13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें

पंकज मुकाती कानपुर के फजलगंज चौराहे पर एक छह मंजिली सफेद ईमारत पर दिखा सिर्फ घड़ी. इतना बड़ा विज्ञापन, क्या है यह? यह है घड़ी डिटर्जेंट का दफ्तर, जिसने न सिर्फ अपने धंधे का वक्त बदला, बल्कि बाजार के बड़े ब्रांड्स की भी धुलाई कर दी. यह मुरलीधर ज्ञानचंदानी का परिवार है. इस परिवार ने […]

पंकज मुकाती
कानपुर के फजलगंज चौराहे पर एक छह मंजिली सफेद ईमारत पर दिखा सिर्फ घड़ी. इतना बड़ा विज्ञापन, क्या है यह? यह है घड़ी डिटर्जेंट का दफ्तर, जिसने न सिर्फ अपने धंधे का वक्त बदला, बल्कि बाजार के बड़े ब्रांड्स की भी धुलाई कर दी. यह मुरलीधर ज्ञानचंदानी का परिवार है. इस परिवार ने जिस धंधे में भी हाथ आजमाया वह सफल रहा. इस परिवार का साबुन से पुराना नाता है.
सबसे पहले परिवार ने फर्रुखाबाद में ग्लिसरीन से बनने वाले आॅयल सोप का कारखाना लगाया. फिर परिवार कानपुर आया. इसके बाद परिवार ने मनोज सोप्स और राहुल सोप्स नाम से कपड़े धोने का साबुन बाजार में उतारा. 1987 में जब हिंदुस्तान में निरमा, व्हील और सर्फ जैसे ब्रांड बाजार पर कब्ज़ा जमाये हुए थे, उसी वक्त ज्ञानचंदानी परिवार ने महादेव सोप्स प्राइवेट लिमिटेड के तले घड़ी डिटर्जेंट पाउडर लांच किया. निरमा 1969 से बाजार में रहा और उसकी पहुंच घर-घर तक थी. उससे कुछ अलग करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी. उस वक्त डिटर्जेंट पीले या नीले रंग के होते थे.
घड़ी ने पहला बदलाव यहीं से किया, उसने अपने प्रोडक्ट को सफेद रखा. घड़ी ने निरमा की राह को ही अपनाया, कम कीमत में अच्छा परिणाम. घड़ ने खास रसायन और उनकी मात्रा को नियंत्रित कर एक बेहतर प्रोडक्ट खड़ा किया. कम कीमत और ज्यादा सफेदी ने इसे बड़ी पहचान दी. धीरे-धीरे यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, बिहार जैसे राज्यों में पहुंचा. 2005 में कंपनी ने अपनी सभी कंपनियों को मर्ज कर रोहित सर्फेक्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी. कंपनी ने बर्तन धोने को एक्सपर्ट और टॉयलेट सोप वीनस का भी प्रोडक्शन किया.
घड़ी ने बड़ी रणनीति के साथ धीरे-धीरे पैर जमाये. इसका स्लोगन ‘पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें’ बेहद लोकप्रिय है. आज कंपनी सालाना 10 लाख टन घड़ी डिटर्जेंट और केक का प्रोडक्शन करती है. 1989 में 1.39 करोड़ वाली कंपनी का इस वक्त केवल डिटर्जेंट का कारोबार 4,500 करोड़ सालाना है.
बड़ी कंपनियों से टक्कर लेते हुए 2012 में घड़ी बाजार के टॉप ब्रांड्स में पहुंच गया. 27 साल के सफर में घड़ी ने पहले सीर्फ उत्तर प्रदेश पर केंद्रित किया. यह बेहद अच्छी रणनीति थी, क्योंकि उत्तराखंड के अलग होने तक यूपी सबसे ज्यादा जनसंख्या और उपभोक्ता वाला राज्य था. देश के रिटेल का 12 से 14 फीसदी बाजार यूपी में ही है.
इस बाजार पर मजबूती के बाद इससे लगे लगे राज्यों पर कंपनी ने फोकस किया. दूसरे डिटर्जेंट पांच फीसदी बिक्री कमीशन देते थे, जबकि घड़ी ने 7 फीसदी तक कमीशन देना शुरू किया. कंपनी ने डिटर्जेंट के अलावा रेड चीफ शूज, नमस्ते इंडिया नाम से डेयरी प्लांट भी लगाया, शैंपू, सेनेटरी नैपकिन और बांग्लादेश में बीड़ी का भी उत्पादन शुरू किया. इस परिवार का कोई काम बिना शिव पूजा के शुरू नहीं होता.
ज्ञानचंदानी परिवार ने यह भी सिखाया कि कोई भी बिजनेस यदि तरीके से शुरू किया जाए और हड़बड़ी न करें, तो वक्त भले लगे, ब्रांड को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel