चीन सरकार ने ग्रामीण विकास संबंधी बातों को चीन के नंबर एक दस्तावेज में दर्ज किया है. इसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति, राज्य परिषद् तथा मंत्रिमंडल ने तैयार तथा जारी किया है जो चीन के ग्रामीण विकास की नीति को पिछले एक दशक से आकार दे रही हैं. इस संपूर्ण दस्तावेज का सार रूरल एंड मार्केटिंग पत्रिका के प्रबंध निदेशक ओंकारेश्वर पांडे ने प्रस्तुत किया है .
आप कौन हैं, 64 वर्षीय घर की महिला मुखिया यह सवाल झी जिनपींग से पूछती है जैसे ही वह चीन के एक सुदूरवर्ती गांव के एक घर में प्रवेश करते हैं. जिनपींग के साथ आये पदाधिकारियों ने उस वृद्ध ग्रामीण महिला के उलझन को कम करने के लिए तत्परता से चीन के इस प्रभावशाली नेता का परिचय कराया. इस अटपटे सवालों का सामना चीन के राष्ट्रपति को तब करना पड़ा जब वह दो महीने पूर्व 03 नवंबर से 05 नवंबर 2013 तक हूनान प्रांत के निरीक्षण दौरा पर निकले हुए थे.
जिनपींग ने मध्य चीन के हूनान प्रांत के झियांगझी के तुजिया-मियाओ स्वायत्त प्रदेश के हूआयुआन शहर के पेयबी उपनगर के शिबादोंग गांव का भी भ्रमण किया. चीन के राष्ट्रपति जिनपींग जो चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय कमान के महासचिव हैं और केंद्रीय सेना आयोग के अध्यक्ष भी, चीन के कोई पहले नेता नहीं थे जिन्होंने देश के सुदूरवर्ती गांवों का भ्रमण कर वहां के ग्रामीणों की समस्याओं को महसूस करने और समझने की कोशिश किया है. चीन के दूसरे नेता भी गांवों के विकास के लिये बनाये जाने वाले नीतिगत फैसलों से पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे हैं.
यद्यपि जिनपींग अपने देशवासियों के लिए एक राजनीतिक संदेश (सीपीसी केंद्रीय कमेटी की बैठक से ठीक पूर्व)देने जरूर गये थे कि चीन का नया नेतृत्व उनका ख्याल रखता है. लेकिन क्या आपको याद है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली आबादी की समस्याओं और सुविधाओं की जानकारी लेने के लिए कोई दौरा किया हो. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विशेष कार्यपदाधिकारी (ओएसडी) अशोक टंडन कहते हैं : नहीं. यह पुछे जाने पर कि क्यों नहीं, वह कहते हैं: हो सकता है कि भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था प्रधानमंत्री को इस तरह से भ्रमण करने की इजाजत नहीं देता हो. हो सकता है.!! लेकिन चीन और भारत में यही आधारभूत अंतर है और भारत में धीमी गति से हो रहे ग्रामीण विकास और चीन के शानदार विकास होने के पीछे एक कारण यह भी है. भारत चीन के गांवों का तेज गति से हुए विकास की इस उपलब्धि के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक है. भारत को चीन में तीव्र गति से हुए इस विकास के दुष्प्रभाव से भी सीख लेने की जरूरत है, जिसने एक विषमता को जन्म दिया है.
विशेष कर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हुए विकास से आया अंतर भारत के नक्सल प्रभावित राज्यों का स्मरण कराता है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि चीन ग्रामीण इलाके में विशेष कर आधारभूत संरचना, सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में निवेश को बढ़ा रहा है और शहरी और ग्रामीण विकास में संतुलन बनाने तथा इस दूरी को पाटने का हर संभव प्रयास कर रहा है. इस वर्ष भी चीन ने अपने ग्रामीण विकास को शीर्ष प्राथमिकता देने के दृढ़ संकल्प की बात दोहरायी है.
19 जनवरी 2014 को चीन की राजधानी बीजिंग में सरकार ने अपनी पहली नीति दस्तावेज का खुलासा करते हुए ग्रामीण सुधार तथा आधुनिक कृषि के विकास की योजना की बात को रेखांकित किया. चीन के नंबर 1 केंद्रीय दस्तावेज 2014 में साफ तौर पर ग्रामीण और शहरी विकास में बढ़ रहे अंतर को लेकर चीनी नेताओं के सरोकार को दर्शाया गया है. और इसलिए भारत की तरह ही अपने नागरिक को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की ओर ध्यान केंद्रित किया है. दस्तावेज कहता है-चीन खाद्य सुरक्षा का संरक्षण,ग्रामीण तथा शहरी विकास में संतुलन स्थापित करते हुए सतत कृषि विकास का प्रयास, ग्रामीण क्षेत्रों में सघन भूमि सुधार तथा वित्तीय सहायता को प्रोत्साहन आदि कार्यो के लिए अपने मेकानिज्म (व्यवस्था) में सुधार लायेगा. रूरल एंड मार्केटिंग पत्रिका के एक अध्ययन के मुताबिक चीन का नंबर 1 केंद्रीय दस्तावेज में इस बात को उजागर किया है कि चीन पिछले 11 वर्षो से ग्रामीण मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता दे रहा है. दस पुराने दस्तावेज के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
वर्ष 2004 में
चीन का नंबर एक केंद्रीय दस्तावेज के एजेंडा में – किसानों के आय में बढ़ावा- को शामिल किया गया था. किसानों की आय में वृद्धि पर जोर राजनीतिक और आर्थिक रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दा था. दस्तावेज के अनुसार कृषि संरचना का समायोजन, कृषकों के लिए नौकरी में बढ़ावा, ग्रामीण निवेश को प्रोत्साहन, ग्रामीण सुधार तथा कृषि से संबंधित विज्ञान और तकनीक का विकास आदि को एजेंडा में शामिल किया गया था.
वर्ष 2005 में
चीन के नंबर एक दस्तावेज का विषयवस्तु -ग्रामीण कार्य को मजबूती तथा कृषि में संपूर्ण खाद्यान्न की उत्पादन क्षमता में सुधार लाना-था. चीन की सरकारी व्यवस्था द्वारा कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देकर उत्पादन में सुधार लाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहयोग दिया गया.
वर्ष 2006 में
चीन के नंबर एक दस्तावेज का विषयवस्तु-नया समाजवादी ग्रामीण क्षेत्र का निर्माण-था. चीन ने वर्ष 2006 से 2010 तक एक नये समाजवादी ग्रामीण क्षेत्र के निर्माण के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था, साथ ही ग्रामीण और शहरी विकास में तालमेल बैठाने के लिए अधिकतम प्रयास , आधुनिक कृषि में विकास, किसानों की आय में वृद्धि, ग्रामीण आधारभूत संरचना में विस्तार, ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहन तथा ग्रामीण सुधार पर जोर दिया.
वर्ष 2007 में
नंबर एक केंद्रीय दस्तावेज का कोर विषयवस्तु -आधुनिक कृषि का विकास तथा नये समाजवादी ग्रामीण क्षेत्र का निर्माण को निरंतर प्रोत्साहन-था. चीन के नेताओं ने आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने,विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल तथा उचित औद्योगिक व्यवस्था तथा प्रबंधन का विकास आदि एजेंडा इस अवधारणा के साथ निर्धारित किया कि चीन के कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता (कम्पीटिटीवनेस) आये तथा आर्थिक लाभ हो सके.
वर्ष 2008 में
चीन के नंबर एक केंद्रीय दस्तावेज का विषयवस्तु था-कृषि की बुनियाद का सुदृढ़ीकरण. इस दस्तावेज में चीन ने कृषि की आधारभूत व्यवस्था को मजबूत करने की प्रक्रिया को और अधिक तेजी से विकसित करना,अनाज के उत्पादन की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास, अनाज तथा अन्य उत्पाद की मांग तथा आपूर्ति में संतुलन आदि संबंधी आदेश दिया था.
वर्ष 2009 में
चीन के नंबर एक केंद्रीय दस्तावेज में पुन: इस बात का उल्लेख करते हुए कोर एजेंडा में – कृषि में विकास तथा किसानों की आय में वृद्धि- को रखा गया. इस वर्ष चीनी नेतृत्व ने वैश्विक मंदी से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला और अनाज उत्पादन में गिरावट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता तथा कृषि और ग्रामीण विकास में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया.
वर्ष 2010 में
चीन के नंबर एक केंद्रीय दस्तावेज के एजेंडा में- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच समन्वित विकास को गति देना तथा कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में विकास की नींव को और अधिक मजबूती प्रदान करना- शामिल था. चीन सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक निवेश, अनुदान,राजकोषीय और नीतिगत समर्थन के साथ ग्रामीणों की आजीविका में सुधार का वादा किया था.
वर्ष 2011 में
इस वर्ष के दस्तावेज का केंद्र बिंदु था- जल संरक्षण के विकास में गति लाना. इस वर्ष चीन ने 5 से 10 सालों तक अविकसित जल संरक्षण के कार्यो में सुधार लाने को लक्षित किया. बाढ़ तथा सूखा के कारण पानी उपलब्ध कराने वाली बुनियादी संरचना में आई कमजोरी के देखते हुए 2020 के अंत तक सूखा राहत प्रणाली तथा प्रभावशाली बाढ़ नियंत्रण के तरीकों को लाने का वादा, अनाज उत्पादन को बनाये रखना, किसानों की आय में बढ़ोतरी तथा ग्रामीण विकास को गति प्रदान करना – वर्ष 2011 के दस्तावेज में शामिल किया गया था.
वर्ष 2012 में
नंबर एक दस्तावेज में चीन ने कृषि उत्पाद में मजबूती लाने के लिए वैज्ञानिक तथा तकनीकी नवीनीकरण पर जोर दिया था. चीन सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि औद्योगीकरण, शहरीकरण तथा कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन देकर कृषकों की आय में वृद्धि तथा सामाजिक समरसता साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिरता बनाये रखने के लिए चीन को और अधिक परिश्रम करना चाहिए.
वर्ष 2013 में
चीन के केंद्रीय दस्तावेज में सरकार ने अपना ध्यान कृषि के आधुनिकीकरण को गति प्रदान करने तथा ग्रामीण विकास की शक्ति को और अधिक मजबूती देने पर केंद्रित किया था. अनाज संरक्षण तथा प्रमुख कृषि उपज की निर्यात को आधुनिक कृषि के विकास की श्रेणी में सबसे उपर रखा गया.