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आतंकी हाफिज सईद ने ट्रैवल बैन हटाने के लिए पाक सरकार को लिखी चिट्ठी

लाहौर : मुबंई हमले के दोषी और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने पाकिस्तान सरकार से अपने ऊपर लगे ट्रैवल बैन को हटाने के लिए कहा है. इसके लिए हाफिज सईद ने पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार अली खान को पत्र लिखा है. सईद ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि उसका नाम […]

लाहौर : मुबंई हमले के दोषी और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने पाकिस्तान सरकार से अपने ऊपर लगे ट्रैवल बैन को हटाने के लिए कहा है. इसके लिए हाफिज सईद ने पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार अली खान को पत्र लिखा है. सईद ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि उसका नाम उस सूची से तत्काल हटाया जाए जो देश से बाहर जाने को लेकर उस पर प्रतिबंध लगाती है. उसने दावा किया कि उससे न तो सुरक्षा को कोई खतरा है और न ही उसका संगठन आतंकवादी गतिविधियों में कभी शामिल रहा है.

वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड ने गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान को लिखे पत्र में कहा, कि 38 लोगों को सूची में डालने वाले 30 जनवरी 2017 को जारी ज्ञापन पत्र को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी. सरकार ने सईद एवं जमात उद दावा के 37 अन्य नेताओं और उसकी फलाह ए इंसानियत चैरिटी को पिछले महीने ‘एग्जिट कंट्रोल लिस्ट’ में डाल दिया था. शांति एवं सुरक्षा के लिए ‘‘हानिकारक” गतिविधियों में शामिल होने के संबंध में सईद और संगठन के चार अन्य नेताओं को 90 दिनों के लिए ‘‘नजरबंद” कर दिया गया है. इसके अलावा गृह मंत्रालय ने जमात उद दावा और एफआईएफ को छह महीने के लिए ‘‘निगरानी-सूची” में डाल दिया था.

लेकिन सईद ने सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए कहा, कि जमात उद दावा संगठन पाकिस्तान में किसी आतंकवादी गतिविधि में कभी शामिल नहीं रहा और संगठन पर आतंकवाद या संपत्ति को नुकसान पहंुचाने संबंधी किसी घटना का कभी आरोप नहीं लगा. उसने तर्क दिया कि संघीय या प्रांतीय सरकारों ने किसी अदालत में उसके खिलाफ कभी कोई सामग्री पेश नहीं की. उसने वर्ष 2009 में उसके खिलाफ एक मामले में लाहौर उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ की टिप्पणी का हवाला दिया.

अदालत ने कहा था, कि मौजूदा मामले में सरकार के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता से पाकिस्तान की सुरक्षा को कोई खतरा है और केवल संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के आधार पर किसी की स्वतंत्रता में अवरोध पैदा नहीं किया जा सकता.

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