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गूगल साइंस फेयर 2016 : नन्हें वैज्ञानिकों के अनोखे इनोवेशन

तकनीक के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के उम्दा प्रदर्शन के बाद अब भारतीय किशोर भी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. ‘गूगल साइंस फेयर 2016’ के अंतिम 16 फाइनलिस्टों में दो भारतीय छात्रों समेत भारतीय मूल के छह छात्रों को चुना गया है. दोनों भारतीय छात्र साइबर शहरों- बेंगलुरु और हैदराबाद- के […]

तकनीक के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के उम्दा प्रदर्शन के बाद अब भारतीय किशोर भी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. ‘गूगल साइंस फेयर 2016’ के अंतिम 16 फाइनलिस्टों में दो भारतीय छात्रों समेत भारतीय मूल के छह छात्रों को चुना गया है. दोनों भारतीय छात्र साइबर शहरों- बेंगलुरु और हैदराबाद- के हैं. इस प्रतियोगिता का आखिरी राउंड अमेरिका के माउंटेन व्यू में आयोजित किया जायेगा, जहां सभी 16 फाइनलिस्ट पहुंचेंगे. तय कार्यक्रम के मुताबिक 27 सितंबर को प्रतियोगिता के विजेता का चयन किया जायेगा और स्कॉलरशिप के तौर पर उसे 50,000 डॉलर का पुरस्कार दिया जायेगा. जानते हैं इस वर्ष फाइनल राउंड के लिए चुने गये प्रतिभागियों और उनके प्रोजेक्ट की खासियतों समेत इससे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में …

श्रेयांक के

उम्र : 16 वर्ष देश : भारत

प्रोजेक्ट : मेमोरी बढ़ानेवाली डिवाइस कीप टैब.

कीप टैब एक वियरेबल डिवाइस-आधारित साेलुशन है, जिसमें क्लाउड-आधारित डीप-लर्निंग फ्रेमवर्क के इस्तेमाल से याददाश्त बढ़ायी जाती है, ताकि रोजमर्रा की चीजों की लोकेशन याद रहे. इस वियरेबल डिवाइस में एक घूमनेवाला छोटा कैमरा लगाया गया है, जो एक निर्धारित दूरी तक विविध चीजों पर नजर रखता है और उनकी लोकेशन बताता है.

मारियाेन पेंग वान रियोन, जॉय आंग जिंग झी, सोनिया अरुमुगनैनार

उम्र : 18 वर्ष (सभी की)

देश : सिंगापुर प्रोजेक्ट : पेंट की गुणवत्ता बढ़ाते हुए उसे ज्यादा टिकाऊ बनाया.

इस प्रोजेक्ट के तहत ग्रैफीन पेंट इलेक्ट्रॉड्स और पीवीए/ एच3पीओ4 इलेक्ट्राेलाइट्स का इस्तेमाल करते हुए अल्ट्राकैपेसिटर फैब्रिकेशन मैथॉड के जरिये आदर्श पेंट विकसित किया गया. विविध पेंट एप्लीकेशन तकनीक के जरिये वर्किंग डिवाइस का सफल सृजन किया गया, जो पेंट की गुणवत्ता को बढ़ाता है.

जैन समदानी

उम्र : 16 वर्ष देश : सउदी अरबिया प्रोजेक्ट : एक्सोहील – न्यूरोप्लास्टिसिटी के इस्तेमाल से स्ट्रोक के मरीजों को राहत

समदानी ने एक खास किस्म के हलके और पोर्टेबल डिवाइस का डिजाइन तैयार किया है, जो स्ट्रोक के मरीजों और मस्कुलर डिजेनरेटिव डिजीज से पीड़ितों को राहत प्रदान करता है.

झेंग जिआन योंग

उम्र : 18 वर्ष

देश : मलयेशिया

प्रोजेक्ट : अल्केन सेंसर से फेफड़े के कैंसर का पता लगाना.

योंग ने एक सामान्य केमीरेसिस्टर-आधारित सेंसर विकसित किया है, जो इंसान द्वारा छोड़ी गयी सांस में संभावित अल्केन कंपाउंड की तलाश करता है. इसके जरिये फेफड़े में पनप रहे कैंसर के लक्षणों को पहचाना जा सकता है.

सलीहा रेहनाज

उम्र : 15 वर्ष

देश : बांग्लादेश

प्रोजेक्ट : इको-फ्रेंडली एंड बायो-डिग्रेडेबल श्रेष्ठो मेन्सट्रुअल पैड्स.

एक बार गांव की यात्रा के दौरान सलीहा ने पाया कि वहां यूज्ड पैड्स को डिस्पोज करने का समुचित इंतजाम नहीं है. उन्हें जलाने से वायु प्रदूषण फैलता है और खुले में छोड़ देने से बीमारियां फैलने का जोखिम होता है. इसलिए सलीहा ने प्लास्टिक पैड्स का बेहतर विकल्प विकसित किया, जिसे श्रेष्ठो पैड का नाम दिया गया है.

अनीका चिरला

उम्र : 14 वर्ष

देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : ब्रेस्ट कैंसर का अनुमान लगाना.

इस प्रोजेक्ट के तहत अनिका ने एक ऐसा ऑटोमेटिक मॉडल विकसित किया है, जिसके माध्यम से शरीर में भविष्य में विकसित होनेवाले ब्रेस्ट कैंसर की संभावनाओं का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है.

फातसो सिंबाओ

उम्र : 18 वर्ष देश : जांबिया

प्राेजेक्ट : नाइट्रोजन पेस्टीसाइड्स और फर्टिलाइजर का सस्ता उत्पादन.

जांबिया ऊर्जा की कमी और अनाज की किल्लत व गरीबी के साथ अनेक समस्याओं से जूझ रहा है. इस प्रोजेक्ट के जरिये सिंबाओ ने कई समस्याओं का हल किया है. अमोनिया गैस के इस्तेमाल से आसान और सस्ते तरीके से कम समय में नाइट्रोजन फर्टिलाइजर का निर्माण किया जा सकता है. साथ ही हाइड्रोलिसिस के जरिये सस्ते में नाइट्रोजन पेस्टीसाइड्स बनाया जा सकता है.

अनुष्का नायकनावरे

उम्र : 13 वर्ष देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : घाव की निगरानी के लिए बायोकोम्पेटिबल सेंसर का िवकास.

इस प्रोजेक्ट का मकसद एक सस्ते, बायोकोम्पेटिबल और ऐसे भरोसेमंद सेंसर काे विकसित करना है, जो ड्रेसिंग किये जानेवाले घाव में नमी का स्तर बताये और उसकी निगरानी कर सके. इसमें कार्बन नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल किया गया है, जो इस लिहाज से प्रभावी पाये गये हैं.

निखिल गोपाल

उम्र : 15 वर्ष

देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : स्मार्टफोन से मलेरिया टेस्टिंग.

निखिल ने एक ऐसे पोर्टेबल सिस्टम का ईजाद किया है, जो एलिजा एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट असेय के इस्तेमाल से मलेरिया प्रोटीन्स की तलाश करता है. इसमें स्मार्टफोन और माइक्रोफ्लूडिक डिस्क का इस्तेमाल किया गया है.

मनसा फातिमा

उम्र : 15 वर्ष देश : भारत

प्रोजेक्ट : धान के खेतों में स्वचालित जल प्रबंधन और निगरानी प्रणाली का विकास.

मनसा ने किसानों को खेती के लिए पानी मुहैया करानेवाले विविध जलीय स्रोतों से खेतों और उनकी पानी की जरूरतों को स्मार्टफोन से जोड़ा है. इस सिस्टम के जरिये किसान अपने खेत में पानी की निगरानी आॅटोमेटिक तरीके से कर सकते हैं. यानी स्वचालित जल प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से खेतों को समय से पर्याप्त पानी दिया जा सकता है और साथ ही पानी बचाया भी जा सकता है.

निशिता बेलुर

उम्र : 13 वर्ष

देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : लेजर लाइट रिफ्लेक्शन के इस्तेमाल से मेटल सरफेस डिफेक्ट्स की पहचान.

लेजर लाइट रिफ्लेक्शन के इस्तेमाल से इस सिस्टम के जरिये शीट मेटल सरफेस में होनेवाले किसी गड़बड़ी की पहचान बेहद दक्षता से कम कीमत में आसानी से की जा सकती है. ये डिफेक्ट कई तरह के हो सकते हैं- डेंट पड़ना या छीजन आना आदि.

एश्टॉन कोफर, ल्यूक क्ले, जुलिया ब्रे

उम्र : 14 वर्ष (सभी की)

देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : स्टाइरो-फिल्टर

स्टायरोफोम वेस्ट एकुमुलेशन की उभरती समस्याओं के समाधान के लिए इन्होंने स्टाइरो-फिल्टर नामक इनोवेटिव समाधान का ईजाद किया है. इसके जरिये स्टायरोफोम को एक्टिवेटेड कार्बन में सफलतापूर्वक तब्दील करते हुए प्रभावी तरीके से पानी को साफ किया जा सकता है.

मारिया विटोरिया वेलोटो

उम्र : 16 वर्ष देश : ब्राजील

प्रोजेक्ट : लैक्टोज इंटोलरेंट लोगों के लिए दोबारा इस्तेमाल में लाये जानेवाले कैप्सूल का विकास.

लैक्टोज नहीं पचा सकनेवालों के लिए अब तक बाजार में मौजूद विकल्प ज्यादा महंगे होने के कारण ज्यादातर लोग इससे वंचित रह जाते हैं. इसलिए इन्होंने बीटा-गेलेक्टोसाइडस के ऐसे कैप्सूल का विकास किया है, जाे सस्ता होने के साथ दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसे मुंह से लेने के बजाय दूध में मिलाया जाता है.

रेयान मार्क

उम्र : 15 वर्ष देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : रमन इफेक्ट के विकसित स्वरूप के माध्यम से कैंसरकारी त्वचा की पहचान.

शरीर की त्वचा में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर वह कैंसर का रूप धारण कर सकता है, जिसकी पहचान के लिए डॉक्टर स्मार्टफोन के जरिये मरीज की मदद कर सकते हैं. रमन इफेक्ट के जरिये विविध पदार्थों के आंकड़ों के विश्लेषण से उनमें फर्क किया जा सकता है.

कियरा निरगिन

उम्र : 16 वर्ष देश : दक्षिण अफ्रीका प्रोजेक्ट : अकाल से निबटने के लिए बायोडिग्रेडेबल सुपरएब्जोर्बेंट पॉलीमर का विकास.

मौजूदा समय में दक्षिण अफ्रीका बड़े अकाल के दौर से गुजर रहा है, जिससे खेती को बहुत नुकसान हुआ है. कियरा ने संतरे के छिलकों में पाये जानेवाले प्राकृतिक पॉलीसेक्राइड से कम कीमत में बायोडिग्रेडेबल और केमिकल रहित सुपरएब्जोर्बेंट पॉलीमर का विकास किया है, जो मिट्टी की नमी को बनाये रखने में कारगर साबित हुई है. अकाल से निबटने में यह उपाय एक बड़े समाधान के रूप में सामने आया है.

चार्ली फेन्स्के

उम्र : 16 वर्ष देश : अमेरिका

प्रोजेक्ट : स्पेस फ्लाइट की क्षमता में बढ़ोतरी.

इस प्रयोग का मुख्य मकसद रॉकेट के लिए एक विकसित गाइडेंस सिस्टम को डिजाइन करना है. इसके लिए विंड टनेल में विविध सिस्टम का परीक्षण किया गया और व्यापक स्तर पर पर्यावरण के प्रभावों का आकलन किया गया, ताकि स्पेस फ्लाइट की क्षमता में बढ़ोतरी की जा सके.

इन्हें भी जानें

क्या है गूगल साइंस फेयर

य ह एक वैश्विक ऑनलाइन साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रतियोगिता है, जिसमें दुनिया के सभी देशों के 13 से 18 वर्ष उम्र समूह के बच्चे भाग ले सकते हैं. हालांकि, इस वर्ष की प्रतियोगिता अंतिम चरण में है और इसमें हिस्सा नहीं लिया जा सकता, लेकिन यदि आप इसमें अगले साल भाग लेना चाहते हैं, तो इसकी अधिकृत वेबसाइट ‘गूगल साइंस फेयर डॉट कॉम’ का अवलोकन करते रहें.

कब हुई शुरुआत

वर्ष 2011 में पहली बार इसका आयोजन किया गया और उसके बाद से प्रत्येक साल यह आयोजित किया जा रहा है.

कौन हैं आयोजक

इसका मुख्य आयोजक गूगल है, जबकि लीगो, वर्जिन गैलेक्टिक, नेशनल जियोग्राफिक और साइंटिफिक अमेरिकन इसके प्रायोजक हैं.

नोट : क्यूबा, ईरान, उत्तरी कोरिया, सूडान, म्यांमार और सिरिया समेत उन तमाम देशों के निवासी इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, जिन पर अमेरिका ने पाबंदी लगा रखी है.

गूगल साइंस फेयर से संबंधित कुछ रोचक सवाल-जवाब :

गूगल साइंस फेयर के लिए मैं कैसे अपना प्राेजेक्ट सबमिट कर सकता हूं?

– यदि आप अपने आसपास किसी सार्वजनिक समस्या का इनोवेटिव समाधान तलाशने में सक्षम हैं, तो समग्रता से उस शोध को अंजाम देकर उसके नतीजे हासिल करें. अपने आविष्कार को नोट करें और पूरी प्रक्रिया के साथ उसे ऑनलाइन सबमिट कर सकते हैं.

मैं अपने स्कूल को कैसे इसमें शामिल कर सकता हूं?

– अपने संबंधित शिक्षक को इस बारे में बताएं और उनसे आइडिया के बारे में बात करें. आप इसके लिए अधिकृत वेबसाइट की मदद भी ले सकते हैं.

इस वर्ष के प्रमुख पुरस्कार कौन-कौन से हैं?

इसमें विज्ञान के सभी क्षेत्रों को शामिल किया है. ये पुरस्कार इस प्रकार हैं :

– द साइंटिफिक अमेरिकन इनोवेटर अवॉर्ड

– द लीगो एडु बिल्डर अवॉर्ड

– द वर्जिन गैलेक्टिक पायनियर अवॉर्ड

– द नेशनल जियोग्राफिक एक्सप्लोरर अवॉर्ड

इन सभी अवॉर्ड के साथ मेंटरशिप, स्कॉलरशिप और एक टूर पैकेज मुहैया कराया जाता है.

– इसके अलावा उन पांच छात्रों को कम्यूनिटी इंपेक्ट अवॉर्ड दिया जायेगा, जिन्होंने इस धरती को रहने लायक बेहतर स्थान बनाने में योगदान दिया है. ये पांचों विजेता यूरोप, उत्तरी अमेरिका, लैटीन अमेरिका, एशिया पेसेफिक और अफ्रीका या मध्य पूर्व से होंगे.

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