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शिक्षक भर्ती घोटाला : जेल से निकलने के लिये अब क्या पैतरा अपनाएंगे पार्थ

केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिक्षक भर्ती मामले में पिछले साल 22 जुलाई को दक्षिण कोलकाता के नाकातला स्थित पार्थ के घर पर छापेमारी की थी, पार्थ को 23 जुलाई की आधी रात को गिरफ्तार किया गया था.

पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी जब से केन्द्रीय एजेंसियों के चंगुल में फंसे है तब से लेकर अब तक उनके खिलाफ हर रोज नये खुलासे होत रहते हैं. पार्थ चटर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला का एक ऐसा नाम है जिसकी गिरफ्तारी के बाद से ही कई दिग्गजों के नाम मिलने शुरु हो गये थे. बंगाल कैबिनेट में भी पार्थ चटर्जी की पैठ रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीब हुआ करते थे पार्थ लेकिन घोटाला में नाम आने के बाद तृणमूल ने उन्हें सारे पदों से हटा दिया है. पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी को 1 वर्ष से अधिक हो चुका है और वह अब लगातार जमानत के लिये आदलत के पास गुहार लगाये जा रहे है. पार्थ ने अपनी जमानत के लिये कई पैंतरे भी अपनाया है हालांकि उन्हें उनमें सफलता नहीं मिली. अब देखना है कि अपनी जमानत के लिये पार्थ और क्या नये पैंतरे अपना सकते है.

पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज

शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका बैंकशाल कोर्ट स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत ने एक बार फिर खारिज कर दिया है. कोर्ट ने ईडी की दलीलों से सहमति जताते हुए पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी. ईडी के तर्कों को सही मानते हुए अदालत का भी यह मानना है कि पार्थ चटर्जी अभी भी अत्यंत प्रभावशाली हैं. अगर उन्हें जमानत मिलती है तो जांच पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है. यह कहते हुए अदालत ने पार्थ चटर्जी के न्यायिक हिरासत में रहने के निर्देश को बरकरार रखा.

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अदालत ने भी माना प्रभावशाली हैं पार्थ जानें क्या है कारण

  • पार्थ चटर्जी ने गिरफ्तारी के समय खुद को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रिश्तेदार बताया था. अरेस्ट मेमो में इसका जिक्र और उनका हस्ताक्षर है.

  • पार्थ चटर्जी ने गिरफ्तारी के पहले इडी अधिकारियों से कहा था कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फोन कर रहे हैं. यह कहकर पार्थ ने अपने मोबाइल से किसी को कॉल किया था.

  • पार्थ जब अदालत में पेशी के दौरान आते हैं तो उन्हें पुलिस अलग कार में लेकर आती है. उनकी सुरक्षा में असिस्टेंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी की तैनाती अदालत परिसर में रहती है, जबकि इसी मामले में अन्य कैदियों को अदालत में पेशी के दौरान यह सुविधा नहीं मिलती, सभी को सामान्य जनरल कैदी वैन में अदालत लाया जाता है.

  • पार्थ चटर्जी ने गिरफ्तारी के आठ महीने बाद तक जेल में रहने के दौरान अपनी उंगलियों में सोने की अंगूठी पहने रखी, जबकि अन्य कैदियों को यह सुविधा नहीं मिलती है.

  • जब पार्थ चटर्जी गिरफ्तार हुए थे तब उन्होंने अपना प्रभाव दिखाकर एसएसकेएम अस्पताल में अपनी रिपोर्ट में भी बदलाव करवा दिया था. इन सभी उदाहरण से स्पष्ट होता है कि पार्थ चटर्जी अब भी प्रभावशाली हैं.

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पिछले साल 23 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था पार्थ को

केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिक्षक भर्ती मामले में पिछले साल 22 जुलाई को दक्षिण कोलकाता के नाकातला स्थित पार्थ के घर पर छापेमारी की थी, पार्थ को 23 जुलाई की आधी रात को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ अधिक से अधिक शिकायतें दर्ज की गई, वर्तमान में पार्थ प्रेसीडेंसी जेल में रखा गया है. गिरफ्तारी के बाद पार्थ को मुत से निलंबित कर दिया गया है. सब कुछ खोने के बाद वह स्वाभाविक रूप से टूट गया है. पिछले दिनों उनकी आवाज में अफसोस भी सुनाई दिया है. पार्थ को इसी के बाद सीबीआइ ने भी गिरफ्तार किया था.

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पार्थ ने कहा था कि राजनीतिक साजिश के शिकार हुए

पार्थ ने गिरफ्तारी के बाद कहा था कि वह राजनीतिक साजिश के शिकार हुए है. पहले किसी ने उनपर ऐसा आरोप नहीं लगाया था. उनकी बात सुनकर न्यायाधीश ने उनसे पूछा था कि क्या वह अपनी जमानत चाहते हैं ? इतना सुनते ही पूर्व मंत्री पार्थ ने रोते हुए ही कहा कि “सर मुझ पर दया करें, मुझे न्याय दें, मुझे शांति से जीने दें. मुझे जमानत दें. पार्थ का गला भर आया था और उन्होंने रोते हुए कहा कि ईडी के अधिकारी उनके घर पर करीब 30 घंटे तक थे. उन्हें कुछ नहीं मिला. वह जनता के एक सेवक है, जिस 100 करोड़ के घोटाले की बात की जा रही है, उससे उनका कोई वास्ता नहीं है.

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पार्थ के पास है करोड़ों की संपति

  • कोलकाता के नकताला में घर.

  • बोलपुर में 9 घर.

  • डायमंड सिटी में 4 फ्लैट्स.

  • बेलघारिया क्लब टाउन में 2 फ्लैट्स.

  • बड़नगर में 1 फ्लैट.

  • न्यूटाउन में 2 फ्लैट.

  • सोनारपुर में 1 घर.

  • जंगीपारा में एक पैलेस.

  • कोलकाता के बाग जतिन स्टेशन के पास पालतू जानवरों के अस्पताल के लिए 17 कट्ठा जमीन.

    बरुईपुर के बेगमपुर में 25 बीघा जमीन.

  • सिंगूर के दुर्गापुर हाईवे पर फार्महाउस.

  • दक्षिण 24 परगना में गेस्ट हाउस.

  • गोसाबा द्वीप में सोनारगाव रिजॉर्ट.

  • बरुईपुर में फार्महाउस.

  • बंटाला में लेदर कॉम्प्लेक्स में एचचाय एंटरटेनमेंट के नाम से 24 करोड़ रुपये कीमत की 10 बीघा जमीन.

  • झारखंड में 24 एकड़ जमीन.

  • बर्धमान में रेत खनन के लिए कई डंपर.

  • पार्थ की पत्नी बबली चटर्जी के नाम पर स्कूल का निर्माण जारी.

  • पिंगला में 45 करोड़ रुपये की कई एकड़ जमीन.

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पार्थ चटर्जी ने कई बार बीमारियों का भी किया था बहाना

पार्थ चटर्जी ने जमानत के लिये बीमारी का बहाना किया था जिसके बाद उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती किया गया था. इस दाैरान पार्थ का अस्पताल में कई किस्म के मेडिकल टेस्ट किये गये. इसके बाद पार्थ को वापस प्रेसिडेंसी जेल ले जाया गया था. पार्थ चटर्जी को प्रेसिडेंसी जेल के सेल नंबर दो में रखा गया था. बीते कुछ दिनों से पूर्व शिक्षा मंत्री अपने पैरों में ‘सूजन की शिकायत कर रहे था. उन्हें पीठ व कमर दर्द भी था. 13 अगस्त को उनके चेकअप के लिए पीजी से चिकित्सकों की एक टीम जेल में आयी थी. डॉक्टरों की टीम में कार्डियोलॉजी, मेडिसीन व अन्य विभागों के सात विशेषज्ञ शामिल थे. हालांकि उन्होंने जांच के बाद कहा था कि पार्थ बिल्कुल ठीक है.पार्थ को डायबिटीज, किडनी विकार व कई अन्य क्रॉनिक बीमारियां हैं

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पार्थ का अर्पिता से बेहद खास रिश्ता

पार्थ चटर्जी की करीबी मानी जाती है अर्पिता मुखर्जी. पार्थ की गिरफ्तारी के बाद उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों समेत करीब 13 जगहों पर छापेमारी की गई थी. इनमें से विधायकों के आवास भी शामिल थे. ईडी की अर्पिता के घर से करीब 49.8 करोड़ रुपये और पांच करोड़ के गहने मिलने से हडकंप मच गया था. इसके बाद पार्थ व अर्पिता को गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों के नाम पर करोड़ों की साझा संपत्ति का भी पता चला है. दोनों के गिरफ्त में आते ही मामले में और गिरफ्तारियां होने लगीं.

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पार्थ का नाम  वेस्ट बर्दवान की प्रोफेसर मोनालिसा दास से भी जुड़ा

शिक्षक भर्ती मामले में अर्पिता के बाद मोनालिसा दास का भी नाम सामने आया था . शांतिनिकेतन की मोनालिसा दास को लेकर भी सवाल उठ रहे थे. मोनालिसा दास को पार्थ चटर्जी के करीबी के रूप में भी जाना जाता है. ईडी ने उसके नाम कम से कम 10 फ्लैटों का पता लगाया था. उन्होंने 2014 में आसनसोल में काजी नजरूल विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था. वह वर्तमान में उस विश्वविद्यालय में बंगाली विभाग के विभागाध्यक्ष हैं. मोनालिसा दास की प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति ने सवाल उठाया था कि क्या उन्हें यह नौकरी प्रभाव में मिली थी. इस नियुक्ति के पीछे पार्थ चट्टोपाध्याय की विशेष भूमिका थी.

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पार्थ की गिरफ्तारी के बाद कई गिरफ्तारियां

पार्थ की गिरफ्तारी के बाद कई गिरफ्तारियां हुई. एसएससी की नियुक्ति समिति के पूर्व संयोजक शांति प्रसाद सिन्हा व एसएससी के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा को लंबी पूछताछ के बाद अरेस्ट कर लिया गया. उसके बाद शांति प्रसाद सिन्हा जो कि 2011 से 2014 तक वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के सचिव, कल्याणमय गांगुली जो कि वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष, सुबीरेश भट्टाचार्य, माणिक भट्टाचार्य ,प्रसन्न राय,प्रदीप सिंह, कालीघाटेर काकू के साथ ही कई लोग गिरफ्तार हुए है. अब भी मामले की जांच जारी और कई गिरफ्तारियां बाकी है.

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