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वर्ल्ड टीबी डे आज : झारखंड में टीबी से हर दिन तीन से चार लोगों की होती है मौत

II सुनील चौधरी II l वर्ष 2017 में 44582 मरीज मिले, 1289 की हुई मौत, टीबी मरीज की सूचना न देनेवाले डॉक्टरों को होगी सजा रांची : झारखंड में टीबी का प्रभाव अभी भी खतरनाक स्तर पर है. राज्य में हर दिन तीन से चार लोगों की मौत टीबी की वजह से होती है. हालांकि […]

II सुनील चौधरी II
l वर्ष 2017 में 44582 मरीज मिले, 1289 की हुई मौत, टीबी मरीज की सूचना न देनेवाले डॉक्टरों को होगी सजा
रांची : झारखंड में टीबी का प्रभाव अभी भी खतरनाक स्तर पर है. राज्य में हर दिन तीन से चार लोगों की मौत टीबी की वजह से होती है. हालांकि राज्य में टीबी से मौत की दर जहां 3.5 प्रतिशत है, वहीं इलाज से ठीक होने की दर 91 प्रतिशत के करीब है.
वर्ष 2017 में झारखंड में 44582 टीबी के नये मरीज मिले हैं. जिनमें 36851 मरीज सरकारी अस्पतालों में मिले हैं, वहीं 7626 टीबी के केस निजी अस्पतालों में मिले हैं. हालांकि सरकार का अनुमान है कि यह आंकड़ा भी लगभग 30 हजार कम है. वजह है कि अभी भी निजी अस्पतालों व निजी क्लिनिक में टीबी का इलाज करा रहे मरीजों की जानकारी सरकार तक पूरी तरह नहीं आ पाती है.
हो सकती है दो साल जेल की सजा : टीबी की जानकारी नहीं देने वाले डॉक्टरों, हेल्थ वर्करों और फार्मासिस्ट को अब दो साल तक जेल की सजा दी जा सकती है. भारत सरकार ने इससे संबंधित गजट प्रकाशित कर दिया है. इसमें टीबी की रिपोर्ट नहीं देनेवालों के खिलाफ आइपीसी की धारा 269 और 270 के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है.
आइपीसी की धारा 270 के तहत दो साल तक की जेल, अर्थदंड या दोनों ही सजा का प्रावधान किया गया है. 269 में छह माह तक की सजा, अर्थदंड या फिर दोनों ही सजा का प्रावधान किया गया है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री द्वारा 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने की घोषणा की गयी है. इसी के तहत अब निजी अस्पताल या सरकारी अस्पताल सबको टीबी मरीज की सूची देनी होगी.
सीबीनाट मशीन से होती है टीबी के मरीजों की जांच
अब सरकार के पास 21 सीबीनाट मशीन है, जिससे टीबी के मरीजों की तुरंत जांच कर पता किया जा सकता है कि मरीज को टीबी है या नहीं है. भारत सरकार द्वारा 15 और सीबीनाट मशीन झारखंड को दिये जा रहे हैं. तब झारखंड के हर जिले में टीबी की जांच की व्यवस्था हो सकेगी.
मरीजों को मिलते हैं 500 रुपये प्रतिमाह
टीबी के मरीजों को सरकार की ओर से पोषणयुक्त आहार लेने के लिए प्रत्येक माह 500 रुपये दिये जाते हैं. यह राशि उन्हीं मरीजों को मिलती है, जो सरकार के यहां नोटिफाइड हैं. यह राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे मरीजों के खाते में जाती है.
कुणाल षाड़ंगी ने बहरागोड़ा को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया
टीबी मुक्त अभियान के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संस्था रिच के साथ बहरागोड़ा विधायक कुणाल षाड़ंगी ने बहरागोड़ा को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है. वह संस्था के साथ टीबी मुक्त अभियान में काम करेंगे. संस्था द्वारा पूरे झारखंड में अलग-अलग इलाकों में इसी तरह जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा.
हर दिन देनी होती है दवा
टीबी के इलाज के प्रति सरकार गंभीर है. अब टीबी के मरीजों को हर दिन दवा दी जाती है. मरीज या तो क्लिनिक आकर देवा लेंगे या हेल्थ वर्कर उनके घर तक जाकर दवा खिलायेंगे. बताया गया कि यही वजह है कि झारखंड में टीबी से इलाज की सफलता दर अब 91 प्रतिशत तक हो गयी है और सरकारी अस्पतालों में टीबी से मौत की दर 3.5 प्रतिशत है. हालांकि निजी अस्पतालों या क्लिनिक में इलाज करा रहे कितने टीबी मरीजों की मौत हुई है, यह आंकड़ा सरकार के पास नहीं है.

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