।। दक्षा वैदकर ।।
आपने ऐसे कई बच्चे देखे होंगे, जो स्कूल में दोस्तों से झगड़ने के बाद या टीचर से मार खाने के बाद मम्मी-पापा के पास शिकायत करने पहुंच जाते हैं. मम्मी-पापा भी तुरंत स्कूल पहुंच जाते हैं और उस टीचर को खूब सुनाते हैं कि आपने मेरे बच्चे को मारा क्यों? इतना ही नहीं, वे छोटे बच्चों के झुंड में पहुंच जाते हैं और दूसरे बच्चों को डांटते हैं कि खबरदार जो मेरे चिंटू को दोबारा किसी ने हाथ लगाया.
क्या आप ऐसे बच्चों को पसंद करते हैं? जाहिर-सी बात है कि ‘नहीं’. कोई भी व्यक्ति ऐसे बच्चों को बिल्कुल पसंद नहीं करेगा, जो बात-बात पर मम्मी-पापा या बड़े भैया-दीदी का बुला लेता हो. दरअसल, बच्चे की यह आदत बताती है कि उसमें दुनिया से लड़ने की ताकत नहीं है, वह डरपोक है और उसमें आत्मविश्वास की कमी है.
जिन बच्चों का पालन-पोषण इस तरह हुआ है, वे बड़े होने के बाद भी ऐसी हरकत ही करते हैं. पिछले दिनों एक लड़की रिपोर्टर की जॉब के लिए मेरे पास आयी. अपने साथ वह पापा को लेकर आयी. बायोडाटा देखने के बाद, मैं कुछ पूछती, उसके पहले ही उसके पापा ने बेटी की तारीफ करना शुरू कर दिया.
मैंने पूछा कि आप कौन? तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, ‘मैं इसका पापा हूं.’ मैंने पूछा कि आप इंटरव्यू में क्या कर रहे हैं? वे हंसते हुए बोले, ‘मैडम जी, मेरी बेटी पहली बार इंटरव्यू देने आयी है. ऑफिस कैसा है, सब ठीक है कि नहीं.. ये हमें भी देखना था.’
ऐसा ही वाकया मेरे मित्र ने सुनाया. उसने बताया कि सुबह-सुबह उसके जूनियर का कॉल आया. उसने फोन उठाया, तो पता चला कि दूसरी तरफ से जूनियर नहीं बल्कि उसकी मम्मी बोल रही है. फोन उठाते ही उन्होंने कहा कि आज मेरे बेटे की तबीयत बहुत खराब है.
वह ऑफिस नहीं आ सकेगा. मित्र ने पूछा कि अभी वह कहां है? मेरी उससे बात कराएं. तो आंटी ने जवाब दिया, ‘बेटा, वो सो रहा है. हम उसको उठा नहीं सकते. बिल्कुल भी बोल नहीं पा रहा है.’ मित्र ने छुट्टी दे दी और फोन रख दिया. जब दूसरे दिन जूनियर आया, तो वह बिल्कुल स्वस्थ नजर आ रहा था. मित्र ने तुरंत उससे इस्तीफा मांग लिया.
बात पते की..
– प्रोफेशनल बनें -ऑफिस की किसी भी चीज में अपने परिवारवालों को शामिल न करें. ऐसी हरकतें आपकी इमेज खराब करती है.
– मम्मी-पापा, भैया-दीदी से फोन लगवा कर छुट्टी मांगना सबसे घटिया तरीका है. ये बताता है कि आप कितने बड़े डरपोक और झूठे हैं.