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दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चीन के सुप्रीम कोर्ट ने विश्व बिरादरी को हड़काया

बीजिंग : विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में चीन की दावेदारी खारिज करने वाला आपराधिक न्यायाधिकरण का फैसला निष्प्रभावी करने की कोशिश के तहत यहां के सुप्रीम कोर्ट ने एससीएस में देश के अधिकार क्षेत्र को पुन: पुष्ट करते हुए आज एक नियम जारी किया और उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करने वाले अन्य देशों को आपराधिक […]

बीजिंग : विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में चीन की दावेदारी खारिज करने वाला आपराधिक न्यायाधिकरण का फैसला निष्प्रभावी करने की कोशिश के तहत यहां के सुप्रीम कोर्ट ने एससीएस में देश के अधिकार क्षेत्र को पुन: पुष्ट करते हुए आज एक नियम जारी किया और उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करने वाले अन्य देशों को आपराधिक तौर पर जिम्मेदार ठहराए जाने की चेतावनी दी.

आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार सुप्रीम पीपल्स कोर्ट (एसपीसी) ने समुद्री क्षेत्र पर चीन के अधिकारिक क्षेत्र को स्पष्ट करने के लिए न्यायिक व्याख्या करने वाला एक नियम जारी किया. यह व्याख्या चीन को समुद्री व्यवस्था, समुद्री सुरक्षा एवं हितों की रक्षा करने और देश के अधिकार क्षेत्र वाले समुद्र क्षेत्रों पर एकीकृत प्रबंधन लागू करने के लिए एक स्पष्ट कानूनी आधार मुहैया कराती है.

आज से प्रभावी हो रहे इस नियम में कहा गया है कि यदि चीन या अन्य देशों के नागरिकों को चीन के अधिकार वाले समुद्री क्षेत्रों में अवैध शिकार करने या मछली पकड़ने या विलुप्तप्राय: वन्यजीवों की हत्या करने के मामले में शामिल पाया जाता है तो उन्हें आपराधिक तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगाा.

एसपीसी के बयान में कहा गया है, ‘‘न्यायिक अधिकार राष्ट्रीय संप्रभुता का एक अहम तत्व है. पीपल्स अदालतें चीन के समुद्री क्षेत्रों में सक्रिय तौर पर अपने अधिकार का प्रयोग करेंगी, समुद्री प्रबंधन कर्तव्यों को कानूनीरूप से निभाने के लिए प्रशासनिक विभागों का समर्थन करेंगी, चीनी नागरिकों एवं अन्य देशों के संबद्ध पक्षों के कानूनी अधिकारों की समान रक्षा करेंगी और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता एवं समुद्री हितों की सुरक्षा करेंगी.’ स्थायी मध्यस्थता अदालत द्वारा नियुक्त न्यायाधिकरण ने 12 जुलाई को सुनाए आदेश में एससीएस पर चीन के नाइन-डैश-दावे को खारिज कर दिया था. एसपीसी के इस कदम को इसी फैसले की पृष्ठभूमि में लगभग संपूर्ण एससीएस में चीन के समुद्री दावों को कानूनी आधार मुहैया कराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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