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हड्डियों को दीजिए गुनगुनी धूप की खुराक
डॉ रमणीक महाजन निदेशक, आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नयी दिल्ली एक अनुमान के अनुसार, भारत की 65-70 प्रतिशत जनसंख्या में विटामिन डी की कमी है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसकी कमी के मामले ज्यादा होते हैं, जिसकी बड़ी वजह माहवारी और प्रेग्नेंसी है. आइएमए ने विटामिन डी की कमी […]
डॉ रमणीक महाजन
निदेशक, आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नयी दिल्ली
एक अनुमान के अनुसार, भारत की 65-70 प्रतिशत जनसंख्या में विटामिन डी की कमी है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसकी कमी के मामले ज्यादा होते हैं, जिसकी बड़ी वजह माहवारी और प्रेग्नेंसी है. आइएमए ने विटामिन डी की कमी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान ‘राइज़ एंड शाइन’ चलाया है, क्योंकि सूरज की किरणें विटामिन डी का बेहतरीन स्त्रोत हैं. फ्लैट कल्चर के पनपने, गैजेट्स के बढ़ते चलन और एयर कंडीशन के बढ़ते इस्तेमाल ने लोगों को चहारदीवारी में कैद कर दिया है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि घर से बाहर निकलें और थोड़ी देर धूप का आनंद लें. फिर धूप सेंकने के लिए सर्दियों से बेहतर मौसम कौन-सा हो सकता है भला.
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को नियंत्रित कर कैल्शियम अवशोषण में सहायता करता है. यह तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है. विटामिन डी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. शरीर में इसकी उचित मात्रा हाइ ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करती है. विटामिन डी के पांच रूप होते हैं- डी1, डी2, डी3, डी4, डी5. मानव शरीर के लिए विटामिन डी2 और डी3 सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. इन्हें संयुक्त रूप से ‘कैल्सिफेरॉल’ कहा जाता है.
विटामिन डी2 (एर्गोकैल्सिफेरॉल) खाद्य पदार्थों में होता है और विटामिन डी3 (कोलेकैल्सिफेरॉल) हमारे शरीर में सूरज की किरणों द्वारा बनता है. अगर हम डी2 को खाद्य पदार्थों से प्राप्त कर लेंगे, तब सूरज की किरणों का थोड़ा-सा भी एक्सपोजर शरीर को डी3 के निर्माण में सहायता कर सकता है. खाद्य पदार्थों में विटामिन डी थोड़ी मात्रा में पाया जाता है, इसलिए रोज धूप में थोड़ा समय बिताना जरूरी है. यह वसा में घुलनशील है, इसलिए मोटे लोगों में इसकी कमी अधिक देखी जाती है.
विटामिन डी जांच : 25 हाइड्रोक्सी विटामिन डी टेस्ट से आप जान सकते हैं कि आपके शरीर में विटामिन डी की कितनी मात्रा है. क्यों हो जाती है कमी : उम्र बढ़ने के साथ शरीर में विटामिन डी की कमी होती जाती है, क्योंकि बुजुर्गों में सूर्य की किरणों से विटामिन डी का निर्माण 75 प्रतिशत तक कम हो जाता है. विटामिन डी की कमी के अन्य कारणों में सम्मिलित है- लगातार एयर कंडीशन में रहना, आउटडोर एक्टिविटी की कमी, किन्हीं कारणों से शरीर को ढंक कर रखना, मोटापा आदि. इसलिए अगर आपको विटामिन डी की कमी है, तो धूप में बैठिए और अगर नहीं है, तब भी बैठिए, ताकि भविष्य में न हो.
विटामिन डी की कमी को पहचानें
मांसपेशियों की कमजोरी
जोड़ों में दर्द रहना
मॉर्निंग सिकनेस
दिनभर सुस्ती रहना
कुल्हों और घुटनों में दर्द रहना
विटामिन डी के स्त्रोत : शरीर के लिए जरूरी विटामिन डी का 80 प्रतिशत हिस्सा धूप से मिलता है, जबकि डायट से 20 प्रतिशत. अगर रोज 20-30 मिनट शरीर की खुली त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें पड़ती हैं, तो यह जरूरत पूरी हो जाती है. इसके अलावा कॉड लीवर ऑयल इसका अच्छा स्त्रोत है. दूध, अंडे, चिकन, मशरूम, मछलियां- सॉलमन, टुना, मैकेरल, सार्डिन से भी पूर्ति होती है.
कब और कितनी देर लें धूप
गर्मियों में त्वचा का रंग हल्का है, तो
सप्ताह में 3-4 दिन 10-15 मिनट धूप में बैठें.
त्वचा का रंग गहरा है, तो
30-40 मिनट धूप में बैठें.
सर्दियों मेंसप्ताह में कम से कम 4-5 दिन
सुबह (10:30 से 12 बजे) या ढलती दोपहर को (3 से 5 बजे तक) से 20 से 30 मिनट गुनगुनी धूप में बैठना अच्छा माना जाता है.
जब भी धूप में बैठें, शरीर का 40% हिस्सा खुला होना होना चाहिए.
बच्चों के लिएबच्चों में कफ ज्यादा बनता है. सर्दियों में उन्हें सुबह 10 बजे के बाद ही धूप सेंकना चाहिए, क्योंकि सुबह में ठंड कुछ ज्यादा रहती है.
बुजुर्गों के लिएदोपहर का समय धूप सेंकने के लिए ज्यादा लाभदायक माना जाता है.
विटामिन सप्लीमेंट
आमतौर पर घरों में बंद रहनेवाले लोगों में विटामिन डी की कमी होती है. उम्रदराज लोगों और जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है, उन्हें भी विटामिन डी सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है. इसे डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए.
सुबह तिरछी होती हैं सूर्य की किरणें
सामान्यत: धूप में बैठने के लिए सुबह 7-10 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय सूरज की किरणें तिरछी होती हैं. लेकिन अगर आपमें विटामिन डी की बहुत अधिक कमी है, तो आप 11-2 बजे का समय चुनें, क्योंकि इस समय सूर्य की किरणें सीधी होती हैं, इसलिए उनमें तेजी अधिक होती है.
फैक्ट फाइल
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में से हर दूसरी ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है.
इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार मोटापे के कारण शरीर में विटामिन डी के उपयोग में रुकावट आती है. मोटे लोगों को इसकी जरूरत सामान्य लोगों की तुलना में दोगुनी होती है.
अमेरिका के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा 2016 में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, हमारी त्वचा आवश्यकता का 90 प्रतिशत सूरज की किरणों से निर्मित कर सकती है.
नार्वे की ओसलो यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन के अनुसार, दोपहर में जब सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं, 30 मिनट धूप में बैठने से 10,000-20,000 आइयू विटामिन डी मिल जाता है.
सूर्य की रोशनी ठंड से सिकुड़े शरीर को गरमाहट देकर शरीर की जकड़न दूर करती है. इससे शरीर के भीतर की ठंडक और पित्त की कमी दूर होती है.
धूप से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है. शरीर में WBC का पर्याप्त निर्माण होता है, जो रोग पैदा करनेवाले कारकों से लड़ने का काम करते हैं.
सूरज की किरणों से शरीर को कैंसर से लड़ने वाले तत्व मिलते हैं. त्वचा की सिकुड़न, फंगस एवं अन्य चर्म रोगों का धूप एक प्राकृतिक उपचार है.
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