वाशिंगटन : वर्ष 1980 के बाद से दक्षिण एशिया में मौसम के तेवर बहुत तेजी से बदले हैं और क्षेत्र में कभी बहुत अधिक बारिश तो कभी ना के बराबर बारिश होती रही है. इस तरह के खतरनाक बदलाव का क्षेत्र पर, विशेषकर फसलों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह बातें पता चली हैं.
वैज्ञानिकों का यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया गया है. मुख्य अध्ययनकर्ता दीप्ति सिंह के अनुसार फसलों के विकास के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान कई दिन बारिश न होने से कम पैदावार हो सकती है या फसल नष्ट हो सकती हैं जिससे कृषि पर निर्भर भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
उन्होंने कहा कि साथ ही भारी बारिश की छोटी अवधियों से भी मानवीय आपदाएं आ सकती हैं जैसा 2005 में हुआ था जब मुंबई में भारी बारिश और बाढ़ से हजारों लोग मारे गए थे. अध्ययनकर्ताओं के दल ने करीब 60 साल की अवधि में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जुटाए गए बारिश के आंकडों और दूसरे स्त्रोतों की तुलना की जिससे यह जानकारियां मिलीं.