undefined
वाशिंगटन : आतंकवाद के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के नंगारहर में दुनिया भर में दहशत फैलाने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों पर करीब 21,000 पाउंड (9,797 किलो) वजनी के गैर-परमाणु बम गिराया है. इस बीच, अमेरिकी सांसदों ने पूर्वी अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर अमेरिकी सेना द्वारा सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिराए जाने के बाद ट्रंप प्रशासन की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि इससे क्षेत्र में आतंकी गुटों को एक स्पष्ट संदेश गया है. वहीं, अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर भी देश-दुनिया के ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई की तारीफ की जा रही है. सोशल मीडिया पर तो यहां तक कहा जा रहा है कि आतंकवाद के पनाहगाह बने पाकिस्तान पर भी ऐसा ही बम गिराओ.
अमेरिकी सेना ने बुधवार को जीबीयू-43 (बी) मैसिव ऑर्डनेन्स एयर ब्लास्ट बम गिराया, जिसे ‘मदर ऑफ ऑल बम’ (एमओएबी) भी कहा जाता है. यह बम अफगानिस्तान के पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले नंगरहार प्रांत के अचिन जिले में आईएसआईएस खुरासन के एक सुरंग परिसर में गिरा. अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमाई इलाके में कई सुरंग परिसर हैं और इनका उपयोग आईएसआई तथा अफगानिस्तान में एवं उसके बाहर सक्रिय अन्य आतंकी गुट करते हैं. एमओएबी को वर्ष 2003 में विकसित किया गया था लेकिन इसका पहली बार उपयोग अभी किया गया.
अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के कमांडर जनरल जॉन निकोल्सन ने कहा कि आईएसआईएस खुरासन को गहरा नुकसान हुआ है, वह अपने बचाव के लिए आईईडी, बंकरों और सुरंगों का उपयोग करते हैं, जिसे देखते हुए उनकी क्षमता घटाने एवं आईएसआईएस खुरासन के खिलाफ अमेरिकी अभियान को बरकरार रखने के लिए यह सही कदम है. सीनेटर जिम इन्होफे ने कहा कि पूर्वी अफगानिस्तान में एमओएबी बम गिराने के फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि अमेरिका अफगानिस्तान में आईएसआईएस तथा अन्य आतंकी संगठनों को कमजोर करने और उसे परास्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. इन्होफे सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं.
आतंकवादियों को दिया गया स्पष्ट संकेत
इन्होफे ने कहा कि मैंने राष्ट्रपति गनी और हमारे गठबंधन के साझीदारों से इस प्रतिबद्धता को लेकर फरवरी में ही अपने काबुल दौरे के समय बात की थी. यह हमला इन आतंकी समूहों के खिलाफ हमारे अफगान साझीदारों और उनकी लड़ाई का समर्थन करता है. इन्होफे ने आतंक के खिलाफ लड़ाई के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबद्धता की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से शत्रु तथा अमेरिका के सहयोगियों दोनों को स्पष्ट संदेश गया है.
पूरी दुनिया में गया सबसे बड़ा संदेश
वहीं, अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य केविन ने कहा कि ट्रंप ने इस्लामिक स्टेट को जो स्पष्ट संदेश दिया है, वह रूस, उत्तर कोरिया, ईरान और पूरी दुनिया को सुनाई देगा. उन्होंने कहा कि मैं हमारे जवानों की तारीफ करता हूं, जिन्होंने हमारे देश को सुरक्षित रखने के लिए हर दिन अपनी जान खतरे में डाली. कांग्रेस के मैट गेज ने कहा कि बम गिराने का ट्रंप का फैसला दुनिया से आईएसआईएस का नामोनिशान मिटाने की उनकी प्रतिबद्धता को जाहिर करता है.
उन्होंने कहा कि यह संदेश उनके उस अभियान का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने आईएसआईएस के खात्मे को अमेरिका की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया था. राष्ट्रपति की कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश भी गया है कि हम हमारे सैनिकों पर हमले बर्दाश्त नहीं करेंगे और जो लोग ऐसा करते हैं, वह कड़ी प्रतिक्रिया की अपेक्षा कर सकते हैं.
अमेरिकी फौज की संख्या बढ़ाकर आईएस को दिया जायेगा जवाब
बहरहाल, डेमोक्रेटिक सांसदों ने ऐसे बम के उपयोग के पीछे के इरादों पर सवाल उठाया है. कांग्रेस की बारबरा ली ने बताया कि एमओएबी का उपयोग अप्रत्याशित था और यह अफगानिस्तान में करीब 16 साल से जारी युद्ध में एक नया मोड़ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को अमेरिकी जनता के समक्ष आईएसआईएस को हराने के लिए अपनी दीर्घकालिक रणनीति और अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों की संख्या बढ़ाने के बारे में जवाब देना होगा. उन्होंने सदन के स्पीकर पॉल रयान से कांग्रेस का सत्र बुलाने का अनुरोध किया, ताकि वर्ष 2001 में अमेरिकी सेना के उपयोग के लिए दिए गए अधिकार को खत्म किया जा सके.
राजनीतिक सैन्य रणनीति पर जोर-शोर से होगा काम
कांग्रेस के सेठ मौल्टन ने कहा कि अमेरिका को यह सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक, एकीकृत और राजनीतिक-सैन्य रणनीति की जरूरत है कि अमेरिकी सेना की कार्रवाइयां पूरी होने के बाद शांति रहे. भारतीय अमेरिकी रिपब्लिकन नेता पुनीत अहलूवालिया ने कहा कि यह ट्रंप के नेतृत्व और उनके प्रशासन का आतंकी संगठनों को स्पष्ट संदेश है. एक बयान में उन्होंने कहा कि हम अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिए हमारे शास्त्रागार में जो कुछ है, उसका उपयोग करने में नहीं हिचकेंगे.