न्यूयार्क : अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि भारत एशिया प्रशांत में एक ‘बहुत प्रभावशाली एवं शक्तिशाली खिलाडी’ है और वह क्षेत्र में सतत बढ रही भूमिका निभाएगा. एश्टन ने भारत यात्रा की शुरुआत की पूर्व संध्या पर यह बात कही. इस यात्रा के दौरान ‘नयी उत्साहवर्धक परियोजनाओं’ पर चर्चा की जाएगी ताकि भारत-अमेरिकी सामरिक संबंधों को मजबूत किया जा सके. कार्टर ने कहा, ‘भारत हिंद महासागर से लेकर पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में पहले ही बहुत प्रभावशाली और शक्तिशाली ताकत है.’ उन्होंने कहा कि कल से शुरू हो रही उनकी तीन दिवसीय भारत यात्रा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले दो वर्षों में लिये गये कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों के क्रियान्वयन में अहम कदम होगी.
हालांकि कार्टर ने उनकी भारत यात्रा के दौरान किये जाने वाले निर्णयों के बारे में कोई बात नहीं की. कार्टर इस यात्रा के दौरान गोवा और नयी दिल्ली जाएंगे. रक्षा मंत्री ने कल काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) के समक्ष न्यूयॉर्क के दर्शकों से कहा, ‘हम उत्साहजनक नयी परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे, जिनकी विस्तृत जानकारी मैं आज नहीं दे सकता.’ कार्टर ने ओबामा प्रशासन की ‘एशिया प्रशांत पुनर्संतुलन’ और मोदी सरकार की ‘एक्ट ईस्ट एशिया’ को विश्व के दो बडे लोकतांत्रिक देशों के बीच ‘सामरिक रूप से हाथ मिलाना’ करार दिया.
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘स्पष्ट रूप से वह (भारत) उन मूल्यों, जिनके लिए वह खडा होता है. सुरक्षा के प्रति सहयोगात्मक दृष्टिकोण का समर्थक होने के कारण एक सतत बढती भूमिका, एक बहुत सकारात्मक भूमिका निभाएगा.’ रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि भारत का ‘प्रभाव दक्षिण पूर्वी एशिया और पूर्वी एशिया में है’ और उन्होंने उसके एशिया प्रशांत क्षेत्र में जापान के साथ निकट संबंध का भी जिक्र किया.
एक साल से कम समय में कार्टर की दूसरी भारत यात्रा
भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों में इस नये चरण में अहम भूमिका निभाने वाले कार्टर का मानना है कि भारत और अमेरिका के संबंधों का 21वीं सदी के सबसे अहम संबंधों में शामिल होना तय था. उन्होंने कहा कि एक वर्ष से भी कम समय में भारत की उनकी दूसरी यात्रा का मकसद यही एहसास कराना है. कार्टर ने कहा, ‘इस (भारत यात्रा) दौरान कुछ बहुत महत्वपूर्ण नये कदम उठाए जाने हैं और राष्ट्रपति (ओबामा) और प्रधानमंत्री (मोदी) के बीच जिन बातों पर सहमति बनी थी, उन्हें और उस (रक्षा) रुपरेखा (समझौते) को लागू किया जाना है जिस पर मैंने पिछले साल मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ हस्ताक्षर किये थे.’
कार्टर ने पेंटागन में उनके पूर्ववर्ती कार्यकाल में 2012 में शुरू की गयी रक्षा तकनीक एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) को देश के औद्योगिक एवं रक्षा आधार को विस्तार देने के लक्ष्य वाली ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ‘हाथ मिलाने’ वाली पहल बताया. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास डीटीटीआई के क्षेत्र में, संयुक्त सैन्य अभ्यासों एवं गतिविधियों के क्षेत्र में हमारे सहयोग को अधिक वास्तविक एवं महत्वपूर्ण तरीके से दर्शाने के अवसर होंगे.’ कार्टर ने कहा कि समुद्री सुरक्षा में विस्तारित सहयोग उनकी भारत यात्रा का एक अन्य अहम पहलू होगा. अपने भारतीय समकक्ष के निमंत्रण पर कार्टर पर्रिकर के गृह राज्य गोवा में करीब दो दिन रुकेंगे.
10 व 11 अप्रैल को कार्टर रहेंगे गोवा में
उन्होंने कहा, ‘मैं पश्चिमी नौसेना बेस की यात्रा करुंगा.’ उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष वह पूर्वी नौसेना बेस की यात्रा कर चुके हैं. पर्रिकर जब पिछले साल दिसंबर में अमेरिका में थे तो कार्टर उन्हें परमाणु शक्ति चालित एक विमान वाहक पोत में लेकर गए थे और दोनों नेताओं ने तकरीबन एक दिन बिताया था. यूएसएस ब्लू रिज के भी उसी समय भारत में होने की उम्मीद है जब कार्टर भारत यात्रा पर जाएंगे. कार्टर ने कहा, ‘इसी समय बंदरगाह पर एक अमेरिकी नौसेना पोत है और हमारे बीच निकट सहयोग को और कोई तथ्य इतने बेहतर तरीके से नहीं दिखा सकता.’
गोवा में 10 और 11 अप्रैल को रहने के बाद कार्टर नयी दिल्ली जाएंगे जहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत कई नेताओं से मुलाकात करेंगे. कार्टर ने विस्तृत जानकारी नहीं देते हुए कहा कि दोनों देश वाणिज्यिक नौवहन सूचना के आदान प्रदान समेत कई महत्वपूर्ण समझौते करेंगे, जो भविष्य में ‘कई नयी चीजों को संभव’ बनाएंगे.
पिछले सालों में मजबूत हुए हैं भारत-अमेरिका संबंध
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा, ‘भारत और अमेरिका के बीच संबंध पिछले कई वर्षों में बहुत मजबूत हुए हैं और कार्टर निस्संदेह अमेरिका-भारत रक्षा संबंध में निजी रूप से बहुत रुचि लेते हैं.’ उन्होंने बताया कि कार्टर के पर्रिकर के साथ निकट व्यक्तिगत संबंध हैं. उन्होंने कहा, ‘इसीलिए वह गोवा में मंत्री के गृह नगर जा रहे हैं.’
वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने भारत में लडाकू विमानों के निर्माण पर वार्ताओं संबंधी समाचार रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अमेरिका लडाकू विमानों के सह निर्माण की संभावनाओं की तलाश करने में बहुत रचि रखता है और भारत के साथ इस मामले पर बातचीत की जा रही है.
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका से सशस्त्र ड्रोन खरीदने में भी रचि दिखाई है. रक्षा अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि मोदी सरकार में द्विपक्षीय संबंधों में बहुत प्रगति हुई है. उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अमेरिका और भारत के रक्षा संबंधों के कार्यक्षेत्र और गहराई में काफी बढोतरी हुई है.