल ग्रह का यह ज्वालामुखी आरिसया मोन्स हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े पर्वतों में से एक है. हालांकि मंगल ग्रह पर यह तीसरा सबसे बड़ा पहाड़ है. भूवैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान समय में मंगल ग्रह पर भले जीवन के अवशेष न बचे हों पर इस पर्वत पर कभी जीवन था.
धरती जैसे टीले, पहांड़ियां होर्ड आइलैंड स्थित ब्राउन विश्वविद्यालय के कैट स्कैनलन कहते हैं कि यदि आरिसया मोन्स पर जीवन के अवशेष मिलते हैं तो वहां जाना मेरा अगल लक्ष्य होगा. नासा से प्राप्त अध्ययन सामग्री के अनुसार, मंगल पर स्थित ज्वालामुखी से वैसा ही लावा पाया गया, जैसा कि पृथ्वी पर समुद्र के भीतर ज्वालामुखी से पाया जाता है. यही नहीं, उन्होंने वहां भी वैसे ही टीले और मोड़दार पहाड़ी रास्ते पाये, जैसा कि पृथ्वी पर ज्वालामुखी के लावे के हिमनद के रास्ते में आने के बाद बनते हैं.
पनप सकते हैं सूक्ष्म जीव नासा के अंतरिक्ष दूरदर्शी स्केनलन से यह भी पता चला कि आरिसया मोन्स की बर्फ से ढकी झील के अंदर सैकड़ों घन किलोमीटर पिघला हुआ जल है. अगर ऐसा सचमुच में है, तो इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मंगल ग्रह पर कभी जीवन रहा होगा. क्योंकि पानी से भरी इस झील में जीवन की संभावना है. यहां कई तरह के सूक्ष्म जीव पनप सकते हैं. यह भी संभव है कि ग्लेशियर का कुछ बर्फ अब भी वहां विद्यमान हो. शोध पत्रिका आइकेरस में प्रकाशित शोधपत्र पर अगर गौर करें, तो पृथ्वी से अलग जीवन की खोज करने वाले लोगों के लिए आरिसया मोन्स अगला पड़ाव हो सकता है.