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धूम्रपान से फेफड़े ही नहीं, रीढ़ की हड्डियां भी होती हैं प्रभावित, बचाव के लिए ऐसे सुधारें अपनी जीवनशैली

धूम्रपान करनेवालों की संख्या में कमी लाने के लिए सरकारी व गैर-सरकारी स्तर पर कई प्रयास किये जा रहे हैं, मगर इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा. इस कारण हर साल फेफडों के कैंसर और श्वसन से संबंधित दूसरी बीमारियों के कारण हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है. धूम्रपान के प्रतिकूल प्रभावों में […]

धूम्रपान करनेवालों की संख्या में कमी लाने के लिए सरकारी व गैर-सरकारी स्तर पर कई प्रयास किये जा रहे हैं, मगर इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा. इस कारण हर साल फेफडों के कैंसर और श्वसन से संबंधित दूसरी बीमारियों के कारण हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है. धूम्रपान के प्रतिकूल प्रभावों में निकोटिन की लत, फेफड़ों और दूसरे प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ना, आर्टियोस्लेरोसिस (धमनियों का कड़ा होना) व हृदय रोग, साथ ही जीवनकाल कम हो जाना आदि हैं.
हड्डियों पर कैसे पड़ता है दुष्प्रभाव : जैसे कि हम जानते हैं धूम्रपान करने वालों की शारीरिक क्षमता धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कम होती है. इसका मुख्य कारण फेफड़ों की सक्रियता कम होना है. सिगरेट पीने से शरीर में रक्त की मात्रा कम और हानिकारक पदार्थों, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है. ये हृदय और रक्त नलिकाओं पर धूम्रपान के प्रभाव के साथ संयुक्त होकर शारीरिक गतिविधियों को सीमित कर सकते हैं.
हड्डियां एक जीवित उत्तक हैं, जो शरीर के दूसरे तंत्रों द्वारा उपलब्ध कराये गये कार्यों और समर्थन पर निर्भर होती हैं. जब ये तंत्र सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते, हड्डियां स्वयं अपना पुनर्निर्माण नहीं कर पाती हैं. हड्डियों का निर्माण विशेष रूप से शारीरिक सक्रियता और हार्मोनों की गतिविधि द्वारा प्रभावित होता है, जो सिगरेट पीने से प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं.
प्रमुख तथ्य
सिगरेट में तंबाकू की सुखी पत्तियां और सुगंध होती हैं, जिसमें लगभग 4000 रसायन होते हैं. इनमें से कुछ पदार्थ हानिरहित होते हैं जब तक कि इन्हें जलाया नहीं जाता और सांस के साथ शरीर में अंदर नहीं लिया जाता. सिगरेट के धुएं को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है- सुनिश्चित कण और गैसें. बड़ी समस्या यह है कि धूम्रपान करनेवाले इस बात से अनजान होते हैं कि इससे उनकी रीढ़ की हड्डी विकृत हो जायेगी, जो एक लंबे समय तक चलनेवाला रोग है.
ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा
पुरुषों और महिलाओं, दोनों में सिगरेट पीने से हार्मोन की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. धूम्रपान से महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, जिसके कारण हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका बढ़ जाती है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों की शक्ति कम हो जाती हैं, वह आसानी टूट सकती हैं. यह साइलेंट डिजीज रीढ़ की हड्डियों और कुल्हों के फ्रैक्चर के लिए उत्तरदायी है.
सिगरेट में मौजूद विषैले तत्व हड्डियों और मुलायम उत्तकों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. जब हम रीढ़ की हड्डी के बारे में बात करते हैं, जो कशेरूका, उपास्थियों से बनी अकशेरूकी डिस्क, संयोजी उत्तक, छोटी मांसपेशियों और तंत्रिकाओं से मिलकर बनी होती हैं. हमें यह विस्तृत रूप से समझ में आने लगता है कि कैसे धूम्रपान हमारी रीढ़ की हड्डी की कार्य करने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है. रीढ़ की हड्डी के सभी भाग धूम्रपान से प्रभावित होते हैं.
उपचार प्रक्रिया
स्पाइनल फ्यूजन : जब उपास्थि, कशेरूका और अकशेरूकाओं के बीच की डिस्क कमजोर पड़ जाती है, डिस्क फूलने या उसमें आंतरिक वृद्धि होने की आशंका बढ़ जाती है, तो रीढ़ की तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है.
रीढ़ की हड्डी को ठीक करने की प्रक्रिया स्पाइनल फ्यूजन है, जो एक सर्जरी है. इसके जरिये रीढ़ के हड्डियों वाले भाग (जैसे कशेरूका) को जोड़ने के लिए किया जाता है. फ्यूजन के ठीक होने के लिए, रीढ़ की हड्डी के भागों के बीच में नयी हड्डियों का विकास अावश्यक है.
कभी-कभी फ्यूजन के साथ एक और सर्जिकल तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिसे स्पाइनल इंस्टुमेंटेशन कहा जाता है. इसमें कई हार्डवेयर जैसे रॉड, हुक्स, वायर्स और स्क्रिव का उपयोग होता है, जिन्हें रीढ़ की हड्डी से जोड़ा जाता है. ये यंत्र रीढ़ की हड्डी को तुरंत स्थायित्व देते हैं और उसे एक उचित स्थिति में रखते हैं जब तक कि फ्यूजन अच्छा न हो जाये.
सर्जरी की सफलता इन बातों पर : स्पाइनल फ्यूजन की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है. अगर फ्यूजन ठीक नहीं होता है, सर्जरी दोबारा करनी होती है. कुछ निश्चित कारक भी सफलता को प्रभावित करते हैं, जैसे मरीज की उम्र, दूसरी मेडिकल कंडीशंस जैसे डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और धूम्रपान. ये नयी हड्डी के विकास में बाधक हैं.
डॉ सतनाम सिंह छाबड़ा
डायरेक्टर, न्यूरो एंड स्पाइन डिपाटमेंट
सर गंगाराम अस्पताल, नयी दिल्ली
बचाव के लिए सुधारें अपनी जीवनशैली
धुम्रपान रोग प्रतिरोधक तंत्र और शरीर की दूसरी सुरक्षा प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण ऑपरेशन के बाद मरीज में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
हालांकि, मरीज के लिए धूम्रपान छोड़ना कहने की तुलना में आसान नहीं होता, लेकिन कुछ टिप्स अपनाकर इसे छोड़ने की कोशिश की जा सकती है. मरीज को ढेर सारा पानी या कैफीन रहित तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि कैफीन से निकोटिन का सेवन करने की तीव्र इच्छा बढ़ती है. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और रात में आठ घंटे की नींद लें. कई लोग जब थकान या उर्जा की कमी महसूस करते हैं तब वे कई सिगरेट पी जाते हैं.
चूंकि धूम्रपान करने की लत और हमारी आदतों के बीच गहरा संबंध है, अपनी जीवनशैली को बदलने का प्रयास करें. अपना लंच अलग स्थान पर बैठकर खाएं, रोज नये रास्ते से घूमने जाएं और टीवी देखने के बजाय किताबें पढ़ें.

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