नेशनल कंटेंट सेल
गुरुग्राम के रेयान स्कूल में प्रद्युम्न की हत्या को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा है. इधर गोरखपुर के एक निजी स्कूल में क्लास टीचर की प्रताड़ना से तंग आकर एक बच्चे की आत्महत्या का मामला सामने आया है. गोरखपुर के सेंट एंथोनीज कॉन्वेंट स्कूल की 5वीं क्लास में पढ़ने वाले 11 साल के नवनीत प्रकाश ने आत्महत्या के पहले जो पत्र छोड़ा है, वह स्कूलों में शिक्षकों के व्यवहार पर सवाल खड़ा करता है.
नवनीत अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था. 15 सितंबर को वह स्कूल से घर लौटा. घर में उसके पिताजी रवि प्रकाश नहीं थे. वह एक इंटर स्कूल में शिक्षक हैं. अपने स्कूल में थे, जबकि मां किसी काम से बाजार गयी थीं. जब वह बाजार से वापस आयीं, तो लौटीं तो देखा उनका बेटा बेहोश है और उसके मुंह से झाग निकल रहा था. उसके बाद पड़ोसियों की मदद से उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया.बुधवार को इलाज के दौरान नवनीत ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने जब स्कूल बैग चेक किया, तो उन्हें पत्र मिला, जो सुसाइड नोट था. इसमें उसने लिखा था कि क्लास टीचर भावना जोसेफ की सजा से तंग आकर वह जान दे रहा है. बच्चे के दादा जी का आरोप है कि दलित होने के कारण उनके पोते को स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों द्वारा प्रताड़ित किया
जाता था. निजी स्कूलों में बच्चों को प्रताड़ना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
स्कूल टीचर गिरफ्तार
नवनीत की मौत के बाद गुस्साये लोग शव के साथ जेल बाईपास रोड स्थित स्कूल पहुंचे. प्रबंधन स्कूल को बंद करके वहां से निकल गया. अभिभावकों ने पथराव और तोड़फोड़ की. पुलिस ने शिक्षक और प्रबंधक के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी टीचर भावना राय को गिरफ्तार कर लिया है.
स्कूल बैग में मिला सुसाइड नोट
पापा, आज (15 सितंबर) मेरा पहला एग्जाम था. मेरी क्लास टीचर मैम ने मुझे सवा नौ बजे तक रुलाया, खड़ा रखा. वो इसलिए क्योंकि वो चापलूसों की बात मानती है. उनकी किसी बात का विश्वास मत करिएगा. कल उन्होंने मुझे तीन घंटे तक खड़ा रखा. आज मैंने सोच लिया है कि मैं मरने वाला हूं. मेरी आखिरी इच्छा है कि आप मैम को किसी बच्चे को इतनी बड़ी सजा न देने को कहें. अलविदा पापा, मम्मी और दीदी.
समाज के सामने सवाल
पांचवीं के छात्र द्वारा आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाना समाज के सामने सवाल है. मनोचिकित्सकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों के प्रति कठोर व्यवहार कतई नहीं होना चाहिए. अभिभावक भी देखें कि उनका बच्चा कहीं डिप्रेशन में तो नहीं है.