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बच्चों ने अपने पैसों से बनवाया कुष्ठ रोगियों के लिए किचेन शेड

वीरेंद्र कुमार सिंह दान देने के कई तरीके होते हैं. यह कोई जरूरी नहीं है कि धनी व्यक्ति ही दान कर सकता है. जिसके पास कुछ नहीं है, वह भी किसी की सहायता कर सकता है. परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय, जादूगोड़ा वन (पूर्वी सिंहभूम जिला) के छात्रों ने एक-एक पैसा जमा कर यहां के कुष्ठ […]

वीरेंद्र कुमार सिंह

दान देने के कई तरीके होते हैं. यह कोई जरूरी नहीं है कि धनी व्यक्ति ही दान कर सकता है. जिसके पास कुछ नहीं है, वह भी किसी की सहायता कर सकता है. परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय, जादूगोड़ा वन (पूर्वी सिंहभूम जिला) के छात्रों ने एक-एक पैसा जमा कर यहां के कुष्ठ रोगियों की जिस तरह से सहायता की है आम लोगों में वह चर्चा का विषय बना हुआ है. दूसरों के लिए यह अनुकरणीय है.

परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय वन के प्राचार्य हैं जी विजय गणोशन. इनके मन में असहायों की सहायता करने की मंशा जगी. इन्होंने अपने विद्यालय में ज्वाय ऑफ गिविंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के सभी छात्र प्रति शनिवार को एक-एक रुपये जमा करते हैं. इससे जो भी पैसा जमा होता है, वह कुष्ठ रोगियों की बीच बांट दिया जाता है. विगत 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन दीनबंधु आश्रम (कुष्ठ रोगियों की बस्ती) में एक किचेन शेड का उदघाटन किया गया. किचेन शेड निर्माण में 32 हजार की लागत आयी. यह पूर्णत: बच्चों के द्वारा जमा की गयी राशि से बनाया गया. तीन वर्षो से ज्वाय ऑफ गिविंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके पूर्व बच्चों के द्वारा जमा की गयी सहायता राशि से ही कुष्ठ रोगियों को किचन सेट प्रदान किया गया. जिसमें सामूहिक रूप से सभी खाना बना सकें. किचन सेट में ड्रम, बड़ा कराह, बड़ा डेकचा, ग्लास, जग, थाली आदि शामिल हैं. इसके अलावा प्रत्येक परिवार को मच्छरदानी और मैट भी प्रदान किया गया.

प्राचार्य जी विजय गणोशन ने इसके लिए सामाजिक कार्यो में अभिरुचि रखने वाले शिक्षकों की एक टीम बनायी है. इस टीम में सुरेश सिंह, सिद्धेश्वर हेंब्रम, पीके हेस एवं सीकोरेश गोप हैं. समय-समय पर कुष्ठ परिवारों के लिए रुचिकर भोजन का भी प्रबंधन किया जाता है. सभी को उनकी ही इच्छा के अनुसार, मछली-भात व मिठाई खिलायी गयी. कुष्ठ निवारण दिवस के अवसर पर उनके बीच फल का भी वितरण किया जाता है. इतना ही नहीं विद्यालय के ही बच्चों द्वारा हेल्पेज इंडिया को 1, 47, 645 रुपये की राशि प्रदान की गयी थी. यह राशि बच्चों ने यूसील आवासीय कॉलोनी एवं आसपास के क्षेत्रों से जमा की. विद्यालय के ही शिक्षक जेएन राणा एवं अंबालिका राणा का इस कार्य में विशेष योगदान है. हेल्पेज इंडिया के चीफ एक्ज्क्यूटिव मैथू चेरियन ने विद्यालाय को एक प्रमाण पत्र दिया. इस कार्यक्रम को मूर्त रूप देने वाले व सबसे अधिक राशि इकट्ठा करने वाले तीन छात्रों को हेल्पेज इंडिया की ओर से पुरस्कृत भी किया गया.

प्राचार्य जी विजय गणोशन कहते हैं कि ज्वाय ऑफ गिविंग कार्यक्रम चलाने के पीछे मेरा यह उद्देश्य है कि बच्चों में दान देने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो. असहायों को सहायता व दान करने से मन में जहां एक ओर खुशी होती है, वहीं शांति का भी अनुभव होता है. इसके अलावा दूसरे लोगों में भी दान देन की इच्छा जाहिर हो. इस कार्यक्रम का बच्चों के बीच भी अच्छा प्रभाव देखा जा रहा है.

दीनबंधु आश्रम के मुख्य नेता सुदर्शन जो खुद एक कुष्ठ रोगी हैं और पढ़े-लिखे हैं, कहते हैं कि जब से केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक हमारे बीच आने लगे हैं, उनके विचारों से हम काफी प्रभावित हैं. हमारा आश्रम खुशहाली के रास्ते पर है. हमलोग जीवन से निराश हो चुके थे. समाज से अलग हो चुके थे, लेकिन शिक्षकों के हम सभी आभारी हैं. हमलोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं. विद्यालय के सहयोग से हमारा विकास हो रहा है. सुदर्शन समाचार पत्र पढ़ने के शौकीन हैं. उनकी मांग है कि कोई दाता हमलोगों को एक समाचार पत्र मुहैया करा दे.

परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य जी विजय कृष्णन अति साधारण दिखने वाले असाधारण व्यक्ति हैं. सहयोग की भावना उनके मन में हर समय रहती है. विद्यालय के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी चाहे वह सफाई कर्मी हो या गार्डेनर सभी को वे अपने स्टाफ के सहयोग से प्रति वर्ष उपहार प्रदान करते हैं. प्रति वर्ष दो अक्तूबर को यह उपहार दिया जाता है. यह भी तीन वर्षो से जारी है. पूर्व में टिफिन, प्लेट, टिफिन कैरियर दिया गया था. इस वर्ष सभी को कुकर प्रदान किया है. इस संबंध में प्राचार्य कहते हैं कि इससे उनके बीच साफ -सफाई की भावना जागेगी. वे विद्यालय के अलावा अपने घर, गली व मुहल्ले को भी साफ रखेंगे.

अवकाश प्राप्त कर्मचारी का भी वे विशेष ध्यान रखते हैं. अवकाश प्राप्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उन्हें कंधा देने वाला कोई नहीं था. उनके घर में केवल बूढ़ी मां थीं, जो आंखों से देखने में सक्षम नहीं हैं. ऐसी स्थिति में प्राचार्य महोदय ने उन्हें अंतिम सहारा देकर दाह संस्कार कराया. इसके अलावा बाद में श्रद्ध कर्म में भी सहयोग किया. प्राचार्य के सहयोग की भावना से हमलोगों को सीख लेने की जरूरत है.

हमलोग जीवन से निराश हो चुके थे. जब से केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक हमारे बीच आने लगे हैं तब से हम उनके विचारों से काफी प्रभावित हैं. हमें पढ़ने के लिए एक अखबार भी चाहिए.

सुदर्शन, कुष्ठ पीड़ितों के नेता.

ज्वॉय ऑफ गिविंग (दान का सुख या आनंद) चलाने का मेरा उद्देश्य है कि बच्चों में दान की प्रवृत्ति उत्पन्न हो. असहायों को सहायता व दान करने से मन में जहां एक ओर खुशी होती है, वहीं शांति का भी अनुभव होता है. इसके अलावा इसका उद्देश्य यह भी कि इससे दूसरों में भी दान देने की इच्छा उत्पन्न हो.

जी विजय गणोशन, प्राचार्य, परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय वन, जादूगोड़ा.

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