नयी दिल्ली : देश के गरीबों और किसानों के मसीहा बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बुधवार को पेश होने वाले वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सालाना आम बजट में कृषि कर्ज के लक्ष्य को 9,00,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर सकती है. इसके पीछे सरकार की मंशा कृषि क्षेत्र में किसानों को मिलने वाले कर्ज के प्रवाह को बढ़ाने की है. बताया यह जा रहा है कि सरकार की ओर से कृषि कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाने से किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध हो सकेगा और उनकी जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा.
सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार कृषि कर्ज लक्ष्य को बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रपये कर सकती है. यह अभी मौजूदा समय में नौ लाख करोड़ रुपये है. वित्तवर्ष 2016-17 के अप्रैल से सितंबर की अवधि के दौरान किसानों के बीच करीब 7.56 लाख करोड़ रुपये के ऋण का वितरण किया गया है और कुल कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाये जाने की संभावना है. इसके अलावा, सरकार एक फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किये जाने वाले केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर सकती है.
चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने इस योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, लेकिन बाद में संशोधित बजट अनुमान में बढ़ाकर इसे करीब 13,000 करोड़ रुपये किया गया था. पीएमएफबीवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल, 2016 में पेश किया था, जिसका उद्देश्य किसानों से काफी कम प्रीमियम लेकर देश में फसल बीमा कवच दायरे को बढ़ाना और दावे का पूर्ण भुगतान सुनिश्चित करना था. सरकार तीन लाख रुपये तक का अल्पावधिक फसल ऋण सात फीसदी सालाना की सब्सिडीप्राप्त ब्याज दर पर उपलब्ध कराती है.
ऋण के निर्धारित समयावधि के भीतर भुगतान करने के लिए किसानों को तीन फीसदी की अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, जिसके कारण ब्याज की प्रभावी दर ऐसे किसानों के लिए चार फीसदी ही रह जाती है. हाल में नोटबंदी के कारण नकदी संकट से जूझने वाले किसानों को राहत प्रदान करने के लिए पिछले साल नवंबर-दिसंबर के लिए अल्पावधिक फसल ऋण पर सरकार ने 660.50 करोड़ रुपये के ब्याज को माफ किया.