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सालों से बने चक्र को आपको ही तोड़ना होगा

।। दक्षा वैदकर।। जब भी हम किसी चीज को पाने की बहुत कोशिश करते हैं या बड़े सपने देखते हैं, तो घर के बुजुर्ग यही कहते हैं ‘जितनी चादर है, उतने ही पैर फैलाओ, हमारे पूरे खानदान ने यह काम नहीं किया इसलिए तुम भी मत करो, हवाई किले मत बनाओ.’ कई युवा बड़ों की […]

।। दक्षा वैदकर।।

जब भी हम किसी चीज को पाने की बहुत कोशिश करते हैं या बड़े सपने देखते हैं, तो घर के बुजुर्ग यही कहते हैं ‘जितनी चादर है, उतने ही पैर फैलाओ, हमारे पूरे खानदान ने यह काम नहीं किया इसलिए तुम भी मत करो, हवाई किले मत बनाओ.’ कई युवा बड़ों की इन्हीं बातों को अपने दिमाग में इतनी गहराई से बैठा लेते हैं कि वे सचमुच कुछ नया करने की नहीं सोचते. वे बिजनेस करने से डरते हैं. क्रिएटिव फील्ड जैसे डांस, म्यूजिक, पेंटिंग, एक्टिंग में नहीं जा पाते, फिर भले ही उस चीज में वे निपुण हों. उन्हें लगता है कि वे भी अपने पिता की तरह एक सुरक्षित नौकरी कर लें. 10 से छह तक ऑफिस में काम करें, 60 साल तक काम करने के बाद रिटायर हो कर पेंशन लें. वे इसी चक्र को जारी रखते हैं और एक दिन मर जाते हैं.

इस चक्र को वे तभी तोड़ पाते हैं, जब उन्हें बाहरी लोगों द्वारा सपोर्ट मिले. उन्हें गाइड करनेवाला कोई मिल जाये. तीन-चार साल पहले मैंने रॉबर्ट कियोसकी की बुक ‘रिच डैड पुअर डैड’ पढ़ी थी. इसमें लेखक ऐसे ही दो पिताओं को जिक्र करता है. एक पिता उसके असली पिता थे, जो गरीब थे और रचनात्मक नहीं थे. वे नयी चीजें करने से घबराते थे इसलिए गरीब थे. वहीं, दूसरी तरफ उसके दोस्त के पिता थे, जो जानते थे कि रुपये कैसे कमाये जाते हैं. प्रॉफिट कैसे निकाला जाता है. लेखक बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपने अमीर पिता से गुण सीखे.

ऐसा ही कुछ अनुभव मेरे एक सीनियर ने मुङो बताया. उन्होंने बताया कि बचपन में वे जब भी इंगलिश बोलने की कोशिश करते, उनके पिता डांटते कि जब तक सही इंगलिश न सीख लो, तब तक बोल कर अपनी हंसी मत उड़वाओ. इसके बाद उन्होंने इंगलिश स्पीकिंग के लिए ट्यूशन लिया और वहां उनके टीचर ने कहा कि भले ही गलत इंगलिश बोलो, लेकिन बोलना शुरू तो करो. कम-से-कम ङिाझक तो खत्म करो. जिसे तुम्हारी इंगलिश समझ में न आये, वह उसकी समस्या है. तुम बिंदास बोलो. आज उसी टीचर की वजह से मैं एक अच्छा वक्ता हूं और हिंदी व इंगलिश दोनों भाषाओं में बोलता हूं.

बात पते की..

कोई मुकाम अगर हासिल करना है, तो इसके लिए पहल आपको खुद को ही करनी होगी. बेहतर है कि अपने डर को निकालें और काम शुरू करें.

इंगलिश बोलना सीखना है, तो पहले बोलना शुरू करें. ये न सोचें कि लोग हंसेंगे. अपनी ङिाझक को पहले दूर करें, तभी बात बनेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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