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चीन में बनाया जा रहा दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा संयंत्र

वेस्ट मैनेजमेंट : शेनचेन शहर में कचरे से किया जायेगा बिजली उत्पादन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन एक नायाब प्रयोग करने वाला है. चीन के शेनजेन शहर में दुनिया का सबसे बड़ा बिजली संयंत्र स्थापित होने वाला है, जिससे कचरे से बिजली पैदा होगी. इसमें प्रतिदिन करीब 5,000 टन कचरे के निपटान […]

वेस्ट मैनेजमेंट : शेनचेन शहर में कचरे से किया जायेगा बिजली उत्पादन
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन एक नायाब प्रयोग करने वाला है. चीन के शेनजेन शहर में दुनिया का सबसे बड़ा बिजली संयंत्र स्थापित होने वाला है, जिससे कचरे से बिजली पैदा होगी. इसमें प्रतिदिन करीब 5,000 टन कचरे के निपटान के लिए 300 इंसिनरेटर का उपयोग होगा.
कचरे की समस्या से कमोवेश सभी देश परेशान हैं और इसके लिए कुछ देशों ने कचरे से बिजली पैदा करने के उपकरण भी लगा रखे हैं. लेकिन, चीन इस मामले में इसलिए चर्चा में है कि उसका संयंत्र दुनिया का सबसे विशाल संयंत्र होगा.
हालांकि, उसकी इस प्रक्रिया से वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाली कार्बनडाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन बड़ी मात्रा में होगा, लेकिन कुल मिलाकर यह बेहतर ही होगा. इसका कारण यह है कि इस संयंत्र के चालू हो जाने के बाद चीन के शहर शेनजेन को अवैध तरीके से जगह-जगह काफी मात्रा में जमा किये जा रहे कचरे अथवा बड़े लैंडफिल साइटसे निजात मिलेगी. इसके साथ ही इससे पैदा होनेवाली बिजली का बड़े पैमाने पर घरेलू इस्तेमाल भी किया जा सकेगा.
पिछले साल अकेले शेनजेन शहर में बड़े पैमाने पर कचरा जमा करने की वजह से लैंडफिल साइट के इर्द-गिर्द रहने वालों में से करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो गयी. उम्मीद यह की जा रही है कि आगामी 2020 तक चीन का यह बिजली संयंत्र चालू हो जायेगा.
इस संयंत्र के चालू हो जाने के बाद चीन के इस शहर को दो बड़ी समस्याओं से निजात मिल जायेगी. एक तो यह कि शहर के किनारे लैंडफिल साइट पर बड़े पैमाने पर जमा होने वाले कचरे से अब किसी की मौत नहीं होगी. दूसरा यह कि इस बिजली संयंत्र में कचरे का व्यापक स्तर पर निपटान होने के साथ ही घरेलू उपयोग के लिए बिजली का उत्पादन भी किया जा सकेगा. संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली चीन के लिए एक बोनस के समान होगा.
फास्ट कंपनी के एडेल पीटर के अनुसार, चीन की सरकार इस नये संयंत्र में कचरे से बिजली पैदा करने के लिए आगामी तीन सालों में करीब 300 इंसिनरेटर का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. इस बीच यह बहस भी छिड़ गयी है कि इतने बड़े पैमाने पर इंसिनरेटर के इस्तेमाल से वातावरण में पैदा होने वाली कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन से पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा.
चीन बड़े पैमाने पर उत्सर्जित होने वाली इस घातक गैस को पर्यावरण के लिहाज से उपयुक्त कैसे बनायेगा. क्या यह भविष्य के लिए सही होगा. पीटर का कहना है कि डेनमार्क सि्थत स्मिट हैमर लेसन आर्किटेक्ट्स के क्रिस हार्डी ने इस प्लांट को डिजाइन किया है. हार्डी कहते हैं कि यह केवल कचरे से बिजली पैदा करने वाला संयंत्र मात्र नहीं है. इस संयंत्र में लैंडफिल साइटों पर बड़े पैमाने पर जमा होने वाले कचरों का इंसिनरेटर में जलने से वातावरण में बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों में कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन होगा.
पीटर का कहना है कि इस प्रक्रिया को अपनाने से चीन एक तो कचरे के निपटान का रास्ता निकाल रहा है, दूसरा यह कि इस प्रक्रिया से उसे बिजली भी मिलेगी. शहरों में लोग पैदा होने वाले के निपटान के साथ उसके पुनर्चक्रण की प्रक्रिया तेजी से अपना रहे हैं और इसे निश्चित तौर पर अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत के रूप में अपनाया जा रहा है. यही कारण है कि हम इस प्रक्रिया को कचरे से ऊर्जा उत्पादन के लिए अक्षय ऊर्जा के घटक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस संयंत्र से मिलनेवाली सुविधा और इसकी प्रक्रिया को देखने के लिए इन दिनों लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है. दुनिया के इस बड़े संयंत्र के निर्माण में जुटे स्मिट हैमर लेसन आर्किटेक्ट्स के क्रिस हार्डी कहते हैं कि कचरों के बारे में जानकारी हासिल करना एक चुनौती तो है, लेकिन इसे शैक्षणिक स्तर पर शामिल करके इसका अध्ययन करना भी बहुत बड़ी चुनौती है.
वे कहते हैं, जरा सोचिए कि 1950 और 1960 के दशक में प्राय: सभी लोग धुम्रपान करते थे. बाद के वर्षों में अनुभव किया जाने लगा कि धुम्रपान कितना नुकसानदेह है. इसके बाद आश्चर्यजनक तरीके से इसे बंद किया या इसमें कमी कर दी गयी. कचरे का निपटान भी ठीक इसी प्रक्रिया से जुड़ी है. यदि आप किसी प्रकार के नुकसान को उठाना नहीं चाहते हैं, तो आप इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं कि कचरे को पैदा होने से कैसे रोका जाये.
2020 तक इस संयंत्र को चालू हो जाने की उम्मीद है. इसका कारण यह है कि सैन फ्रांसिस्को में भी कुछ इसी तरह की प्रक्रिया को अपना कर शहर को जीरो वेस्ट बनाने की योजना है. यदि हमारे जीवन में कचरे के निपटान के इसी प्रकार के प्रयास किये जाते रहे, तो भविष्य में शहरों को कचरों से मुक्त होने की उम्मीद अधिक है.

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