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प्रमुख लोगों की नजर में विवेकानंद

डॉ सर्वपल्ल्ली राधाकृष्णन का कथन : यदि स्वामी विवेकानंद ने हमें कोई संदेश दिया है, तो वह यही है कि अपनी आध्यात्मिक शक्तियों पर विश्वास रखो. मनुष्य के पास अक्षय शक्तियों का अक्षय भंडार है. उसकी आत्मा सर्वोपरि है. मानव अद्वितीय है. जगत में कुछ भी अपरिहार्य नहीं है और हम अपने सम्मुख आनेवाली भीषणतम […]

डॉ सर्वपल्ल्ली राधाकृष्णन का कथन : यदि स्वामी विवेकानंद ने हमें कोई संदेश दिया है, तो वह यही है कि अपनी आध्यात्मिक शक्तियों पर विश्वास रखो. मनुष्य के पास अक्षय शक्तियों का अक्षय भंडार है. उसकी आत्मा सर्वोपरि है. मानव अद्वितीय है. जगत में कुछ भी अपरिहार्य नहीं है और हम अपने सम्मुख आनेवाली भीषणतम विपत्तियों तथा बाधाओं पर विजय पा सकते हैं.

बस, हमें आशा का परित्याग नहीं करना चाहिए. उन्होंने हमें संकट में सहनशीलता की शिक्षा दी. उन्होंने कहा- बाह्य रूपों से भ्रमित न होओ. सबके अंतरतम में दैवी इच्छा छिपी है. इस विश्व में एक उद्देश्य निहित है. इस उद्देश्य के साथ सहयोग करो, उसे प्रयत्नपूर्वक अर्जित करो.
रोमां रोलां का कथन : विवेकानंद मेरी नजर में जीसस क्राइस्ट और बुद्ध के समतुल्य थे. उनके शब्द महान संगीत हैं, बीथोवेन शैली के टुकड़े हैं, हैंडेल के समवेत गान के छंद प्रवाह की भांति उद्दीपक लय हैं.
शरीर में विद्युत स्पर्श के आघात की सिहरन का अनुभव किये बिना, मैं उनकी उस वाणी का स्पर्श नहीं कर सकता, जो तीस वर्ष की दूरी पर पुस्तकों के पृष्ठों में बिखरे पड़े हैं और जब वे ज्वलंत शब्दों के रूप में नायक के मुख से निकले थे, तब तो न जाने कैसे-कैसे आघात और आवेग पैदा हुए होंगे.
आरसी मजूमदार का कथन
स्वामी विवेकानंद के चरित्र में हमें एक महान संन्यासी तथा एक निष्ठावान देशभक्त का समन्वय दीख पड़ता है. उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद को उसकी प्राचीन महिमा की उच्च वेदी पर प्रतिष्ठित किया और इस राष्ट्रवाद ने भारत के करोड़ों छोटे-बड़े, धनी-गरीब लोगों को अपने आप में समाहित कर लिया.
उन्होंने भारत की राष्ट्रीय चेतना को जगाने में अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया. उनकी अनेक मर्मस्पर्शी उक्तियां आज भी भारत की राष्ट्रीय भावनाओं को उसकी गहराई तक आंदोलित करने में समर्थ हैं. उनके मन में सदा यही विचार घूमता था कि कैसे भारतवासियों की सोयी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा को जगा कर भारत की प्राचीन महिमा को पुन: स्थापित किया जाये.
किताबों में विवेकानंद
मेरी स्मृतियों में विवेकानंद
सिस्टर क्रिस्टिन लिखित ‘रेमिनिसेंस आॅफ स्वामी विवेकानंद’ का यह हिंदी संस्करण है, जो अद्वैत आश्रम से प्रकाशित हुआ है. यह मूलत: विवेकानंद पर केंद्रित संस्मरणों का संग्रह है, जिनका हिंदी अनुवाद विदेहात्मानंद ने किया. क्रिस्टिन विवेकानंद की शिष्या थीं.
स्वामी विवेकानंद इन द वेस्ट
इस किताब की लेखक मेरी लुई बर्क हैं. छह खंडों में प्रकाशित इस किताब के एक खंड ‘द पार्लियामेंट आॅफ रिलीजंस’ का हिंदी अनुवाद ‘शिकागो की विश्व धर्म महासभा’ नाम से हुआ है. इसमें एक ऐतिहासिक विश्व धर्म महासभा की पृष्ठभूमि, उसका आयोजन एवं गतिविधियां इन सबका स्वामीजी के संदर्भ में बड़ा ही रोचक वर्णन है.
सिनेमा में विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
साल 1998 में हिंदी में बनी इस फिल्म का निर्देशन किया था जीवी अय्यर ने. इसमें सर्वदमन बनर्जी ने विवेकानंद की भूमिका निभायी. अभिनेता मिथनु चक्रवर्ती को इस फिल्म में श्रीरामकृष्ण परमहंस के किरदार के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का राष्ट्रÑीय फिल्म पुरस्कार मिला था.
बिरेश्वर विवेकानंद
बांग्ला भाषा में बनी यह फिल्म 1964 में प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म का निर्देशन मधु बोस ने किया था. इस फिल्म में मुख्य भूमिका अमरेश दास ने निभायी थी, लेकिन श्रीरामकृष्ण परमहंस के किरदार को अभिनेता गुरुदास बनर्जी ने ज्यादा प्रभावी ढंग से निभाया था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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