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संविधान दिवस आज: विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का विशिष्टताओं से भरा संविधान

आज संविधान दिवस है. आज ही के दिन, 26 नवंबर, 1949 को भारत गणराज्य का संविधान तैयार हुआ था. आंबेडकरवादी और बौद्ध मतावलंबी पिछले कई दशकों से इस तिथि को संविधान दिवस मनाते रहे हैं.नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार 2015 में इसे सरकारी तौर पर मनाने का फैसला किया. वह साल संविधान सभा की […]

आज संविधान दिवस है. आज ही के दिन, 26 नवंबर, 1949 को भारत गणराज्य का संविधान तैयार हुआ था. आंबेडकरवादी और बौद्ध मतावलंबी पिछले कई दशकों से इस तिथि को संविधान दिवस मनाते रहे हैं.नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार 2015 में इसे सरकारी तौर पर मनाने का फैसला किया. वह साल संविधान सभा की निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर का 125वां जयंती वर्ष था. संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना तथा डॉ भीमराव आंबेडकर के इस योगदान एवं उनके आदर्शों-विचारों का स्मरण करना है.
लोगों में उत्साह, होंगे कई तरह के कार्यक्रम
संविधान दिवस पर होगा ट्वीटाथॉन
26 नवंबर को ट्वीटर पर कई ग्रुप ने मिलकर अपराहन दो-चार के बीच मैराथन की तर्ज पर ट्वीटाथॉन के लिए लोगों को आमंत्रित किया है. इस दौरान ट्वीटर पर संविधान को लेकर ट्वीट का मैराथन देखने को मिलेगा, जो भारत की सतत विकास लक्ष्य, तथ्य, दशा और दिशाओं पर आधारित होगा. यूनिसेफ समेत कई मीडिया समूह इस ट्वीटाथॉन के प्रायोजक हैं. इनसे #सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स, #बीअजागरिक, #कॉन्स्टीट्यूशन डे, @यूथकम्यूनिटी और @यूथकीआवाज पर जुड़ा जा सकता है.
70 नेता बनेंगे प्रजातंत्र के प्रहरी
संस्था ‘कबीर के लोग’ और ‘सेंटर फॉर दलित स्टडीज, इंडिया फाउंडेशन’ की ओर से एक कार्यक्रम रखा गया है. प्रोग्राम की थीम ‘संविधान ही समाधान’ है. 70वें संविधान दिवस के अवसर पर संस्था भारत के अलग-अलग प्रांत के 70 लोगों को ‘प्रजातंत्र प्रहरी’ अवॉर्ड देगी. साथ ही दलित समाज के साथ और दलित समाज के लिए काम करने वालों को ‘नीलकंठ अवॉर्ड’ दिया जायेगा.
सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है संविधान
भारतीय संविधान की इन बेशकीमती प्रतियों को बहुत ही करीने से संसद भवन की लाइब्रेरी के एक कोने में बने स्ट्रांग रूम में रखा गया है. इन्हें पढ़ने की इजाजत किसी को नहीं है. संविधान की ये प्रतियां कभी खराब न हो पाये, इसके लिए इसे हीलियम भरे केस में सुरक्षित रखा गया है. हीलियम एक अक्रिय गैस है, जो पन्नों को वातावरण के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करने से रोकता है. यही कारण है कि आज भी हमारे देश की धरोहर हमारे पास सुरक्षित और मूल अवस्था में हैं.
संविधान पारित होने पर कक्ष में गूंजता रहा ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’
पूर्णिमा बनर्जी ने गाया राष्ट्रगान
संविधान पर सबसे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किये. हालांकि, कायदे से संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को हस्ताक्षर करने चाहिए थे.
इससे पहले संविधान के पारित होते ही काफी देर तक वंदे मातरम् और भारत माता की जय के नारों से केंद्रीय कक्ष गूंजता रहा था. इसके बाद पूर्णिमा बनर्जी ने राष्ट्रगान गाया था. जब वह गा रही थीं, तब वहां बैठीं अनेक हस्तियों की आंखें भींग गयी थीं. पूर्णिमा जी स्वाधीनता सेनानी अरुणा आसफ अली की बहन थी. संविधान लागू होने के दो दिन पहले, 24 जनवरी, 1950 को तीनों प्रतियों पर संविधान सभा के सभी 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर किये थे.
नेहरूजी के आग्रह पर नंदलाल बोस ने 22 भागों में 22 चित्र बनाये
नेहरू जी ने प्रख्यात चित्रकार नंदलाल बोस से भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाने का आग्रह किया था. 221 पेज के इस दस्तावेज के हर पन्नों पर तो चित्र बनाना संभव नहीं था. लिहाजा, नंदलाल जी ने संविधान के हर भाग की शुरुआत में 8-13 इंच के चित्र बनाये. संविधान में कुल 22 भाग हैं.
इस तरह उन्हें भारतीय संविधान की इस मूल प्रति को अपने 22 चित्रों से सजाने का मौका मिला. इन 22 चित्रों को बनाने में चार साल लगे. इस काम के लिए उन्हें 21,000 रुपये मेहनताना दिया गया. नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1882 में बिहार के मुंगेर जिले के हवेलीखड़गपुर में हुआ. उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे. 1922 से 1951 तक नंदलाल बोस शांति निकेतन के कला-भवन के प्रधानाध्यापक रहे. नंदलाल बोस की मुलाकात पंडित नेहरू से शांति निकेतन में ही हुई थी.
रास बिहारी और वीके वैद्य ने लिखी संविधान की प्रति
1400 पन्नों की इस प्रति को अंग्रेजी में रास बिहारी ने बेहद सुंदर तरीके से लिखा, जबकि हिंदी की लिखावट वीके वैद्य की है. बदरुद्दीन तैयबजी ने ही अनेक लोगों की लिखावट देखने के बाद इन दोनों को यह महान दायित्व सौंपा था. इन दोनों ने मात्र एक हफ्ते में संविधान को लिखा था.
तीन प्रतियां बनवायी गयी थीं संविधान की
संविधान की तीन प्रतियां बनवायी गयी थीं, जिनमें से दो को नंदलाल बोस और राम मनोहर सिन्हा द्वारा सुसज्जित पन्नों पर प्रेम बिहारी रायाजादा ने, एक हिंदी और दूसरी अंग्रेजी में तैयार की, जबकि तीसरी कॉपी जो अंग्रेजी में है, उसे देहरादून में छपवाया गया.
16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल पांडुलिपि.
22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गयी.
251 पृष्ठ शामिल थे पांडुलिपि में.
हस्तलिखित है मूल प्रति
किसी महान लेखक की दुर्लभ या कालजयी पुस्तक न होते हुए भी संविधान हमारे लिए बेहद खास है. इतना महत्वपूर्ण होते हुए भी संविधान की मूल प्रति हस्तलिखित है. इसकी पहली दो प्रतियां हिंदी और अंग्रेजी में हैं.
संविधान की प्रस्तावना
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.
संविधान निर्माण
2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे.
26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था.
26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था.
डेनमार्क अपने संविधान दिवस को पितृ दिवस के रूप में मनाता है
डेनमार्क ने भारत से पूरे सौ साल पहले, 5 जून 1849 को अपना संविधान स्वीकृत किया था. 5 जून 1953 को यहां का संविधान दूसरी बार तैयार किया गया. वहां भी संविधान दिवस मनाया जाता है. इस दिन को डेनमार्क के लोग पितृ दिवस के रूप में मनाते हैं.
कैलीग्राफी के जरिये तैयार हुई थी संविधान की पहली प्रति
भारतीय संविधान की पहली प्रति के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है कि संविधान के सजे हुए जो फोटो हम देखते हैं, वह संविधान की पहली हस्तलिखित प्रति के फोटो हैं, जिन्हें कैलीग्राफी के जरिये तैयार किया गया था. इसे दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी रायजादा ने तैयार किया था.
पंडित नेहरू ने किया था निवेदन रायजादा ने रखी थी अनोखी शर्त
26 नवंबर, 1949 को जब संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार हो गया, तब तय हुआ कि संविधान की पहली प्रति को कैलीग्राफी की खूबसूरत कला में सहेजा जाये. पंडित नेहरू ने प्रेम बिहारी रायजादा से खूबसूरत लिखावट में इटैलिक अक्षरों में संविधान की प्रति लिखने का अनुरोध किया. सक्सेना कायस्थ परिवार में जन्मे प्रेम बिहारी रायजादा का पारिवारिक कार्य कैलीग्राफी था. उन्होंने अपनी एक शर्त रख दी.
उन्होंने पंडित नेहरू से कहा कि संविधान के हर पृष्ठ पर मैं अपना नाम लिखूंगा और अंतिम पृष्ठ पर मैं अपने दादाजी का भी नाम लिखूंगा. प्रेम बिहारी रायजादा की इस शर्त पर तत्कालीन सरकार ने विचार किया और यह शर्त मान ली गयी.
ठुकरा दिया था मेहनताना, छह महीने में पूरा किया काम
सरकार ने जैसे ही रायजादा की शर्त मानी, रायजादा ने काम करना शुरू कर दिया. सरकार ने जब रायजादा से इसके लिए मेहनताना के बारे में पूछा, तो उनका जवाब बड़ा गंभीर था. उन्होंने कहा, मुझे एक भी पैसा नहीं चाहिए.
भगवान की कृपा से मेरे पास सबकुछ है और मैं अपने जीवन से काफी खुश हूं. जब प्रेम बिहारी रायजादा ने कैलीग्राफी के जरिये भावी भारत की वैधानिक संहिता को तैयार करने का काम स्वीकार कर लिया, तो उन्हें संविधान सभा के भवन में ही एक हॉल दे दिया गया, जहां उन्होंने छह महीने में यह कार्य पूरा किया.
संशोधन, जिसने जनतंत्र को दी मजबूती
भारतीय संविधान में अब तक 101 बार संशोधन हुए हैं. इनके जरिये जनतंत्र और शासन प्रणाली को सामयिक जरूरतों के मुताबिक मजबूती प्रदान की गयी.
पहला संशोधन-1951: स्वतंत्रता, समानता एवं संपत्ति से संबंधित मौलिक अधिकारों को लागू करने के संबंधी व्यावहारिक कठिनाइयों का निराकरण. संविधान में नौवीं अनुसूची जोड़ी गयी. सातवां संशोधन-1956 : भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन.
42वां संशोधन-1976 : बेहद महत्वपूर्ण संशोधन. संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं एकता और अखंडता शब्द जोड़े गये. नीति निर्देशक सिद्धांतों की मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता, संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुक्त करने और विधानसभाओं एवं लोकसभा की सीटों की संख्या को 2000 तक स्थिर करने का प्रावधान किया गया.
44वां संशोधन-1978 : राष्ट्रीय आपात स्थिति लागू करने के लिए आंतरिक अशांति के स्थान पर सैन्य विद्रोह का आधार रखा गया एवं आपात स्थिति संबंधी अन्य प्रावधानों में परिवर्तन लाया गया, जिससे उनका दुरुपयोग न हो.
प्रमुख संविधान निर्मात्री समितियों के अध्यक्ष
जवाहर लाल नेहरू
संघ शक्ति समिति, संविधान समिति एवं राज्यों के लिए समिति
सरदार पटेल
रियासतों से परामर्श, मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक व प्रांतीय संविधान
जेबी कृपलानी
मौलिक अधिकारों पर उपसमिति, झंडा समिति
डॉ राजेंद्र प्रसाद
प्रक्रिया नियम समिति (संचालन)
अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
प्रारूप संविधान का परीक्षण करने वाली समिति
डॉ भीमराव आंबेडकर
प्रारूप समिति एवं मसौदा समिति
ये थे प्रारूप समिति के सात सदस्य : डॉ बीआर आंबेडकर, अल्लादी कृष्णा स्वामी अयंगर, एन गोपाल स्वामी अयंगर, कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी, एन माधवराज (बीएल मित्तल के स्थान पर आये), टीटी कृष्णामाचारी (डीपी खेतान के स्थान पर आये), मोहम्मद सादुल्ला

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