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आम बजट 2016 : जेटली जी से क्या हैं उम्मीदें?

बजट डेस्क नयी दिल्ली : रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा दो दिन पूर्व रेल बजट में बदलाव का खाका खींचे जाने के बाद अब ऐसी ही उम्मीदें दो दिन बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किये जाने वाले आम बजट को लेकर भी लोगजाहिर कर रहे हैं. यह आम बजट एक तरह से मोदी सरकार के […]

बजट डेस्क


नयी दिल्ली :
रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा दो दिन पूर्व रेल बजट में बदलाव का खाका खींचे जाने के बाद अब ऐसी ही उम्मीदें दो दिन बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किये जाने वाले आम बजट को लेकर भी लोगजाहिर कर रहे हैं. यह आम बजट एक तरह से मोदी सरकार के मध्यकाल मेंप्रवेश करने से ठीक पहले पेश किया जा रहा है, इसलिए निर्णायक माना जा रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस आम बजट को माेदी का बजट बताया गया है. रिपोर्टों में कहा गया है कि बजट को लेकर वित्तमंत्रालय के अधिकारी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बजट से जुड़ी बारीकियों से वाकीफ हैं और उन्होंने हर अहम बिंदु पर वित्त मंत्रालय को अपने सुझाव निर्देश दिये हैं.

इस आम बजट के साथ दो अहम चीजें जुड़ी हैं. एक तो यह बजट ऐसे दौर में पेश की जा रही है कि, जब मोदी सरकार पर विपक्ष व अंसुतष्ट तबके के द्वारा सबसे ज्यादा तीखे हमले किये गयेहैंऔरकई मोर्चों पर विफलता केदोषमढ़ेजा रहे हैं. कुछ खुले तौर पर तो कुछ दबी जुबान में कह रहे हैं कि मोदी अपने चुनाव वादों के अनुरूप देश की ग्रोथस्टोरी शुरू नहीं कर सके हैं. दूसरायहबजटअंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रायटर्सकीउस खबर केकुछ पखवाड़े के बाद बादहीपेश किया जा रहा है,जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्रीमोदी, जेटली केकामकाजसे खुश नहीं हैं और उनकी जगह पीयूष गोयल को रिप्लेस किया जा सकता है.

ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष सीधे तौर पर जनता की कसौटी पर खरा उतरने तो जेटली के समक्ष अपने बॉस की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है. इन सब के पीछे आशा की एक किरण कल संसद में पेश आर्थिक समीक्षा से निकली है. आर्थिक समीक्षा में अहम क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार के संकेत दिये गये हैं और सरकार को कुछ ठोस सुझाव भी.

हम यहां उन कुछ अहम क्षेत्रों का जिक्र कर रहे हैं, जिसको लेकर जेटली से सबसे ज्यादा उम्मीदें जुड़ी हैं :

कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बड़ी पहल

आर्थिक सर्वे में संकेत है कि अगर ग्रामीण अर्थव्यवस्था खस्ताहाल रही तो ग्रोथ की गाड़ी की रफ्तार मंद पड़ जायेगी. कृषि क्षेत्र में इस बजट में अहम बदलाव की बातें कही जा रही हैं. बाद में सरकार की दो बड़ी आर्थिक हस्ती ने यह बात कह कर इसकी पुष्टि कर दी है. नीति आयोग के चेयरमैन अरविंद पानगढ़िया ने कहा है कि इस बार का बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और कृषि में सुधार, गांवों, किसानों की हालत में सुधार व फोकस करने वाला बजट साबित हो सकता है. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि गांव, किसानों की हालत बदले.वहीं,मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन नेभी बजट के ग्रामीण अर्थव्यवस्था परफोकस होने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा है कि ग्रामीण सड़कों पर ध्यान देना होगा.मनरेगा के तहत ग्रामीण आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने पर ध्यान दिया जायेगा. ऐसे में संंभव है कि सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कोई बड़ा बदलाव करे. हालांकि खेती पर टैक्स लगाने की संभावना से इनकार किया जा रहा है.

टैक्स राहत

बजटमें आमआदमीकीइच्छाऔर अधिक कमाई पर टैक्स राहत की है. फिलवक्त यहढाई लाख रुपये सालाना है. एसोचैमनेइसे बढ़ाकरचार लाख रुपये करने कीसिफारिशवित्तमंत्रालय से की है. वहीं, एक तबक कम से कम तीन लाखकीमांग कर रहा है. दूसरी ओर,आर्थिकसलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. उनका तर्क है किइसेकुछ साल छोड़ दियाजाये,क्योंकि इसके स्लैब में हाल ही में बदलाव हुआ है. उन्होंनेचिंता जतायी है कि अभी तो चार प्रतिशत ही टैक्सदाताहैं और इस सीमा को बढ़ाने परइसमेंऔर गिरावटआयेगी.दूसरी ओर कुछ लोग टैक्स राहत की सीमा तीन लाख रुपये सालाना करने की बात कह रहे हैं.

बीमार बैंकों में जान फूंकना

कहा जाता है बैंक की सेहत अर्थव्यवस्था की सेहत का भी सूचक होती है. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बढ़े एनपीए के चलते खास्तहाल हो गये हैं. ऐसे में सरकार ने बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये पूंजी डालने की घोषणा की है. कहा जा रहा है कि वित्त वर्ष 2019 तक बैंकों को 1.18 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी. एक दूसरी बात यह भी कही जा रही है किसरकारीबैंकों में वित्तमंत्री प्रत्यक्ष विदेशी निनेश की सीमा मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर सकते हैं, ताकि वे दूसरों से कंपिट कर सकें. वर्तमान में निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए यह सीमा 74 प्रतिशत है.

छोटे कारोबारियों के लिए बड़ा एलान

संभावना है कि प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप छोटे कारोबारियों के लिए बड़ा एलान किया जाये. पीएम बारंबार अपने भाषणों में चना मुरमुरे बेचने वाले से लेकर चाय बेचने वाले तक की कमाई बढ़ाने के बारे में चिंता व सोच प्रकट करते हैं. ऐसे में छोटे कारीगरों, कारोबारियों और प्रोफेशनल्स के लिए पर्सनल सेक्टर को बढ़ावा देने वाले उपाय किये जा सकते हैं. इनके लिए पीएम ने मुद्रा बैंक पहले ही बनाया है. कुछ और नयी व्यावहारिक योजनाओं का एलान किया जा सकता है.

राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि सरकार विभिन्न कारकों पर विचार करने के बाद राजकोषीय घाटे के अपने लक्ष्य पर संतुलित रुख अपनाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि को बल देने के लिए सरकार आगामी बजट में उंचे राजकोषीय घाटे पर भी विचार कर सकती है. यह बात उन्होंने एक साक्षात्कार में कही. आर्थिक सर्वे के अनुसार, राजकोषीय घाटा 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है. जबकि अगले वित्तीय वर्ष में इसे 3.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है.

सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना

आर्थिक सर्वे में सब्सिडी को अधिक तर्क संगत बनाने की जरूरत बतायी गयी है. यह भी कहा गया है कि संपन्न लोग सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं. 12 की जगह नौ एलपीजी सिलिंडर देने की बात कही गयी है. कच्चे तेल में नरमी के कारण चालतू वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान है. संभव है राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लिए सब्सिडी को अधिक तर्कसंगत बनाया जायेगा.

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